"प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को खत्म कर सकती है मोदी सरकार!", सुब्रमण्यम स्वामी के ट्वीट ने मचाई खलबली
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: December 9, 2022 09:32 PM2022-12-09T21:32:31+5:302022-12-09T21:38:24+5:30
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आशंका व्यक्त की है कि मोदी सरकार प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को संसद के जरिये खारिज कर सकती है और काशी के साथ-साथ मथुरा में भी हिंदू मंदिरों के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
दिल्ली: भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने शुक्रवार को काशी के ज्ञानवापी विवाद और मथुरा विवाद में मुस्लिम पक्ष की ओर से प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के हवाले से हिंदू पक्ष की दावेदारी खारिज किये जाने के संबंध में यह कहकर हड़कंप मचा दिया कि केंद्र सरकार इस एक्ट को खारिज कर सकती है और काशी और मथुरा में हिंदू मंदिरों के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
इस संबंध में ट्वीट करते हुए स्वामी ने कहा, "मुझे अधिकारियों से पता चला है कि प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट को हटाया जा सकता है। मोदी सरकार विधेयक के जरिये इस कानून को समाप्त करेगी। मेरे रिट पिटिशन पर सुनवाई अब पूरी होने वाली थी और मैं यह केस कम से कम कृष्ण जन्मभूमि मंदिर और ज्ञानवापी काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए जीत भी लेता।"
I am hearing from officials that Places of Worship Act is being scrapped Modi government by bring a Bill to delete the Act. My WP was in an advanced state of conclusion and I would have won the case at least for Krishna Janmashtami Bhoomi temple and Gyan Vapi Kashi Vishwanath
— Subramanian Swamy (@Swamy39) December 9, 2022
साल 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने विवादित धर्म स्थलों की सुरक्षा के लिए प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट लेकर आयी थी। जिसके मुताबिक यह प्रावधान किया गया था कि साल 1947 के बाद से जो धर्मस्थल जिस भी अवस्था में उसे उसी अवस्था में सहेज कर रखा जाएगा। राव सरकार के इस प्रवाधान को सुब्रमण्यन स्वामी ने भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है।
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी विवाद की सुनवाई करते हुए उस केस को प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का अपवाद मानते हुए दायरे से बाहर रखा था लेकिन साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि था कि इस तरह के अन्य धार्मिक विवाद में प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 लागू होगा और उसी दायरे में किसी भी धार्मिक स्थल के विवाद की सुनवाई होगी।
यही कारण है कि हिंदू पक्ष द्वारा मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद और काशी में ज्ञानवापी मस्जिद पर किये गये दावे को मुस्लिम पक्ष ने प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला देते हुए खारिज करता रहा है। अब जब काशी का ऐतिहासिक ज्ञानवापी विवाद एक बार फिर से वाराणसी, इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है तो प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट मुस्लिम पक्ष के लिए ढाल की तरह काम आ रहा है।
काशी में वाराणसी कोर्ट के आदेश से हुए वीडियो सर्वे में हिंदू पक्ष ने जब मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया तो मुस्लिम पक्ष ने उसे फव्वारा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में मामले को चुनौती दी है। इस कारण कई हिंदू संगठनों द्वारा केंद्र सरकार पर दबाव डाला जा रहा है कि प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट को संसद के जरिये खत्म करते हिंदू पक्ष के लिए मार्ग प्रशस्त किया जाए।