मोदी सरकार के 98 हजार करोड़ के बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर बड़ा अड़ंगा, आदिवासी नहीं देंगे अपनी जमीनें
By आदित्य द्विवेदी | Published: June 2, 2018 11:48 AM2018-06-02T11:48:29+5:302018-06-02T11:59:37+5:30
पालघर जिले के 70 से ज्यादा आदिवासी गांव ने बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए अपनी जमीन देने से मना कर दिया है।
नई दिल्ली, 02 जूनः मोदी सरकार का महात्वाकांक्षी मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट 2022 तक पूरा होने की उम्मीद थी लेकिन इसमें बड़ा अडंगा लग सकता है। महाराष्ट्र के पालघर जिले में इस प्रोजेक्ट के लिए जमीन मिलने में मुश्किल हो सकती है। इस मसले पर स्थानीय समुदाय और जनजातीय लोग विरोध में उतर आए हैं। इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक पालघर जिले के 70 से ज्यादा आदिवासी गांव ने बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए अपनी जमीन देने से मना कर दिया है। इस इलाके से गुजरने वाली महत्वाकांक्षी रेल परियोजना के खिलाफ बड़े विरोध प्रदर्शन की भी तैयारी की जा रही है।
सरकार ने 508 किमी लंबे बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के लिए 2018 के अंत तक जमीन अधिग्रहण का लक्ष्य रखा है। इस ट्रेन का करीब 110 किमी हिस्सा पालघर जिले से होकर गुजरता है जहां आदिवासी जमीन देने को तैयार नहीं हैं। रेल अधिकारियों का कहना है कि सरकार किसानों को सर्किल रेट से पांच गुना दाम ऑफर कर रही है। अधिकारी आदिवासियों को मनाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं।
बुलेट ट्रेन से जुड़ी कुछ खास बातेंः-
- मुंबई और अहमदाबाद के बीच के 508 किलोमीटर के रूट पर चलेगी बुलेट ट्रेन।
- 508 किलोमीटर की दूरी बुलेट ट्रेन से सिर्फ दो घंटे सात मिनट में पूरी होगी।
- इस रूट पर बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स, ठाणे, विरार, बोइसर, वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरुच, वडोदरा, आणंद, अहमदाबाद और साबरमती 12 स्टेशन बनाए जाने हैं।
- भारत के पहले बुलेट ट्रेन की औसत स्पीड 320 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी और यह अधिकतम 350 किलोमीटर प्रतिघंटा के स्पीड से दौड़गी।
- इस रूट पर 468 किलोमीटर लंबा ट्रैक एलिवेडेट होगा, 27 किलोमीटर सुरंग के अंदर और बाक़ी 13 किलोमीटर ज़मीन पर।
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