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कैसे मिलेगा न्याय? देश की अदालतों में 4 करोड़ से भी ज्यादा मामले हैं लम्बित, 25 हाई कोर्ट में 55 लाख से भी ज्यादा केस

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 2, 2022 13:46 IST

22 जुलाई 2022 तक के आंकड़ों के मुताबिक भारत के 25 उच्च न्यायालयों में 55 लाख से भी ज्यादा केस पेंडिग हैं। ये लिखित जानकारी केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कुछ दिनों पहले दी है।

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ठळक मुद्दे22 जुलाई 2022 तक के आंकड़ों के मुताबिक भारत के 25 उच्च न्यायालयों में 55 लाख से भी ज्यादा केस पेंडिग हैं। उच्च न्यायालयों में महिला जजों की संख्या 96 है। भारतीय अदालतों में 4 करोड़ से ज्यादा मामले लम्बित है।

नई दिल्ली: दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र यानी हमारे देश भारत में न्यायलयों के कामकाज और स्थिति को लेकर कई बातें होती रही हैं। खासकर मामलों के निपटारे की गति सबसे ज्यादा चिंता का विषय है। 22 जुलाई 2022 तक के आंकड़ों के मुताबिक भारत के 25 उच्च न्यायालयों में 55 लाख से भी ज्यादा केस पेंडिग हैं। ये जानकारी केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कुछ दिनों पहले दी है।

इसी के साथ ये भी बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट में 25 जुलाई तक के आंकड़ों के मुताबिक 4 महिला जज हैं जबकि ये उच्च न्यायालयों में महिला जजों की संख्या 96 है। कौन से राज्य में कितने केस पेंडिंग हैं किस राज्य में कितनी महिला जज है और उच्च न्यायालयों में 55 लाख से ज्यादा केस पेंडिंग होने का मतलब क्या है, देश के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने लंबित मामलों पर क्या कहा। जानते हैं सब कुछ 

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने दी जानकारी 

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में बीजेपी सांसद डाक्टर सी.एम. रमेश के एक सवाल का जवाब देते हुए बताया है कि देश के 25 उच्च न्यायालयों में 59,558,73 मामले लम्बित हैं। किरेन रिजिजू ने जिला और अधीनस्थ अदालतों में लम्बित मामलों की भी संख्या बताई है जो कि 4 करोड़ से भी ज्यादा है। वहीं सुप्रीम कोर्ट में एक जुलाई तक 70 हजार से भी ज्यादा मामले लंबित हैं। 

इलाहबाद हाई कोर्ट में सबसे ज्यादा मामले लंबित 

सबसे पहले बात करते हैं इलाहबाद हाई कोर्ट की जहां सबसे ज्यादा 10 लाख मामले लम्बित हैं। राजस्थान और मुंबई में भी 6-6 लाख से ज्यादा मामले लम्बित हैं। पंजाब हरियाण और मध्यप्रदेश में लम्बित मामलों की संख्या 4 लाख से ज्यादा है। गुजरात में ये आंकड़ा 1 लाख से ज्यादा है। देश की राजधानी दिल्ली में भी 1 लाख से ज्यादा केस पेंडिंग हैं। कर्नाटक, तेलंगाना, पटना, आंध्रप्रदेश इन सभी राज्यों में 2-2 लाख से भी ज्यादा केस पेंडिंग हैं।

आंकड़ों की जानकारी के साथ ही रिजिजू ने कहा कि इन मामलों का निपटारा करना भले ही न्यायपालिका का कार्य है, लेकिन सरकार में इसमें सीधे तौर पर कुछ नहीं कर सकती। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि केंद्र सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि जल्द ही इन मामलों का निपटारा हो जाए। संविधान के आर्टिकल 21 के तहत सरकार ऐसे कदम उठा रही है जिससे लंबित मामलों की संख्या कम हो। उन्होंने इसमें वर्चुअज कोर्ट और नई नियुक्तियां खाली पदों को जल्द भरने की कोशिश जैसे कदमों के बारे में बताया है। 

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में कितनी महिला जज हैं ?

किरेन रिजिजू ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में महिला जजों के आंकड़े पर भी प्रकाश डाला है। सुप्रीम कोर्ट में 4 महिला जज फिलहाल है । 25 जुलाई तक देश के हाईकोर्ट में 96 महिला जज हैं। दिल्ली और मद्रास हाई कोर्ट में 12-12 महिला जज हैं। तेलंगाना में ये आंकड़ा 9 है।  मुंबई में 8 है, कोलकता और पंजाब हरियाणा दोनों हाईकोर्ट में 7 महिला जज हैं। 5 ऐसे हाईकोर्ट हैं जहां एक भी महिला जज नहीं हैं। इनमें मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा, पटना और उत्तराखंड शामिल है। 

वहीं रिजिजू ने बताया सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पिछले आठ माह में हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए 127 नए नामों की अनुशंसा की जिनमें से 61 को नियुक्ति दी गई है।

देश के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने लम्बित मामलों पर क्या कहा

शनिवार को भारतीय अदालतों में 4 करोड़ से ज्यादा मामले लम्बित होने पर टिप्पणी करते हुए देश के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने कहा कि इसकी मुख्य वजह न्यायिक सेवा में रिक्त पदों पर भर्ती न होना है।

रिजिजू ने हाल में एक कार्यक्रम के दौरान अदालतों में लंबित मामलों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताते हुए इसे चुनौती बताया था। उन्होंने कहा आजादी के अमृत महोत्सव काल में देश की अदालतों में लंबित मामलों की संख्या लगभग पांच करोड़ पहुंचने वाली है। मैं जहां कहीं भी जाता हूं तो लोग यह सवाल उठाते हैं और यह मेरे ऊपर बोझ बन जाता है कि हमने क्या किया है और हमें क्या करना चाहिए। रिजिजू ने कहा क्या हम एक लक्ष्य लेकर चल सकते हैं। ठोस कदम उठाए जाने चाहिए जिससे हम दो साल में कम से कम हम दो करोड़ लंबित मामले निपटा सकें। यह बहुत बड़ी चुनौती है।

मंत्री की चिंता के बाद न्यायमूर्ति रमण ने इसी कार्यक्रम में कहा कि बड़ी संख्या में मामले लंबित होने की वजह न्यायिक रिक्तियों को न भरना है। एनवी रमण ने कहा मुझे खुशी है कि रिजिजू  ने मामले लंबित होने का मुद्दा उठाया। हम न्यायाधीश भी जब देश से बाहर जाते हैं तो उसी सवाल का सामना करते हैं। मामले लंबित होने के कारणों को आप सभी जानते हैं। मैंने मुख्य न्यायाधीशों- मुख्यमंत्रियों के गत सम्मेलन में इसका संकेत दिया था। आप सभी जानते हैं कि इसका मुख्य कारण न्यायिक रिक्तियों को न भरना और न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार नहीं करना है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि देश के 6.10 लाख कैदियों में से करीब 80 प्रतिशत विचारधीन कैदी हैं। देश के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे मामलों में लम्बी न्याय प्रक्रिया ही सजा बन चुकी है।

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