नाबालिग को जेल में या पुलिस हिरासत में नहीं रखा जा सकता, जेजेबी “मूकदर्शक” बनकर नहीं रह सकताः कोर्ट

By भाषा | Published: February 12, 2020 07:33 PM2020-02-12T19:33:06+5:302020-02-12T19:33:06+5:30

उच्चतम न्यायालय ने अपने 10 फरवरी के आदेश में कहा, “अगर जमानत नहीं दी जाती है, तो भी बच्चे को जेल या पुलिस हिरासत में नहीं रखा जा सकता और उसे निरीक्षण गृह या किसी सुरक्षित स्थान पर रखना होगा।” पीठ ने आगे कहा, “सभी जेजेबी को कानून के प्रावधानों की भावना का अक्षरश: पालन करना चाहिए।

Minor cannot be kept in jail or in police custody, Juvenile Justice Board cannot remain as "mute spectator": Court | नाबालिग को जेल में या पुलिस हिरासत में नहीं रखा जा सकता, जेजेबी “मूकदर्शक” बनकर नहीं रह सकताः कोर्ट

यह सुनिश्चित करें कि आदेश को सख्ती से लागू करने के लिए इसकी एक प्रति प्रत्येक जेजेबी को भेजी जाए। 

Highlightsबच्चों को कथित रूप से पुलिस हिरासत में हिरासत में रखकर “प्रताड़ित” करने से संबंधित थे। यह सुनिश्चित करना जेजेबी की जिम्मेदारी है कि बच्चे को तुरंत जमानत दी जाए।

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि किसी नाबालिग को जेल में या पुलिस हिरासत में नहीं रखा जा सकता है। साथ ही न्यायालय ने साफ किया कि किशोर न्याय बोर्ड “मूकदर्शक” बनकर नहीं रह सकता है।

शीर्ष न्यायालय ने कहा कि देश में सभी किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) को किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की “अक्षरश: भावना” का पालन करना ही चाहिए और बच्चों के संरक्षण के लिए बने कानून की “उपेक्षा किसी के द्वारा नहीं” की जा सकती, कम से कम पुलिस के द्वारा तो बिल्कुल भी नहीं।

न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने यह बात तब कही, जब उनका ध्यान दो घटनाओं और मीडिया में आए उत्तर प्रदेश तथा दिल्ली से संबंधित कुछ आरोपों की ओर दिलाया गया, जो बच्चों को कथित रूप से पुलिस हिरासत में हिरासत में रखकर “प्रताड़ित” करने से संबंधित थे।

पीठ ने कहा, “धारा (अधिनियम की) के प्रावधानों में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कथित रूप से कानून के साथ छेड़छाड़ करने वाले किसी बच्चे को पुलिस हिरासत में या जेल में नहीं रखा जाएगा। एक बच्चे को जैसे ही जेजेबी के सामने पेश किया जाएगा, उसे जमानत देने का नियम है।”

न्यायालय ने अपने 10 फरवरी के आदेश में कहा, “अगर जमानत नहीं दी जाती है, तो भी बच्चे को जेल या पुलिस हिरासत में नहीं रखा जा सकता और उसे निरीक्षण गृह या किसी सुरक्षित स्थान पर रखना होगा।” पीठ ने आगे कहा, “सभी जेजेबी को कानून के प्रावधानों की भावना का अक्षरश: पालन करना चाहिए।

हम यह स्पष्ट करते हैं कि जेजेबी मूकदर्शक बने रहने, और मामला उनके पास आने पर ही आदेश पारित करने के लिए नहीं बनाए गए हैं।” पीठ ने आगे कहा कि जेजेबी के संज्ञान में अगर किसी बच्चे को जेल या पुलिस हिरासत में बंद करने की बात आती है, तो वह उस पर कदम उठा सकता है।

उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना जेजेबी की जिम्मेदारी है कि बच्चे को तुरंत जमानत दी जाए या निरीक्षण गृह या सुरक्षित स्थान में भेजा जाए। पीठ ने शीर्ष न्यायालय के कार्यालय को निर्देश दिया कि वह इस आदेश की एक प्रति सभी उच्च न्यायालयों को महापंजीयकों को भेजे, ताकि प्रत्येक उच्च न्यायालय में किशोर न्याय समितियों को आदेश मिल सके और वे यह सुनिश्चित करें कि आदेश को सख्ती से लागू करने के लिए इसकी एक प्रति प्रत्येक जेजेबी को भेजी जाए। 

Web Title: Minor cannot be kept in jail or in police custody, Juvenile Justice Board cannot remain as "mute spectator": Court

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