Mission Shakti: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (27 मार्च) को अंतरिक्ष में भारत के चौथी महाशक्ति बनने का एलान किया। उन्होंने बताया कि भारतीय वैज्ञानिकों ने स्वदेश निर्मित एंटी सैटेलाइट वेपन (ए-सेट) से अंतरिक्ष में सैटेलाइन गिराने का सफल परीक्षण किया है। यह तकनीक अब तक रूस, अमेरिका और चीन के पास थी। इसी के साथ देश की राजनीति गरमा गई। कांग्रेस ने जहां इसे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में शुरू किया गया मिशन बताया तो बीजेपी ने कहा कि उस वक्त के अखबार सबूत हैं कि पूर्व की यूपीए सरकार ने वैज्ञानिकों को इस काम के लिए मना कर दिया था।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए डीआरडीओ के पूर्व प्रमुख वीके सारस्वत का जिक्र भी किया था। वहीं, वीके सारस्वत ने भी जेटली की बात पर मुहर लगा दी। बता दें कि सारस्वत वर्तमान मोदी सरकार में नीति आयोग के सदस्य भी हैं।
सारस्वत ने समाचार एजेंसी एएनआई से मिशन शक्ति को लेकर कहा, ''हमने नेशनल सिक्यॉरिटी एडवाइजर और नेशनल सिक्यॉरिटी काउंसिल के सामने प्रस्ताव रखा था, जब ऐसी चर्चाएं हुईं, उन्हें पूरी तरह से सुना गया, दुर्भाग्यवश हमें सरकार से सकारात्मक उत्तर नहीं मिला था, इसलिए हम आगे नहीं बढ़े थे।''
वहीं, सारस्वत ने आगे कहा, ''जब डॉक्टर सतीश रेड्डी और एनएसए अजित डोवाल ने पीएम मोदी के सामने मिशन शक्ति को लेकर प्रस्ताव रखा तो उनमें साहस था और जिसके आधार पर उन्होंने आगे बढ़ने को कहा। अगर 2012-13 में हरी झंडी मिल जाती तो मुझे पूरा विश्वास है कि यह लॉन्च 2014-15 में हो जाता।''
बता दें कि कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा, ''ए-सेट प्रोग्राम को यूपीए सरकार ने शुरू किया था और इसके लिए अंतरिक्ष वैज्ञानिकों और डॉक्टर मनमोहन सिंह की दूरदर्शी नेतृत्व क्षमता को बधाई देता हूं।''
वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि चुनाव के वक्त प्रधानमंत्री को इस तरह से आचार संहिता तोड़ने की क्या जरूरत थी, क्या वह वहां काम करते हैं? क्या वह अंतरिक्ष में जा रहे हैं?