सशस्त्र बलों के सदस्य विशिष्ट व्यवहार पाने के हकदार, उन्हें परेशान नहीं किया जाना चाहिए : अदालत

By भाषा | Published: November 28, 2020 10:06 PM2020-11-28T22:06:08+5:302020-11-28T22:06:08+5:30

Members of the armed forces are entitled to specific treatment, they should not be disturbed: court | सशस्त्र बलों के सदस्य विशिष्ट व्यवहार पाने के हकदार, उन्हें परेशान नहीं किया जाना चाहिए : अदालत

सशस्त्र बलों के सदस्य विशिष्ट व्यवहार पाने के हकदार, उन्हें परेशान नहीं किया जाना चाहिए : अदालत

नयी दिल्ली, 18 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि देश के लिए जीवन बलिदान कर देने की शपथ लेने वाले सशस्त्र बलों के सदस्य विशिष्ट व्यवहार पाने के हकदार हैं और उन्हें अनावश्यक परेशान नहीं किया जाना चाहिए और न ही न्याय पाने के लिए उन्हें एक जगह से दूसरी जगह दौड़ाया जाना चाहिए।

अदालत ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यों के राज्यपालों या उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा ली जाने वाली शपथ में उन्हें देश की सेवा में जीवन का बलिदान करने की जरूरत नहीं है।

न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ और न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने कहा कि सिर्फ सशस्त्र बलों के सदस्यों से ही संविधान और अन्य कानूनों के तहत यह शपथ लेने को कहा जाता है कि वे राष्ट्रपति या अपने कमांडिंग अफसर के आदेश पर अपना जीवन बलिदान कर देंगे।

अदालत 40 याचिकाओं के समूह पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें रक्षा मंत्रालय के एक आदेश को चुनौती दी गई है। उसमें कहा गया है कि यथानुपात (प्रो-राटा) के आधार पर पेंशन का लाभ रक्षा सेवाओं के सिर्फ कमीशंड अधिकारियों को दिया जाएगा और गैर-कमीशंड अधिकारियों या अधिकारी रैंक से नीचे के कर्मचारियों को यह लाभ नहीं मिलेगा।

याचिकाकर्ताओं--भारतीय वायुसेना में एयरमैन/कॉरपोरल के तौर पर नियुक्ति पाने वाले गैर-कमीशंड अधिकारियों या अधिकारी रैंक से नीचे के कर्मचारियों-- ने रक्षा मंत्रालय के आदेश को भेदभाव पूर्ण बताते हुए यथानुपात के आधार पर पेंशन की मांग की है।

उच्च न्यायालय ने याचिकाएं मंजूर करते हुए भारतीय वायुसेना से 12 सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ताओं को यथानुपात (प्रो-राटा) पेंशन की बकाया राशि देने को कहा है।

अदालत ने कहा कि भविष्य में उन्हें मार्च 2021 से यथानुपात पेंशन दिया जाएगा और अगर 12 सप्ताह के भीतर बकाया राशि नहीं दी जाती है तो इस अवधि के बाद से भुगतान होने तक उसपर 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देना होगा।

यथानुपात पेंशन सरकारी सेवाओं के लिये आनुपातिक पेंशन होता है, जिसकी गणना सरकारी पेंशन नियमावली के अनुसार की जाती है।

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