जालनाः मंत्री अशोक चव्हाण ने आज कहा कि केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट में मराठा समुदाय को आरक्षण देने का समर्थन करना चाहिए.
कांग्रेस नेता ने संवाददाताओं से कहा कि शीर्ष अदालत ने मामले में अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल को सहायता करने के लिए कहा है और अगली सुनवाई 25 जनवरी को होनी है. उन्होंने कहा, ''इसलिए केंद्र को अदालत से कहना चाहिए कि वह आरक्षण के पक्ष में है.''
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2020 में सामाजिक एवं शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) अधिनियम को लागू करने पर रोक लगा दी थी जिसमें मराठा समुदाय को राज्य के शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने का प्रावधान है.
मराठा आरक्षण पर राज्य कैबिनेट की उप समिति की अध्यक्षता कर रहे चव्हाण ने मांग की कि भाजपा नीत केंद्र सरकार को मराठा आरक्षण को संविधान की नौ अनुसूची में शामिल करना चाहिए ताकि इसकी न्यायिक समीक्षा नहीं हो सके.
भाजपा नेता विनायक मीते द्वारा सुप्रीम कोर्ट से कथित झटके के बाद कैबिनेट की उप समिति के अध्यक्ष पद से उन्हें हटाने की मांग किए जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री चव्हाण ने कहा, ''मुझे सरकार ने नामित किया है न कि मीते ने. मैं आरक्षण को सुरक्षित करने के लिए पूरी लगन से अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहा हूं.'' उन्होंने कहा कि विपक्ष को इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए क्योंकि मामला अदालत में विचाराधीन है.
गठबंधन सरकार के सहयोगियों में कोई मतभेद नहीं: चव्हाण सत्ता में सहयोगी शिवसेना द्वारा औरंगाबाद जिले का नाम 'संभाजीनगर' करने की मांग पर मंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा की सरकार का न्यूनतम साझा कार्यक्रम है जिसमें औरंगाबाद का नाम बदलने का मुद्दा शामिल नहीं है.
चव्हाण ने कहा, ''महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहब थोरात ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी ऐसे प्रस्ताव का विरोध करेगी.'' उन्होंने दावा किया कि गठबंधन सरकार के सहयोगियों में कोई मतभेद नहीं है और सरकार को कोई खतरा नहीं है.