Marital rape: महिला की स्वतंत्रता, सम्मान और अधिकार की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध, केंद्र ने हाईकोर्ट से कहा
By भाषा | Updated: February 3, 2022 18:24 IST2022-02-03T18:22:43+5:302022-02-03T18:24:31+5:30
Marital rape: 2017 में केन्द्र ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में शामिल करने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं का विरोध किया था।

पति को पत्नी से बलात्कार के अपराध में मुकदमे से प्राप्त छूट संबंधी अपवाद निरस्त करने के लिए दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
नई दिल्लीः केन्द्र ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वह ‘‘प्रत्येक महिला की स्वतंत्रता, सम्मान और अधिकार की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं, जोकि सभ्य समाज की नींव और स्तंभ है’’, लेकिन साथ ही उसने वैवाहिक बलात्कार को अपराध करार क देने संबंधी याचिका पर सुनवाई को कुछ दिनों के लिए टालने का भी अनुरोध किया।
केन्द्र ने न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति सी. हरी शंकर की पीठ के समक्ष हलफनामा दायर कहा कि वह अदालत को एक समयबद्ध कार्यक्रम सौंपेगा जिसमें वह इस मुद्दे पर प्रभावी परामर्श प्रक्रिया पूरी करेगा। इस मुद्दे पर रोजाना सुनवाई कर रही अदालत में शुक्रवार को भी बहस जारी रहेगी।
केन्द्र ने हाल ही में उच्च न्यायालय को बताया था कि वह वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में शामिल करने संबंधी याचिकाओं पर अपने पुराने रुख की फिर से समीक्षा कर रहा है। केन्द्र ने कहा कि उसके पुराने रुख को कई साल पहले हलफनामे के रूप में अदालत की रिकॉर्ड में शामिल किया जा चुका है।
इससे पहले 2017 में केन्द्र ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में शामिल करने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं का विरोध किया था। यह पीठ भारतीय दंड संहिता के तहत पति को पत्नी से बलात्कार के अपराध में मुकदमे से प्राप्त छूट संबंधी अपवाद निरस्त करने के लिए दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।