मिल्कीपुर विधानसभा सीट उपचुनावः सीएम योगी ने सपा मुखिया अखिलेश यादव से लिया बदला?, 61710 वोट से जीते चंद्रभानु पासवान, सांसद अवधेश प्रसाद के पुत्र अजीत प्रसाद हारे
By राजेंद्र कुमार | Updated: February 8, 2025 15:50 IST2025-02-08T15:49:06+5:302025-02-08T15:50:13+5:30
Milkipur Assembly seat by-election: मिल्कीपुर सीट से चुनाव लड़ने वाले सपा प्रत्याशी अजीत प्रसाद भाजपा प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान से 61710 मतों से चुनाव हार गए.

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Milkipur Assembly seat by-election: उत्तर प्रदेश में अयोध्या की बहुचर्चित सीट मिल्कीपुर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पार्टी प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान को चुनाव जिताकर समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव को हर स्तर पर पटकनी दे दी है. सीएम योगी ने इस सीट पर पार्टी प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान को जिताने के लिए जो चुनावी रणनीति तैयार की उस अखिलेश यादव भेद नहीं सके. चुनाव प्रचार से लेकर बूथ तक मतदाताओं को लाने के लिए किए प्रबंधन आदि सभी मामलों में सीएम योगी की रणनीति की काट अखिलेश यादव नहीं कर सके. परिणाम स्वरूप मिल्कीपुर सीट से चुनाव लड़ने वाले सपा प्रत्याशी अजीत प्रसाद भाजपा प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान से 61710 मतों से चुनाव हार गए.
मिल्कीपुर में BJP ने सपा को हराया, 60 हजार से अधिक वोटों से चंद्रभानु पासवान ने लहराया भगवा का परचम.#Milkipur#BJPpic.twitter.com/WCtxb7gINt
— News18 Uttar Pradesh (@News18UP) February 8, 2025
BREAKING NEWS - BJP candidate Chandrabhanu Paswan wins Milkipur bypoll in Ayodhya by 70,000 votes.
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#WATCH | BJP candidate from Milkipur assembly constituency, Chandrabhanu Paswan offers prayers at a temple in Ayodhya. He is leading against Samajwadi Party's Ajith Prasad in the bypoll pic.twitter.com/kMHAxhvvGy— ANI (@ANI) February 8, 2025
योगी यह रणनीति अखिलेश पर पड़ी भारी
सपा मुखिया अखिलेश यादव के लिए ये हार कडा झटका है. वही दूसरी तरफ सीएम योगी ने भाजपा प्रत्याशी को बड़े मार्जिन से चुनाव जितवाकर लोकसभा चुनाव में अयोध्या संसदीय सीट पर हुई हर का बदला ले लिए है. भाजपा की इस जीत से यह भी जाहिर हो गया है कि यूपी में अखिलेश यादव अपने बलबूते पर सीएम योगी की चुनावी रणनीति को ध्वस्त नहीं कर सकते.
यूपी में अखिलेश यादव का पीडीए (दलित, मुस्लिम तथा अल्पसंख्यक) फार्मूला कांग्रेस को दूर रखकर सफल नहीं होगा. यह दावा करने वाले राजनीति के जानकारों का कहना है कि मिल्कीपुर में अखिलेश द्वारा कांग्रेस को साथ ना रखने की नीति के चलते ही सपा उम्मीदवार अजीत प्रसाद बड़े मार्जिन से हारे हैं.
मिल्कीपुर के लोगों का कहना है कि सीएम योगी ने बीते जून में हुए लोकसभा चुनाव में मिली हार से सबक लेते हुए स्थानीय स्तर पर लोगों की नाराजगी को दूर करने पर ध्यान दिया. इसके लिए छह मंत्रियों की ड्यूटी उन्होने यहां लगाई. फिर इस सीट को क्षेत्रवार अलग-अलग हिस्सों में बांटकर मंत्रियों के साथ-साथ 40 विधायकों को काम सौंपे गए.
खुद सीएम योगी छह माह के भीतर आठ बार मिल्कीपुर आए और इलाके के विकास के लिए सरकार का खजाना खोला. फिर उन्होंने चंद्रभानु पासवान को चुनाव मैदान में उतार कर पासी वोटों पर अखिलेश यादव के पीडीए फार्मूले को चुनौती दी और मिल्कीपुर से जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए वहां सामाजिक स्तर पर काम किया.
अब रणनीति अपनाएंगे अखिलेश
सीएम योगी की इस चुनावी रणनीति को सपा मुखिया अखिलेश यादव भेद नहीं सके. वह सिर्फ दो बार इस सीट पर चुनाव प्रचार करने आए. महिलाओं के मतों को पाने के लिए उन्होने सांसद डिंपल यादव को रोड शो करने के लिए भेजा लेकिन उन्होंने महंगाई, बेरोजगारी, अस्पताल और स्कूलों की खराब हालत को मुद्दा नहीं बनाया.
यहीं नहीं अखिलेश यादव ने भाजपा की तरफ इस सीट पर नए चेहरे को चुनाव मैदान में उतारने की पहल नहीं की. बल्कि पार्टी सांसद के बेटे को ही चुनाव मैदान में उतार दिया. अखिलेश यादव के इस फैसले से अजीत प्रसाद के पक्ष में वैसा माहौल नहीं बता जैसा की घोसी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सपा के उम्मीदवार के पक्ष में बना था.
परिणाम स्वरुप सपा प्रत्याशी अजीत प्रसाद की बड़े मार्जिन से चुनाव हार गए. इस हार से यह संदेश है कि यूपी में सीएम योगी और भाजपा से मुक़ाबला करने के लिए अखिलेश यादव को कांग्रेस के साथ उसी तरफ से मिलकर चुनाव मैदान में उतरना होगा जैसे वह बीते लोकसभा चुनाव में उतरे थे. अब देखना यह है कि इस हार से सबक लेते हुए अखिलेश यादव अपनी खामियों को कैसे दूर करेंगे और भाजपा के बढ़ते कदमों को रोकने के लिए क्या रणनीति तैयार करते हैं.
कौन हैं चंद्रभानु पासवान
मिल्कीपुर सीट से चुनाव जीते चंद्रभानु पासवान को सीएम योगी ने दो पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा और रामू प्रियदर्शी किनारे कर चुनाव मैदान में उतारा था. चंद्रभानु पासवान पार्टी की जिला कार्यसमिति के सदस्य हैं. बीते लोकसभा चुनाव में वह अनुसूचित जाति मोर्चे में संपर्क प्रमुख रहे थे. रुदौली के परसौली गांव के निवासी चंद्रभानु की शैक्षिक योग्यता बीकॉम, एमकॉम और एलएलबी है.
पेशे से अधिवक्ता होने के साथ कपड़े के कारोबारी हैं और गुजरात के अहमदाबाद और सूरत तक इनका कारोबार फैला है. चंद्रभानु पासी समाज से आने वाले चंद्रभानु की पत्नी कंचन पासवान वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य हैं.