प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष को लेकर मायावती ने कहा- उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र का किया उल्लंघन

By मनाली रस्तोगी | Published: August 18, 2023 04:44 PM2023-08-18T16:44:00+5:302023-08-18T16:46:03+5:30

मायावती ने सोशल नेटवर्किंग मंच 'एक्स' पर लिखा, "आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय का, अपने लेख में देश में नए संविधान की वकालत करना उनके अधिकार क्षेत्र का खुला उल्लंघन है, जिसका संज्ञान लेकर केन्द्र सरकार को तुरन्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि आगे कोई ऐसी बात करने का दुस्साहस न कर सके।" 

Mayawati says Prime Minister's Economic Advisory Council chairman violated jurisdiction | प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष को लेकर मायावती ने कहा- उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र का किया उल्लंघन

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष को लेकर मायावती ने कहा- उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र का किया उल्लंघन

Highlightsबसपा प्रमुख ने कहा कि "नए संविधान" के विचार का विरोध करना सबकी जिम्मेदारी है।मायावती ने कहा कि बिबेक देबरॉय ने अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया है।उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है।

लखनऊ: प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष के नए संविधान की वकालत करने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने शुक्रवार को कहा कि बिबेक देबरॉय ने अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया है और केंद्र सरकार को उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है। 

मायावती ने सोशल नेटवर्किंग मंच 'एक्स' पर लिखा, "आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय का, अपने लेख में देश में नए संविधान की वकालत करना उनके अधिकार क्षेत्र का खुला उल्लंघन है, जिसका संज्ञान लेकर केन्द्र सरकार को तुरन्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि आगे कोई ऐसी बात करने का दुस्साहस न कर सके।" 

उन्होंने कहा, "देश का संविधान 140 करोड़ गरीब, पिछड़े और उपेक्षित लोगों के लिए मानवतावादी एवं समतामूलक होने की गारंटी है, जो स्वार्थी, संकीर्ण मानसिकता वाले, जातिवादी तत्वों को पसंद नहीं है।" 

बसपा प्रमुख ने आगे कहा कि "नए संविधान" के विचार का विरोध करना सबकी जिम्मेदारी है। हाल में देबरॉय ने एक लेख में लिखा था, "हमारा वर्तमान संविधान 1935 के भारत सरकार अधिनियम पर आधारित है। इस प्रकार यह भी एक औपनिवेशिक विरासत है। संविधान की समीक्षा के लिए गठित एक आयोग ने 2002 में एक रिपोर्ट दी थी लेकिन यह आधा-अधूरा काम था।" 

उन्होंने लिखा था "हम जो भी बहस करते हैं वह संविधान से शुरू हो कर संविधान पर ही खत्म होती है। कुछ संशोधनों से काम नहीं होगा। पीछे जा कर सोचना चाहिए और यह पूछना चाहिए कि प्रस्तावना में उल्लिखित शब्दों...समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, न्याय, स्वतंत्रता और समानता का अब क्या मतलब है। हम लोगों को खुद को एक नया संविधान देना चाहिए।" 

गत 14 अगस्त को प्रकाशित लेख के ऑनलाइन संस्करण के साथ एक अस्वीकरण भी है जिसमें लिखा है कि "यह लेखक के निजी विचार हैं। यह किसी भी तरह से प्रधानमंत्री या भारत सरकार की आर्थिक सलाहकार परिषद के विचारों को नहीं दर्शाते है।"

(भाषा इनपुट के साथ)

Web Title: Mayawati says Prime Minister's Economic Advisory Council chairman violated jurisdiction

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे