विक्रमादित्य को चुनौती देने वाले पौराणिक पिशाच 'बेताल' से की गई शिवसेना नेता संजय राउत की तुलना

By भाषा | Published: November 4, 2019 05:51 PM2019-11-04T17:51:25+5:302019-11-04T17:51:25+5:30

संजय राउत का नाम लिए बगैर उसने उन्हें 'विदूषक' बताया और कहा, 'उनकी यह तस्वीर पेश करने की कोशिशें कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस भाजपा में अलग-थलग है, कुछ नहीं बल्कि बस शुद्ध मनोरंजन है।' 'तरुण भारत' को संघ और भाजपा का करीबी माना जाता है।

Marathi newspaper compares Shiv sena leader Sanjay Raut to 'Betal' | विक्रमादित्य को चुनौती देने वाले पौराणिक पिशाच 'बेताल' से की गई शिवसेना नेता संजय राउत की तुलना

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Highlightsमराठी के एक दैनिक समाचार पत्र ने सोमवार को शिवसेना नेता संजय राउत की तुलना अपनी पहेलियों से राजा विक्रमादित्य को चुनौती देने वाले पौराणिक पिशाच ‘बेताल’ से की और उन्हें विदूषक बताया। राउत पर निशाना साधने की कोशिश करते हुए नागपुर के अखबार ‘तरुण भारत’ ने कहा कि वह महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को सत्ता में आने के मौके को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

महाराष्ट्र में सरकार गठन पर गतिरोध के बीच आरएसएस की ओर झुकाव रखने वाला माने जाने वाले मराठी के एक दैनिक समाचार पत्र ने सोमवार को शिवसेना नेता संजय राउत की तुलना अपनी पहेलियों से राजा विक्रमादित्य को चुनौती देने वाले पौराणिक पिशाच ‘बेताल’ से की और उन्हें विदूषक बताया।

राउत पर निशाना साधने की कोशिश करते हुए नागपुर के अखबार ‘तरुण भारत’ ने कहा कि वह महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को सत्ता में आने के मौके को नुकसान पहुंचा रहे हैं। अखबार ने कहा कि राज्य में ‘‘स्थायी सरकार’’ होना महत्वपूर्ण है क्योंकि निकट भविष्य में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में उच्चतम न्यायालय का फैसला आने की संभावना है।

राउत का नाम लिए बगैर उसने उन्हें ‘‘विदूषक’’ बताया और कहा, ‘‘उनकी यह तस्वीर पेश करने की कोशिशें कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस भाजपा में अलग-थलग है, कुछ नहीं बल्कि बस शुद्ध मनोरंजन है।’’ ‘तरुण भारत’ को संघ और भाजपा का करीबी माना जाता है।

शिवसेना के राज्यसभा सदस्य एवं उसके मुखपत्र ‘सामना’ के कार्यकारी संपादक राउत सत्ता के समान बंटवारे और मुख्यमंत्री पद के बंटवारे को लेकर अपनी पार्टी की मांगों को उठाने में सबसे मुखर रहे हैं। उन्होंने आर्थिक मंदी पर बॉलीवुड ब्लॉकबास्टर ‘‘शोले’’ के मशहूर संवाद का इस्तेमाल कर ऐसे सवाल पूछकर कई मौकों पर भाजपा का मखौल उड़ाया कि ‘‘इतना सन्नाटा क्यों है भाई...’’ सोमवार को ‘तरुण भारत’ ने ‘उद्धव और बेताल’ नाम से एक संपादकीय को प्रकाशित किया।

‘बेताल’ शब्द का इस्तेमाल मराठी में भी किया जाता है जहां उसका मतलब ऐसे व्यक्ति से होता है जो संयमित बातें नहीं करता है। अखबार ने कहा, ‘‘दिवंगत बालासाहेब ठाकरे ने अपना पूरा जीवन कांग्रेस तथा राकांपा को सत्ता से बेदखल करने में बिताया लेकिन यह बेताल उनके सपनों को तोड़ने की कड़ी मशक्कत कर रहा है।’’

महाभारत का जिक्र करते हुए अखबार ने कहा कि शिवसेना नेता का पहला नाम - संजय इस महाकाव्य का एक किरदार भी था जिसने नेत्रहीन राजा धृतराष्ट्र को पांडवों और कौरवों के बीच युद्ध का ‘आंखों देखा हाल’ सुनाया था। उसने व्यंगात्मक लहजा अपनाते हुए कहा, ‘‘संजय का काम कीमती जानकारियां मुहैया कराना है लेकिन वह खुद आंखें मूंदे बैठे है इसलिए शिवसेना के भविष्य के बारे में चिंता करने की जरूरत है।’’

उसने कहा, ‘‘सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा सरकार गठन के लिए हमेशा दावा जता सकती है और उसे दोनों सदनों के अगले सत्र तक विश्वास मत जीतने का समय मिलेगा। जनादेश ‘महायुति’ (भाजपा-शिवसेना गठबंधन) के लिए है और सीटों की संख्या के लिहाज से लोगों ने फैसला किया कि उनमें से कौन बड़ा भाई है।’’

अखबार ने कहा कि भाजपा के सरकार गठन के लिए दावा न जताने के पीछे संदेश है क्योंकि पार्टी जनादेश का मतलब जानती है। संपादकीय में हैरानी जतायी गयी है कि शिवसेना ने 1995-99 में भाजपा के साथ सत्ता में होने के दौरान वरिष्ठ सहयोगी दल होने के नाते उस समय कभी मुख्यमंत्री पद साझा करने के बारे में सोचा था। 

Web Title: Marathi newspaper compares Shiv sena leader Sanjay Raut to 'Betal'

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