Manipur Violence: इरोम शर्मिला ने बीरेन सिंह सरकार को लगाई लताड़, बोलीं- "सारी परेशानी की जड़ राज्य की नीतियां हैं"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: September 28, 2023 03:08 PM2023-09-28T15:08:21+5:302023-09-28T15:16:16+5:30

जानीमानी मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने मणिपुर संकट के लिए सीधे बीरेन सिंह सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।

Manipur Violence: Irom Sharmila slammed Biren Singh government, said- "The root of all the trouble is the policies of the state" | Manipur Violence: इरोम शर्मिला ने बीरेन सिंह सरकार को लगाई लताड़, बोलीं- "सारी परेशानी की जड़ राज्य की नीतियां हैं"

फाइल फोटो

Highlightsइरोम शर्मिला ने मणिपुर संकट के लिए सीधे बीरेन सिंह सरकार को जिम्मेदार ठहराया इरोम ने मणिपुर में 6 महीने के लिए अफस्पा बढ़ाने पर कहा कि "दमनकारी कानून" समाधान नहीं हैकेंद्र और मणिपुर सरकार क्षेत्रीय विविधताओं का सम्मान करे, केवल प्रेम ही मणिपुर समस्या का हल है

बेंगलुरु: जानीमानी मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने मणिपुर संकट के लिए सीधे बीरेन सिंह सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। शर्मिला ने केंद्र द्वारा मणिपुर के अधिकांश हिस्सों में छह महीने के लिए आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट (अफस्पा) को बढ़ाने के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि "दमनकारी कानून" से मणिपुर के संघर्ष का समाधान कभी नहीं होगा।

'मणिपुर की आयरन लेडी' के नाम से मशहूर इरोम शर्मिला ने गुरुवार को समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा कि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को समान नागरिक संहिता जैसे प्रस्तावों के माध्यम से एकरूपता के लिए काम करने के बजाय देश की विविधता का सम्मान करना चाहिए।

उन्होंने केंद्र द्वारा बीते बुधवार को इंफाल घाटी के 19 पुलिस थाना क्षेत्रों और पड़ोसी असम के साथ की सीमाओं को छोड़कर बुधवार को छह महीने के लिए अफस्पा बढ़ाने पर कहा, "अफस्पा के विस्तार से मणिपुर में समस्याओं या जातीय हिंसा का समाधान कभी नहीं हो सकता है। इसके लिए केंद्र और मणिपुर सरकार को क्षेत्रीय विविधता का सम्मान करना होगा।"

शर्मिला ने कहा, "केंद्र और राज्य सरकार द्वारा मणिपुर में विभिन्न जातीय समूहों के मूल्यों, सिद्धांतों और प्रथाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। भारत अपनी विविधता के लिए जाना जाता है। लेकिन केंद्र सरकार और भाजपा समान नागरिक संहिता जैसे प्रस्तावों के जरिये एकता थोपने की कोशिश कर रही है।"

पीएम मोदी पर सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि आखिर मई में हिंसा भड़कने के बाद से पीएम मोदी ने मणिपुर का दौरा क्यों नहीं किया। शर्मिला ने कहा, "पीएम मोदी देश के नेता हैं। अगर उन्होंने राज्य का दौरा किया होता और लोगों से बात की होती, तो समस्याएं अब तक हल हो गई होतीं। इस हिंसा का समाधान केवल प्रेम में है। लेकिन ऐसा लगता है कि भाजपा इस मुद्दे को सुलझाने के लिए उत्सुक नहीं है और चाहती है कि यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे।''

इरोम ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की आलोचना करते हुए कहा, ''राज्य सरकार की गलत नीतियों ने मणिपुर को इस अभूतपूर्व संकट की ओर धकेल दिया है।''

उन्होंने यह कहते हुए कि जातीय हिंसा में सबसे ज्यादा नुकसान युवाओं को हुआ है, कहा कि व्यापक विरोध प्रदर्शनों के कारण युवक और महिला की मौत से उनकी आंखों में भी आंसू हैं। इसके साथ ही उन्होंने पूर्वोत्तर में महिलाओं की स्थिति को लेकर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा।

उन्होंने कहा, "मणिपुर की महिलाएंअफस्पा और जातीय हिंसा का खामियाजा भुगत रही हैं। अगर आप महिलाओं की गरिमा की रक्षा नहीं कर सकते तो महिला सशक्तिकरण की बातें और महिला आरक्षण विधेयक पास करने का कोई मतलब नहीं है।"

इरोम ने केंद्र से सवाल करते हुए कहा, क्या मणिपुर की महिलाएं भारत की अन्य महिलाओं से कुछ अलग हैं?सिर्फ इसलिए कि हम अलग दिखते हैं इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे साथ इस तरह का व्यवहार किया जा सकता है।''

इरोम शर्मिला ने साल 2000 में इंफाल के पास मालोम में एक बस स्टॉप पर सुरक्षा बलों द्वारा कथित तौर पर दस नागरिकों की हत्या के बाद अफस्पा के खिलाफ अपनी भूख हड़ताल शुरू की थी। उन्होंने साल 2016 में इसे समाप्त करने से पहले 16 साल तक अपना शांतिपूर्ण प्रतिरोध चलाया। 51 साल की इरोम ने साल 2017 में शादी कर ली थी और आज वो अपने जुड़वां लड़कियों के साथ बेंगलुरु में रहती हैं।

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