जम्मू-कश्मीरः घाटी में आज से इंटरनेट सर्विस होगी शुरू, पुलवामा और शोपियां जिलों में रहेगा प्रतिबंध जारी 

By रामदीप मिश्रा | Updated: May 12, 2020 06:51 IST2020-05-12T06:51:48+5:302020-05-12T06:51:48+5:30

जम्मू-कश्मीर की सरकार ने कल (11 मई) आदेश जारी कर कहा है कि पुलवामा और शोपियां जिलों को छोड़कर कश्मीर घाटी में मोबाइल डाटा सेवाओं को बहाल किया जा रहा है।

Mobile data services shall be restored forthwith in the Kashmir valley today | जम्मू-कश्मीरः घाटी में आज से इंटरनेट सर्विस होगी शुरू, पुलवामा और शोपियां जिलों में रहेगा प्रतिबंध जारी 

कश्मीर में आज से शुरू होगी इंटरनेट सेवा। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsपुलवामा और शोपियां जिलों को छोड़कर कश्मीर घाटी में मोबाइल डाटा सेवाओं को बहाल किया जाएगा।हालांकि यहां 4जी स्पीड नहीं दी जाएगी।

श्रीनगरः कोरोना वायरस के फैले प्रकोप के बीच घाटी में मोबाइल फोन पर 4जी इंटरनेट सेवाएं बहाल करने को लेकर लगातार मांग की जा रही है। इस बीच जम्मू-कश्मीर सरकार ने आदेश जारी किया है कि पुलवामा और शोपियां जिलों को छोड़कर कश्मीर घाटी में मोबाइल डाटा सेवाओं को बहाल किया जाएगा। हालांकि यहां 4जी स्पीड नहीं दी जाएगी।   

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर की सरकार ने कल (11 मई) आदेश जारी कर कहा है कि पुलवामा और शोपियां जिलों को छोड़कर कश्मीर घाटी में मोबाइल डाटा सेवाओं को बहाल किया जा रहा है। लेकिन, इंटरनेट की गति केवल केंद्र शासित प्रदेश में 2G तक ही सीमित रहेगी। यह आदेश आज (12 मई) से प्रभावी होगा।

बीते दिन सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल करने के आवेदनों पर विचार के लिए गृह सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय विशेष समिति गठित करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस केन्द्र शासित प्रदेश के 'उग्रवाद से ग्रस्त' होने के तथ्य के मद्देनजर राष्ट्रीय सुरक्षा और मानव अधिकारों की जरूरतों के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता है। वैश्विक महामारी और राष्ट्रीय लॉकडाउन को देखते हुए केन्द्र शासित प्रदेश में बेहतर इंटरनेट सेवा अपेक्षित है। 


न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने कहा था हालांकि, सीमा पार से घुसपैठ करने और राष्ट्र की अखंडता को अस्थिर करने के बाहरी ताकतों के प्रयासों तथा कुछ घटनाओं में निर्दोष नागरिकों और सुरक्षा बल के सदस्यों की मृत्यु के तथ्यों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

पीठ ने अपने 19 पेज के फैसले में कहा कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा और मानव अधिकारों के बीच संतुलन बनाने के संवेदनशील काम को बहुत ही गंभीरता से ले रही है। पीठ ने अपने पहले के एक फैसले का भी हवाला दिया जिसमे आपात स्थिति का मुकाबला करने के लिये हकीकत में प्रतिबंधों और इसके दायरे की आवश्यकता का जिक्र किया गया था। 

Web Title: Mobile data services shall be restored forthwith in the Kashmir valley today

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