मायावती-अखिलेश गठबंधन और प्रियंका गांधी की हवा को मात देने के लिए अमित शाह लड़ सकते हैं गोरखपुर से चुनाव?

By विकास कुमार | Updated: January 30, 2019 13:51 IST2019-01-30T13:51:40+5:302019-01-30T13:51:40+5:30

गोरखपुर से अमित शाह के चुनाव लड़ने के एलान के साथ ही भाजपा कार्यकर्ताओं में व्याप्त डर खत्म हो जायेगा. कार्यकर्ताओं में हिंदूत्व और राष्ट्रवाद के जोश का संचार होगा और क्षेत्रीय नेताओं का भी मनोबल ऊपर होगा.

Mayawati, Akhilesh yadav and Priyanka Gandhi will be challenged by Amit Shah in Gorakhpur | मायावती-अखिलेश गठबंधन और प्रियंका गांधी की हवा को मात देने के लिए अमित शाह लड़ सकते हैं गोरखपुर से चुनाव?

मायावती-अखिलेश गठबंधन और प्रियंका गांधी की हवा को मात देने के लिए अमित शाह लड़ सकते हैं गोरखपुर से चुनाव?

उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन से पहले ही हताश बीजेपी को उस समय एक और बड़ा झटका लगा जब प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश का कमान सौंप दिया गया. सामने से प्रियंका के राजनीतिक अस्तित्व को भले ही खारिज कर दिया गया हो लेकिन गांधी परिवार के एक और चर्चित सदस्य के राजनीतिक में उतरने के एलान के बाद भाजपा के नेता और कार्यकर्ता आतंकित हो चुके हैं. संगठन में डर बैठ हो चुका है और क्योंकि यूपी में बीजेपी के खिलाफ खेमेबंदी सफलतापूर्वक फ्लोर पर लांच हो गई है. 

ऐसे तमाम सीट पर बीजेपी के बड़े नेताओं के चुनाव हारने की बातें होने लगी हैं, जिनमें मनोज सिन्हा और महेंद्र नाथ पाण्डेय का भी नाम शामिल है. उत्तर प्रदेश की राजनीति में हमेशा से बड़े नेताओं की स्वीकार्यता रही है. मायावती और अखिलेश के गठबंधन के बाद इसीलिए कांग्रेस ने प्रियंका को मैदान में उतारा. तो क्या इस बार बीजेपी को भी कांग्रेस के राजनीतिक ब्रह्मास्त्र के काट के लिए ब्रह्मानंद की मदद लेनी चाहिए. 

अमित शाह और गोरखपुर 

नरेन्द्र मोदी बनारस से ही चुनाव लड़ेंगे. लेकिन कांग्रेस ने जिस तरह से प्रियंका गांधी को पूर्वांचल का कमान सौंपा है, उसको देखते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को योगी आदित्यनाथ के पूर्व संसदीय क्षेत्र गोरखपुर से चुनाव लड़ना चाहिए. और सुनी सुनाई है कि  शाह गोरखपुर से चुनाव लड़ सकते हैं, फिलहाल अमित शाह राज्यसभा से सांसद हैं. 

अमित शाह की छवि भी एक हिन्दुत्ववादी और राष्ट्रवादी नेता की है, मठ की राजनीति और दशकों से योगी आदित्यनाथ और उनके गुरु के संसदीय क्षेत्र होने के कारण इस सीट का राजनीतिक मिजाज भी हिंदूवादी ही है.

प्रियंका का पूर्वांचल प्रेम 

योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद इस सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा की हार हुई थी जिसे योगी के लिए बड़ा झटका माना गया था. लेकिन ऐसा कहा गया था कि अपने मनपसंद उम्मीदवार के नहीं होने के कारण योगी ने चुनाव में ढील दे दी. अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के राजनीतिक संबंध बहुत अच्छे माने जाते हैं. प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की रेस में जब मनोज सिन्हा का नाम आगे चल रहा था तो योगी को राजनीतिक शरण देने वाले अमित शाह ही थे. 

हिंदूत्व की प्रयोगशाला 

गोरखपुर से अमित शाह के चुनाव लड़ने के एलान के साथ ही भाजपा कार्यकर्ताओं में व्याप्त डर पल भर में छू मंतर में हो जाएगी. कार्यकर्ताओं में हिंदूत्व और राष्ट्रवाद के जोश का संचार होगा और क्षेत्रीय नेताओं का भी मनोबल ऊपर होगा. कांग्रेस के कार्यकर्ता ये मांग कर रहे हैं कि प्रियंका गांधी को गोरखपुर या बनारस से चुनाव लड़ाया जाना चाहिए. अगर अमित शाह गोरखपुर से मोर्चा सँभालते हैं तो प्रियंका गांधी पूर्वांचल से चुनाव लड़ने का जोखिम नहीं उठा सकतीं. गोरखपुर सीट अभी निषाद पार्टी के पास है, लेकिन जब मठ से योगी आदित्यनाथ की हुंकार बाहर आएगी तो गोरखपुर के रास्ते बीजेपी पूरे पूर्वांचल में क्लीन स्वीप कर सकती है. 

जिस तरह से बीजेपी के खिलाफ तमाम सर्वे में माहौल बनाये जा रहे हैं, हकीकत में वैसी स्थितियां अभी आई नहीं हैं. लेकिन जल्द ही अमित शाह और नरेन्द्र मोदी ने खुद कमान अपने हांथ में नहीं ली तो स्थितियां बिगड़ सकती हैं. मोदी को फिर से लोक कल्याण मार्ग भेजने के लिए उत्तर प्रदेश को फतह करना जरूरी है. राजनीतिक चुनौतियां सभी पार्टियों के सामने हैं लेकिन इस बार के चुनाव में वही पार्टी बाजी मारेगी जो अंतिम बॉल पर छक्का मारने की काबिलियत रखता हो. 

Web Title: Mayawati, Akhilesh yadav and Priyanka Gandhi will be challenged by Amit Shah in Gorakhpur

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