सोमवार (3 जून) से समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन के टूटने की जो अटकलें लग रही थीं, उन पर विराम लग गया है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खुद समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन पर फिलहाल विराम लगाने का औपचारिक एलान कर दिया।
मायवती ने आरोप लगाया है कि बीते लोकसभा चुनाव में यादव समाज के लोगों ने ही समाजवादी पार्टी को वोट नहीं दिया, ऐसे में उनसे बसपा के लिए उम्मीद नहीं की जा सकती है।
मायावती ने कहा कि लोकसभा चुनाव के नतीजे देखने के बाद वह ऐसा सोचने पर मजबूर हुई हैं। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि उन्होंने जनहित में सभी पुराना गिले-शिकवे मिटाए थे।
बसपा नेता ने कहा, 'कन्नौज में डिंपल, बदायूं में धर्मेंद यादव और फिरोजाबार में अक्षय यादव की हार हमें सोचने पर मजबूर करती है। इनकी हार का हमें भी बहुत दुख है। साफ है कि इन यादव बाहुल्य सीटों पर भी यादव समाज का वोट एसपी को नहीं मिला। ऐसे में यह सोचने की बात है कि एसपी को बेस वोट बैंक यदि उससे छिटक गया है तो फिर उनका वोट बीएसपी को कैसे गया होगा।'
हालांकि, मायावती ने कहा कि सपा के साथ गठबंधन का यह परमानेंट ब्रेक नहीं है। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव अगर पार्टी में कुछ बदलाव करेंगे तो फिर से साथ आ सकते हैं। मायावती ने कहा कि अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव ने उन्हें बहुत इज्जत दी और उन्होंने भी उन्हें परिवार का सदस्य माना है।
मायावती ने कहा कि उन्होंने फैसला लिया है कि अब उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में बसपा अकेले दम पर उपचुनाव लड़ेगी।
मायावती ने कहा कि उन्होंने समीक्षा में पाया है कि समाजवादी पार्टी ने अच्छा मौका गंवा दिया है। एसपी कार्यकर्ताओं ने बीएसपी कैडर की तरह काम नहीं किया। अगर सपा अध्यक्ष अपने कार्यकर्ताओं को मिशनरी बनाने में सफल हो जाते हैं तो फिर साथ चलकर काम किया जा सकता है, नहीं तो अकेले चलना ही बेहतर होगा।