कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान कई विवाद भी जुड़े

By भाषा | Published: November 19, 2021 07:06 PM2021-11-19T19:06:43+5:302021-11-19T19:06:43+5:30

Many controversies were also associated during the movement against agricultural laws. | कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान कई विवाद भी जुड़े

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान कई विवाद भी जुड़े

नयी दिल्ली, 19 नवंबर केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान कई विवाद भी जुड़े रहे। एक तरफ जहां जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और पॉप गायिका रिहाना जैसे लोग भारत के मुख्य विमर्श में शामिल हुए, तो दूसरी ओर 'टूलकिट' और 'आंदोलनजीवी' जैसे शब्दों को भारतीय राजनीतिक शब्दकोष में प्रमुखता से स्थान मिला।

किसानों ने तीन कृषि कानूनों का विरोध करते हुए पिछले साल 28 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर डेरा डाल दिया। इस दौरान किसानों को पानी की बौछारों का सामना करना पड़ा, सड़कों को जाम करने से लेकर गणतंत्र दिवस पर हिंसा तथा किसानों को कथित रूप से कुचलने जैसे कई नाटकीय क्षण भी देखने को मिले।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार की सुबह राष्ट्र को संबोधित करते हुए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 को निरस्त करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इन कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पूरी कर ली जाएगी।

किसान आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में अभूतपूर्व दृश्य देखे गए। किसान संगठनों द्वारा गणतंत्र दिवस पर आयोजित ट्रैक्टर परेड रैली के दौरान प्रदर्शनकारियों की पुलिस से भिड़ंत हुयी। कई प्रदर्शनकारी लाल किले तक पहुंच गए और उनमें से कुछ ने इसके गुंबदों पर धार्मिक झंडे फहरा दिए। इस दौरान सुरक्षाकर्मियों सहित सैकड़ों लोग घायल हो गए और ट्रैक्टर के पलट जाने से एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई।

गणतंत्र दिवस पर हिंसा के तत्काल बाद, जलवायु कार्यकर्ता थनबर्ग और पॉप स्टार रिहाना का राष्ट्रीय विमर्श में प्रवेश हुआ और उन्होंने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को समर्थन दिया। भारत ने विदेशी हस्तियों और अन्य लोगों की टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। थनबर्ग ने "उन लोगों के लिए एक टूलकिट" भी साझा किया था, जो "मदद करना चाहते थे।’’ जल्द ही "टूलकिट" मुद्दा बड़े पैमाने पर विवाद में बदल गया और दिल्ली पुलिस ने भारत की छवि खराब करने की कोशिश करने के आरोप में कई लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।

इसी दौरान जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि को किसानों के आंदोलन से जुड़े ‘टूलकिट’ को सोशल मीडिया पर साझा करने में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी।

‘टूलकिट’ विवाद के अलावा फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, संसद में उन लोगों पर हमला बोला, जो विरोध प्रदर्शन के पीछे थे। मोदी ने कहा कि देश में ‘आंदोलनजीवी’ नामक आंदोलनकारियों की एक नयी ‘प्रजाति’ उभरी है, जो बिना आंदोलन के नहीं रह सकते हैं और राष्ट्र को उनसे बचाना चाहिए। कांग्रेस ने मोदी पर उनकी “आंदोलनजीवी” टिप्पणी के लिए जवाबी हमला किया था और उन्हें “जुमला जीवी” कहा था।

आंदोलन के दौरान ही हरियाणा कैडर के आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी आयुष सिन्हा का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद विरोध प्रदर्शन से जुड़ा एक और विवाद खड़ा हो गया था, जिसमें उन्होंने आंदोलन करने वाले किसानों को कथित तौर पर पीटने का पुलिसकर्मियों को निर्देश दिया था।

आंदोलन के दौरान उस समय भारी विवाद पैदा हो गया, जब उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के गृह क्षेत्र के तिकोनिया इलाके में तीन अक्टूबर को एक वाहन द्वारा कथित रूप से कुचले जाने के बाद चार किसानों की मौत हो गई। इसके बाद भीड़ द्वारा चार लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी गयी।

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Web Title: Many controversies were also associated during the movement against agricultural laws.

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