वैष्णो देवी मेडिकल कालेज विवादः सीट को लेकर उमर अब्दुल्ला और भाजपा में ठनी?, पहले एमबीबीएस बैच एडमिशन को लेकर विवाद
By सुरेश एस डुग्गर | Updated: November 26, 2025 16:17 IST2025-11-26T16:16:22+5:302025-11-26T16:17:18+5:30
Vaishno Devi Medical College controversy: भारतीय जनता पार्टी की जम्मू कश्मीर यूनिट के प्रेसिडेंट और नए चुने गए राज्यसभा मेंबर सत शर्मा ने कहा कि श्राइन बोर्ड को सपोर्ट करने वालों को सीटें मिलनी चाहिए।

file photo
जम्मूः वैष्णो देवी मेडिकल कालेज में एमबीबीएस के प्रवेश का मुद्दा अब पूरी तरह से जम्मू बनाम कश्मीर हो चुका है। कई संघर्ष समितियों का गठन इसके विरोध के लिए गठित कर पूरे प्रदेश में आंदोलन का बिगुल बजाया जा चुका है तो भाजपा ने इसे सांप्रदायिक रंगत देते हुए मांग कर डाली है कि वैष्णो देवी बोर्ड को सपोर्ट करने वालों को ही इसमें सीटें मिलनी चहिए।
जबकि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पलटवार करते हुए कहा कि मुस्लिम छात्रों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। माता वैष्णो देवी मेडिकल करलेज में पहले एमबीबीएस बैच के एडमिशन को लेकर चल रहे विवाद के बीच, भारतीय जनता पार्टी की जम्मू कश्मीर यूनिट के प्रेसिडेंट और नए चुने गए राज्यसभा मेंबर सत शर्मा ने कहा कि श्राइन बोर्ड को सपोर्ट करने वालों को सीटें मिलनी चाहिए।
जबकि हेल्थ और एजुकेशन मिनिस्टर सकीना इटू ने कहा कि मुस्लिम स्टूडेंट्स पर कोई रोक नहीं है और डाक्टर सभी मरीजों का इलाज करते हैं, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। यह विवाद तब शुरू हुआ जब पहले नीट बैच के एडमिशन में 50 में से 42 सीटें पूरी तरह से मेरिट के आधार पर मुस्लिम स्टूडेंट्स को दी गईं।
हिंदू ग्रुप्स ने श्राइन बोर्ड द्वारा चलाए जा रहे कालेज के लिए माइनारिटी स्टेटस की मांग की है, उनका तर्क है कि ज्यादातर डोनेशन हिंदू तीर्थयात्रियों से आता है और सीट अलाटमेंट में यह दिखना चाहिए। एडमिनिस्ट्रेशन ने अभी तक माइनारिटी स्टेटस की मांग या एडमिशन प्रोसेस में किसी भी बदलाव के बारे में कोई फार्मल जवाब नहीं दिया है।
इस बीच, कश्मीर के नेताओं ने इस कदम का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि एडमिशन धर्म के आधार पर नहीं होने चाहिए। कैबिनेट मिनिस्टर सकीना इटू ने कहा कि बच्चों या धर्म पर पालिटिक्स नहीं होनी चाहिए। मेडिकल यूनिवर्सिटी में एडमिशन पाने वाले स्टूडेंट्स का सिलेक्शन मेरिट के आधार पर हुआ है। मुस्लिम स्टूडेंट्स वहां पढ़ते हैं और कोई रोक नहीं है। डाक्टर बिना धर्म देखे मरीजों का इलाज करते हैं।
हालांकि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सवाल किया कि अगर श्री माता वैष्णो देवी यूनिवर्सिटी का मकसद किसी खास समुदाय के लिए सीटें रिजर्व करना था, तो उसे बनने के समय माइनारिटी का दर्जा क्यों नहीं दिया गया। उमर ने रिपोर्टरों से बात करते हुए कहा कि मेडिकल कालेज बनने के समय इंस्टीट्यूट को माइनारिटी का दर्जा क्यों नहीं दिया गया?
विधानसभा में विपक्ष के नेता सुनील शर्मा पर प्रतिक्रिया देते हुए उमर ने कहा कि आपको माइनारिटी का दर्जा देना था, लेकिन आपने नहीं दिया। एडमिशन सिर्फ एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर होते हैं। धर्म नहीं देखा जाता। अब, अगर आप चाहते हैं कि मुसलमान वहां न पढ़ें, तो इसे माइनारिटी इंस्टीट्यूट घोषित कर दें, और वहां एनरोल मुस्लिम और सिख बच्चे छोड़कर कहीं और एडमिशन ले लेंगे।
उमर ने कहा कि इन बच्चों को मेरिट के आधार पर एडमिशन मिला है और उन्हें कहीं और एनरोल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लेकिन मुसलमानों पर उंगली नहीं उठानी चाहिए, उन्हें कम्युनल, सेक्टेरियन या दूसरों के प्रति इनटालरेंट नहीं कहना चाहिए। अगर उनके बच्चों को कुछ होता है, तो पूरी कम्युनिटी को दोष मत दो।