संघ का हिंदुत्व वही जो स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, टैगोर, डॉ अंबेडकर का था: मोहन भागवत

By भाषा | Updated: March 18, 2018 19:00 IST2018-03-18T17:53:36+5:302018-03-18T19:00:00+5:30

मोहन भगवत ने कहा 'संघ का हिंदुत्व, हिंदुत्व के नाते किसी को अपना दुश्मन नहीं मानता, किसी को पराया नहीं मानता लेकिन उस हिंदुत्व की रक्षा के लिए हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति और हिंदू समाज का संरक्षण हमको करना ही पड़ेगा। और लड़ना पड़ेगा तो लड़ेंगे भी।' 

Mohan bhagwat RSS hindu new delhi swami vivekanand | संघ का हिंदुत्व वही जो स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, टैगोर, डॉ अंबेडकर का था: मोहन भागवत

संघ का हिंदुत्व वही जो स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, टैगोर, डॉ अंबेडकर का था: मोहन भागवत

नई दिल्ली, 18 मार्च: मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में हिंदुत्व का दो भिन्न प्रकार से चित्रण किए जाने की पृष्ठभूमि में सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि संघ का हिंदुत्व, हिंदुत्व के नाते किसी को अपना दुश्मन नहीं मानता, किसी को पराया नहीं मानता लेकिन उस हिंदुत्व की रक्षा के लिए हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति और हिंदू समाज का संरक्षण हमको करना ही पड़ेगा। और लड़ना पड़ेगा तो लड़ेंगे भी । 

'पांचजन्य' को दिए 'साक्षात्कार' में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख भागवत ने वास्तविक हिंदुत्व’ और आक्रामक हिंदुत्व’ के संबंध में एक सवाल के जवाब में कहा, ' हम हिन्दुत्व को एक ही मानते हैं। हिन्दुत्व यानि हम उसमें श्रद्धा रखकर चलते हैं । महात्मा गांधी कहते थे सत्य का नाम हिंदुत्व है। वहीं जो हिंदुत्व के बारे में गांधीजी ने कहा है, जो विवेकानंद ने कहा है, जो सुभाष बाबू ने कहा है, जो कविवर रवींद्रनाथ ने कहा है, जो डॉ. अंबेडकर ने कहा है....हिंदू समाज के बारे में नहीं, हिंदुत्व के बारे में.... वही हिंदुत्व है। लेकिन उसकी अभिव्यक्ति कब और कैसे होगी यह व्यक्ति और परिस्थिति पर निर्भर करता है।'' मोहन भागवत ने कहा कि हिंदुत्व एक ही है, किसी के देखने के नजरिए से हिंदुत्व का प्रकार अलग नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा, 'मैं सत्य को मानता हूं और अहिंसा को भी मानता हूं और मुझे ही खत्म करने के लिए कोई आए और मेरे मरने से वह सत्य भी मरने वाला है और अहिंसा भी मरने वाली है ......उसका नाम लेने वाला कोई बचेगा नहीं तो उसको बचाने के लिए मुझे लड़ना पड़ेगा।' उन्होंने कहा कि लड़ना या नहीं लड़ना यह हिंदुत्व नहीं है। सत्य अहिंसा के लिए जीना या मरना, सत्य अहिंसा के लिए लड़ना या सहन करना, यह हिंदुत्व है।

संघ प्रमुख ने कहा कि ये जो बातें चलती हैं कि स्वामी विवेकानंद का हिंदुत्व और संघ वालों का हिंदुत्व, कट्टर हिंदुत्व या सरल हिंदुत्व...... ये भ्रम पैदा करने के लिए की जाने वाली तोड़-मरोड़ है क्योंकि हिंदुत्व की ओर आर्कषण बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि तत्व का नहीं स्वभाव आदमी का होता है। 

भागवत ने इसी संदर्भ में कहा, 'हिंदुत्व में हिंदुत्व का कैसा पालन करना है, यह तो व्यक्तिगत निर्णय है।आप यह कह सकते हैं कि फलां हिंदुत्व को गलत समझ रहे हैं । आप कहेंगे कि मैं सही हूं, वह गलत है।इनका हिंदुत्व, उनका हिंदुत्व .... यह सब कहने का कोई मतलब नहीं है । इसका निर्णय समाज करेगा और कर रहा है । समाज को मालूम है कि हिंदुत्व क्या है।' तकनीकी साधनों, सुविधाओं, एप, सोशल मीडिया के बारे में एक सवाल के जवाब में संघ प्रमुख ने कहा कि यह साधन है, उपयोगी हैं, लेकिन इनका उपयोग मर्यादा में रहकर करना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि संगठन के स्तर पर सुविधा के लिए एक सीमा तक तकनीकी साधनों का उपयोग किया जा सकता है। इन्हें प्रयोग करते हुए इनकी सीमाओं और नकारात्मक दुष्प्रभावों को समझना जरूरी है। उन्होंने कहा यह आपको आत्मकेंद्रित और अहंकारी बना सकते हैं। भागवत ने कहा कि सोशल मीडिया का स्वरूप कुछ ऐसा हो गया है कि बस ‘मैं और मेरा’। भागवत ने कहा कि संघ का फेसबुक पेज है, मेरा नहीं । संघ का ट्वीटर पेज है, मेरा नहीं... और न ही कभी होगा । इसका उपयोग करें, लेकिन इसके आदी न बने । मर्यादा में रहते उसके साथ चलें । 

हाल ही में नागपुर में हुई संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में संघ के सह-सरकार्यवाह की संख्या बढ़ाकर छह किये जाने के बारे में एक सवाल के जवाब में भागवत ने कहा, ‘‘ यह संघ के कार्य विस्तार का परिणाम है । शाखा और संघ की रचना बहुत विस्तृत हो गई है । संघ जब बढ़ने लगा तो फिर शारीरिक प्रमुख, बौद्धिक प्रमुख आदि बने। संघ 60 लाख स्वयंसेवकों का संगठन हो गया है और संगठन संभालने के लिए ऊपर कितने लोग चाहिए यह तो तय करना होगा, इसलिए सह-सरकार्यवाहों की संख्या बढ़ी है। ’’

Web Title: Mohan bhagwat RSS hindu new delhi swami vivekanand

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