आइजोल, 16 जुलाई मिजोरम सरकार ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि पड़ोसी राज्य असम उसकी जमीन पर दावा कर रहा है, तथा इन सीमावर्ती गांवों में 100 साल से ज्यादा समय से मिजो लोग रह रहे हैं।
पीटीआई/भाषा से बातचीत में मिजोरम के मुख्य सचिव लालनुनमाविया चुआनगो ने दावा किया कि राज्य ने असम की सीमा में एक इंच का भी अतिक्रमण नहीं किया है, जैसा कि पड़ोसी राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा दावा कर रहे हैं।
चुआनगो ने कहा, ‘‘असम, मिजोरम की उस जमीन पर दावा कर रहा है, जिसपर सीमावर्ती गांव के लोग 100 साल से भी ज्यादा वक्त से बचे हुए हैं। उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों से साबित हो जाएगा कि असम जिस जमीन को अपना बता रहा है, उसपर एक सदी से भी ज्यादा समय से मिजो बसे हुए हैं। मिजोरम ने असम की सीमा में कोई अतिक्रमण नहीं किया है। बल्कि इसके विपरीत हुआ है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि विवादित क्षेत्र पर यथा स्थिति बनाए रखने के आदेश के बावजूद असम पुलिस और राज्य वन विभाग के अधिकारियों की निगरानी में जून-जुलाई में असम के अधिकारियों ने सीमा में अतिक्रमण किया।
मुख्य सचिव ने कहा, ‘‘असम सरकार द्वारा मिजोरम के अधिकारियों के खिलाफ दायर किया गया मुकदमा मिजोरम की सीमा पर उनके भीषण अतिक्रमण को छुपाने का नाटक है।’’
मिजोरम के गृह मंत्रालय की शीर्ष अधिकारी ने कहा कि मिजोरम जहां बंगाल पूर्वी सीमांत नियम, 1873 के तहत 1875 में अधिसूचित 509 वर्ग मील के आरक्षित वन क्षेत्र के अंदरुनी हिस्से को सीमा मानता है, वहीं असम 1933 में तय संवैधानिक नक्शे को मानता है।
उन्होंने कहा कि 1933 के नक्शे की सीमा थोपी गई थी क्योंकि परिसीमन के समय मिजोरम की राय नहीं ली गई थी और दोनों राज्यों द्वारा संयुक्त रूप से सीमाओं का सत्यापन नहीं हुआ था।
गौरतलब है कि असम के मुख्यमंत्री सरमा ने सोमवार को राज्य विधानसभा को बताया था कि बराक घाटी में 1,777.58 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा किया गया है।
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