नागरिकता संशोधन बिल के लोकसभा में पास होने के बाद अमेरिकी आयोग ने भारत सरकार के इस कदम पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक ‘‘गलत दिशा में बढ़ाया गया एक खतरनाक कदम है।’’ यदि यह भारत की संसद में पारित होता है तो भारत के गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
इसके बाद भारत सरकार की तरफ से विदेश मंत्रालय ने जवाब देते हुए कहा है कि अमेरिकी आयोग का यह बयान न तो सही है और न ही सटीक है। भारत सरकार ने कहा कि हर देश के पास अपने नागरिकों को विशेष अधिकार देने का हक है। यूएस भी अपने देश के लोगों को नागरिकता देने के लिए विशेष कानून बना सकता है।
बता दें कि यूएससीआईआरएफ ने सोमवार को एक बयान में कहा कि विधेयक के लोकसभा में पारित होने से वह बेहद चिंतित है। लोकसभा ने सोमवार को नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) को मंजूरी दे दी, जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है।
आयोग ने कहा, ‘‘ अगर कैब दोनों सदनों में पारित हो जाता है तो अमेरिकी सरकार को गृह मंत्री अमित शाह और मुख्य नेतृत्व के खिलाफ प्रतिबंध लगाने पर विचार करना चाहिए।’’ उसने कहा, ‘‘ अमित शाह द्वारा पेश किए गए धार्मिक मानदंड वाले इस विधेयक के लोकसभा में पारित होने से यूएससीआईआरएफ बेहद चिंतित है ।’’
नागरिकता संशोधन विधेयक के पक्ष में 311 मत और विरोध में 80 मत पड़े, जिसके बाद इसे लोकसभा से मंजूरी दे दी गई। अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन विधेयक को ऐतिहासिक करार देते हुए सोमवार को कहा था कि यह भाजपा के घोषणापत्र का हिस्सा रहा है तथा 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में देश के 130 करोड़ लोगों ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाकर इसकी मंजूरी दी है।
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने हालांकि इसका विरोध किया। यूएससीआईआरएफ ने आरोप लगाया कि कैब आप्रवासियों के लिए नागरिकता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है हालांकि इसमें मुस्लिम समुदाय का जिक्र नहीं है।