मायावती ने भाजपा पर लगाया यूपी निकाय चुनाव में सरकारी मशीनरी के उपयोग का आरोप, बोलीं- "बसपा समय आने पर भाजपा के साम, दाम, दंड, भेद का जवाब देगी"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 14, 2023 01:33 PM2023-05-14T13:33:53+5:302023-05-14T13:37:40+5:30
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने रविवार को सूबे में सत्तारूढ़ भाजपा पर आरोप लगाया कि उसने निकाय चुनाव में जमकर सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश शहरी स्थानीय निकाय चुनावों के परिणाम घोषित होने के एक दिन बाद रविवार को बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने रविवार को सूबे में सत्तारूढ़ भाजपा पर आरोप लगाया कि उसने सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके अपने पक्ष में जनमत तैयार किया है। इसके साथ ही उन्होंने भाजपा को चेतावनी देते हुए आरोप लगाया है कि उनकी पार्टी इस मामले में चुप नहीं बैठेगी।
बीते शनिवार को भाजपा ने यूपी के वाराणसी, लखनऊ, अयोध्या, झांसी, बरेली, मथुरा-वृंदावन, मुरादाबाद, सहारनपुर, प्रयागराज, अलीगढ़, शाहजहांपुर, गाजियाबाद, आगरा, कानपुर, गोरखपुर, फिरोजाबाद और मेरठ सहित सभी 17 नगर निगमों पर भाजपा ने एकतरफा जीत दर्ज करते हुए न केवल मुख्य विपक्षी दल सपा बल्कि बहुजन समाज पार्टी को करारी मात देते हुए अपनी पताका फरहा दी है।
मायावती ने इस मामले में रविवार को सिलसिलेवार ट्वीट करते कहा, "सरकारी मशीनरी के भाजपा के दुरूपयोग पर बसपा चुप बैठने वाली नहीं है।" उन्होंने सत्ताधारी योगी सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि भाजपा ने विरोधी दलों को हराने के लिए किसी भी साधन ('साम', 'दाम', 'दंड', 'भेद') का उपयोग नहीं छोड़ा।
उन्होंने सत्ताधारी दल पर आरोप लगाते हुए "समय आने पर, भाजपा निश्चित रूप से परिणामों का सामना करेगी।" इसके साथ ही उन्होंने उन सभी मतदाताओं को समर्थन देने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा, "बसपा में विश्वास जताने और विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के बावजूद अपने उम्मीदवारों को वोट देने के लिए लोगों का आभार और धन्यवाद किया।
मायावती ने कहा कि यूपी निकाय चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होते तो उसके नतीजे कुछ और ही होते। मेयर का चुनाव अगर बैलेट पेपर से होता तो बसपा जरूर जीत दर्ज करती। बसपा ने राज्य की सभी 17 सीटों पर मेयर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन कोई भी जीत दर्ज नहीं कर सका।
उन्होंने कहा, "चाहे भाजपा हो या सपा, दोनों ही पार्टियां सत्ता के दुरुपयोग से चुनाव जीतने में समान रूप से माहिर हैं। यही कारण है कि सत्ताधारी दल अक्सर हेरफेर के जरिए अधिक सीटें हासिल करने में कामयाब हो जाता है और यह चुनाव भी कुछ अलग नहीं था। यह बड़ी बात है हम सभी की चिंता के लिए।“