कोरोना संकट के दौरान चीन के निवेश और भारतीय कंपनियों के टेकओवर को रोकने के लिए मोदी सरकार ने उठाए ये कदम, FDI नियमों में हुए बदलाव

By स्वाति सिंह | Published: April 19, 2020 07:52 AM2020-04-19T07:52:30+5:302020-04-19T07:52:30+5:30

मोदी सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर घरेलू कंपनियों को प्रतिकूल परिस्थितियों का फायदा उठाते हुये बेहतर अवसर देखकर खरीदने की कोशिशों को रोकने के लिये यह कदम उठाया है। पाकिस्तान और बांग्लादेश के निवेशकों पर यह शर्त पहले से लागू है।

Modi Government nod mandatory for FDI from neighbouring countries, walling off China | कोरोना संकट के दौरान चीन के निवेश और भारतीय कंपनियों के टेकओवर को रोकने के लिए मोदी सरकार ने उठाए ये कदम, FDI नियमों में हुए बदलाव

दिसंबर 2019 से अप्रैल 2000 के दौरान भारत को चीन से 2.34 अरब डॉलर यानी 14,846 करोड़ रुपये के एफडीआई मिले हैं।

Highlightsमोदी सरकार ने एफडीआई नियमों में बड़ा बदलाव किया है। किसी भी देश की कंपनियों को भारत में निवेश के लिए सरकार से संपर्क करना होगा।

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के दौरान चीन द्वारा निवेश और भारतीय कंपनियों के टेकओवर को रोकने के लिए मोदी सरकार ने एफडीआई नियमों में बड़ा बदलाव किया है। इसके बाद कोई भी विदेशी कंपनी किसी भारतीय कंपनी का अधिग्रहण विलय नहीं कर सकेगी। वहीं, किसी भी देश की कंपनियों को भारत में निवेश के लिए सरकार से संपर्क करना होगा। 

उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के एक बयान में यह कहा गया है। डीपीआईआईटी ने बताया, ‘‘भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों के निकाय अब यहां सिर्फ सरकार की मंजूरी के बाद ही निवेश कर सकते हैं। भारत में होने वाले किसी निवेश के लाभार्थी भी यदि इन देशों से होंगे या इन देशों के नागरिक होंगे, ऐसे निवेश के लिये भी सरकारी मंजूरी लेने की आवश्यकता होगी।’’ 

सरकार के इस निर्णय से चीन जैसे देशों से आने वाले विदेशी निवेश पर प्रभाव पड़ सकता है। सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर घरेलू कंपनियों को प्रतिकूल परिस्थितियों का फायदा उठाते हुये बेहतर अवसर देखकर खरीदने की कोशिशों को रोकने के लिये यह कदम उठाया है। पाकिस्तान और बांग्लादेश के निवेशकों पर यह शर्त पहले से लागू है। बयान में कहा गया कि सरकार ने मौजूदा हालात का फायदा उठाकर भारतीय कंपनियों को खरीदने की हो सकने वाली कोशिशों को रोकने के लिये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति की समीक्षा की है। 

विभाग ने बताया कि किसी भारतीय कंपनी में मौजूदा एफडीआई या भविष्य के एफडीआई से मालिकाना हक बदलता है और इस तरह के सौदों में लाभार्थी भारत से सीमा साझा करने वाले देशों में स्थित होता है या वहां का नागरिक है, तो इनके लिये भी सरकार की मंजूरी की जरूरत होगी।’’ 

नांगिया एंडरसन एलएलपी के निदेशक संदीप झुनझुनवाला ने इस बारे में कहा कि भारत-चीन आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिषद के आकलन के अनुसार, चीन के निवेशकों ने भारतीय स्टार्टअप में करीब चार अरब डॉलर निवेश किये हैं। उन्होंने कहा, ‘‘उनके निवेश की रफ्तार इतनी अधिक है कि भारत के 30 यूनिकॉर्न में से 18 को चीन से वित्तपोषण मिला हुआ है। चीन की प्रौद्योगिकी कंपनियों के कारण उत्पन्न हो रही चुनौतियों को रोकने के लिये कदम उठाने का यही सही समय है।’’ 

उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2019 से अप्रैल 2000 के दौरान भारत को चीन से 2.34 अरब डॉलर यानी 14,846 करोड़ रुपये के एफडीआई मिले हैं। भारत के साथ पाकिस्तान, चीन, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और म्यांमा की सीमाएं लगी हैं। (भाषा इनपुट के साथ)
 

Web Title: Modi Government nod mandatory for FDI from neighbouring countries, walling off China

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