अयोध्या मामलाः मस्जिद पक्ष का भी मध्यस्थता में शामिल होने से इनकार, अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सबको इंतजार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 9, 2019 11:14 AM2019-10-09T11:14:33+5:302019-10-09T11:14:33+5:30
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में पिछले हफ्ते ‘राम लला विराजमान’ ने मध्यस्थता प्रक्रिया में भाग लेने से इनकार किया था। अब मस्जिद पक्ष ने भी कहा है कि वो सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थता पैनल से किसी प्रकार की बातचीत नहीं करना चाहते।
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में पिछले हफ्ते ‘राम लला विराजमान’ ने मध्यस्थता प्रक्रिया में भाग लेने से इनकार किया था। अब मस्जिद पक्ष ने भी कहा है कि वो सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थता पैनल से किसी प्रकार की बातचीत नहीं करना चाहते। मस्जिद पक्ष के वकील ने साफ मध्यस्थता पैनल से साफ तौर पर कहा है कि वो अदालती कार्रवाई में व्यस्त हैं इसलिए मध्यस्थता में शामिल नहीं हो सकते। इसी के साथ कोर्ट के बाहर मध्यस्थता के जरिए अयोध्या विवाद के समाधान की संभावनाएं लगभग समाप्त हो गई हैं। अब सभी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है।
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने एक शुरुआती मध्यस्थता प्रक्रिया नाकाम हो जाने के बाद दशकों पुराने इस संवेदनशील मामले की छह अगस्त से प्रतिदिन सुनवाई कर रहे हैं। हालांकि, शीर्ष अदालत ने 18 सितंबर को कहा था कि वह मामले की प्रतिदिन सुनवाई जारी रखेगा और इस बीच विभिन्न पक्ष विवाद के हल के लिए मध्यस्थता प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं।
पीठ ने कहा था कि उसे तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति का नेतृत्व कर रहे शीर्ष न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला का एक पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें कहा गया है कि कुछ पक्षकारों ने उनसे मध्यस्थता प्रक्रिया बहाल करने का अनुरोध किया है। न्यायालय ने कहा था कि पक्षकार ऐसा करते हैं और मध्यस्थता समिति के समक्ष प्रक्रिया गोपनीय बनी रह सकती है।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि मामले में सुनवाई आखिरी चरण में है और वह 18 अक्टूबर तक कार्यवाही पूरा करना चाहता है। पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं। पीठ ने सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरा करने के अपने संकल्प को भी दोहराया। न्यायालय ने यह भी कहा, ‘‘यदि जरूरत पड़ी तो हम शनिवार को भी बैठेंगे।’’
शीर्ष न्यायालय प्रतिदिन शाम चार बजे के बजाय शाम पांच बजे तक अयोध्या मामले की सुनवाई कर रहा है। पीठ ने निर्मोही अखाड़ा के वकील से कहा, ‘‘हम आपकी ओर से दलील देने के लिए एक वकील को इजाजत देंगे...हमारे पास समय नहीं है। क्या आप नहीं चाहते कि हम आदेश जारी करें।’’
इससे पहले शीर्ष अदालत ने आध्यात्मिक गुरु एवं आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता एवं जाने माने मध्यस्थ श्रीराम पंचू की सदस्यता वाली तीन सदस्यीय समिति की इस रिपोर्ट पर भी गौर किया था कि करीब चार महीने चली मध्यस्थता प्रक्रिया में कोई अंतिम समाधान नहीं निकला।
समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से इनपुट्स लेकर