मसूद अजहर को बैन कराने के लिए कैसे चीन को सही रास्ते पर लाया भारत, जानें कूटनीतिक प्रयास की पूरी कहानी

By आदित्य द्विवेदी | Published: May 2, 2019 08:40 AM2019-05-02T08:40:42+5:302019-05-02T08:40:42+5:30

2009, 2016 और 2017 में मसूद अजह को बैन कराने में असफल होने के बावजूद भारत ने कूटनीतिक कोशिशें जारी रखी। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अकबरुद्दीन का कहना है, 'मैं एमएस धोनी के अप्रोच में भरोसा रखता हूं। किसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए जितना आप सोचते हैं उससे ज्यादा वक्त होता है। कभी ये नहीं कहना चाहिए कि वक्त खत्म। कभी भी जल्दी हार नहीं माननी चाहिए।'

Masood Azhar Blacklisted: How India bring China on the right path, here is timeline of diplomatic efforts | मसूद अजहर को बैन कराने के लिए कैसे चीन को सही रास्ते पर लाया भारत, जानें कूटनीतिक प्रयास की पूरी कहानी

मसूद अजहर को बैन कराने के लिए कैसे चीन को सही रास्ते पर लाया भारत, जानें कूटनीतिक प्रयास की पूरी कहानी

Highlightsआतंकी मसूद अजहर ने रिहा होने के बाद सन् 2000 में जैश-ए-मोहम्मद नाम के संगठन की स्थापना की। पिछले करीब दो दशकों से मसूद अजहर भारत में आतंक फैलाने की कोशिश कर रहा है।चीन के अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के प्रस्ताव पर से रोक हटाने के बाद 1267 प्रतिबंध समिति ने अजहर को एक वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया। 

बुधवार (1 मई) को न्यूयॉर्क में सुबह 9 बजे का वक्त था। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैय्यद अकबरुद्दीन को एक संदेश मिला। इसमें कहा गया कि यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने पर किसी देश ने आपत्ति नहीं जताई है। आपत्ति ना जताकर चीन ने भी अपनी दस साल पुरानी स्थिति में परिवर्तन किया है।

भारत के लिए यह बड़ी कूटनीतिक जीत थी क्योंकि भारत के लंबे प्रयासों के बावजूद चीन लगातार एक दशक से अड़ंगा लगाता रहा है। हाल ही में ने 13 मार्च को जैश प्रमुख को काली सूची में डालने के प्रयास को एक बार फिर चीन ने पूरा नहीं होने दिया। अमेरिका ने फ्रांस और ब्रिटेन के समर्थन से पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी समूह के प्रमुख को काली सूची में डालने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सीधे एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया। 

इस प्रयास में पहली बड़ी सफलता यूएनएससी का 21 मार्च को दिया बयान था जिसमें पुलवामा आतंकी हमले की निंदा की गई थी। चीन के अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के प्रस्ताव पर से रोक हटाने के बाद 1267 प्रतिबंध समिति ने अजहर को एक वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया। 

2009, 2016 और 2017 में असफल होने के बावजूद भारत ने कूटनीतिक कोशिशें जारी रखी। अकबरुद्दीन का कहना है, 'मैं एमएस धोनी के अप्रोच में भरोसा रखता हूं। किसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए जितना आप सोचते हैं उससे ज्यादा वक्त होता है। कभी ये नहीं कहना चाहिए कि वक्त खत्म। कभी भी जल्दी हार नहीं माननी चाहिए।'

चीन ने तीन बार लगाया अड़ंगा

भारत पिछले एक दशक से मसूद अजहर को बैन करने की कोशिशों में लगा हुआ था लेकिन इस रास्ते में चीन ने हर बार रोड़ा अटकाया है। इस मसले पर सबसे पहले 2009 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा समिति में प्रस्ताव रखा गया। लेकिन चीन के विरोध से अटक गया। इसके बाद 2016 और 2017 में भी चीन ने वीटो करके मसूद अजहर पर बैन का बचाव किया। लेकिन पुलवामा हमले के बाद चीन ने भी भारत के पक्ष में सकारात्मक रुख दिखाया। इससे उम्मीद जताई जा रही थी कि इसबार मसूद अजहर पर बैन का रास्ता साफ हो जाएगा।

पुलवामा हमले के बाद बढ़ा दबाव

पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर कई देशों का दबाव था कि वो क्षेत्रीय शांति के मसूद अजहर जैसे आतंकियों का बचाव करना छोड़ दे। पाकिस्तानी आतंकी संगठन ‘जैश ए मोहम्मद प्रमुख’ मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा एक वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के लिए भारत के कोशिशें तेज करने के बीच विदेश सचिव गोखले ने अमेरिकी विदेश मंत्री पोम्पियो से भी मुलाकात की। अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंक पर लगाम लगाने का साफ संकेत दिया है।

वैश्विक आतंकी घोषित होने के बाद कई प्रतिबंध

वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ के किसी भी सदस्य देश में मसूद अजहर की यात्रा पर रोक लग जाएगी। उसकी सारी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी। कोई भी देश मसूद अजहर को हथियार उपलब्ध नहीं करा सकेगा। पाकिस्तान पर भी दबाव होगा कि वो मसूद अजहर की किसी भी तरह से मदद ना करे।

अजहर से जुड़े मुख्य घटनाक्रम इस प्रकार हैं:-

2009: भारत ने अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया, जिससे उसके विश्व में कहीं भी यात्रा करने पर प्रतिबंध लग जाता, उसकी संपत्ति पर रोक लग जाती और उस पर हथियार संबंधी पांबदी भी लागू होती। लेकिन चीन ने इस कदम को रोक लगा दी।

2016: भारत ने एक बार फिर पी3 (अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस) के समर्थन के साथ संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध समिति में अजहर पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पेश किया।

2017: पी3 देशों ने भी ऐसा ही एक प्रस्ताव पेश किया। लेकिन सुरक्षा परिषद में वीटो प्राप्त चीन ने फिर इस प्रस्ताव को पारित नहीं होने दिया।

27 फरवरी 2019: अमेरिका, ब्रिटेन फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए एक नया प्रस्ताव पेश किया।

13 मार्च 2019: जैश प्रमुख को काली सूची में डालने के प्रयास को एक बार फिर चीन ने पूरा नहीं होने दिया। अजहर को एक वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने का पिछले 10 वर्ष में यह चौथा प्रयास था।

28 मार्च 2019: अमेरिका ने फ्रांस और ब्रिटेन के समर्थन से पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी समूह के प्रमुख को काली सूची में डालने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सीधे एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया।

3 अप्रैल 2019: अमेरिका की जैश प्रमुख को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के लिए ‘‘मौजूद सभी साधनों’’ का इस्तेमाल करने की धमकी पर चीन ने कहा कि वॉशिंगटन मामले को उलझा रहा है और यह दक्षिण एशिया में शांति एवं स्थिरता के लिए सही नहीं है।

30 अप्रैल 2019: चीन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की प्रक्रिया में ‘‘कुछ प्रगति’’ हुई है और उसे उम्मीद है कि यह विवादस्पद मुद्दा ‘‘ठीक तरह से हल’’ होगा।

1 मई 2019: चीन के अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के प्रस्ताव पर से रोक हटाने के बाद 1267 प्रतिबंध समिति ने अजहर को एक वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया।

Web Title: Masood Azhar Blacklisted: How India bring China on the right path, here is timeline of diplomatic efforts

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