कड़ी मेहनत के बावजूद मैंगो दीदी को नहीं मिले आम के सही दाम, दुख और हौसले की ये कहानी आपको जाननी चाहिए

By वैशाली कुमारी | Updated: June 19, 2021 17:01 IST2021-06-19T17:00:04+5:302021-06-19T17:01:28+5:30

अगर आप खूंटी जिले के आम के बगीचे में खड़े हो जाएंगे तो चारों ओर सिर्फ आपको आम ही आम नजर आएंगे। आम की अलग-अलग वैरायटी जैसे आम्रपाली, मल्लिका, दशहरी और लंगड़ा सभी यहां पर अच्छी मात्रा में मौजूद है।

Mango Didi did not get the right mango price, because of mango production | कड़ी मेहनत के बावजूद मैंगो दीदी को नहीं मिले आम के सही दाम, दुख और हौसले की ये कहानी आपको जाननी चाहिए

खूंटी जिले की महिलाओं ने आम की बागवानी करके मैंगो दीदी की प्रसिध्दि पाली है।

Highlightsखूंटी जिले के खुशबू गांव नलिनी महिला समिति ने आम के लगभग 2000 से भी ज्यादा पेड़ लगाएं।झारखंड के खूंटी जिले का आम उत्तर प्रदेश से लेकर छत्तीसगढ़ के बाजारों में पहुंचाया जाता था।

फलों के राजा आम ने झारखंड की महिलाओं को एक नई पहचान दी है। खूंटी जिले की महिलाओं ने आम की बागवानी करके मैंगो दीदी की प्रसिध्दि पाली है। इस बार 1 मैंगो दीदी का व्यापार हर साल के मुकाबले थोड़ा ठंडा पड़ गया है लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब गरीबी की मार झेल कर मैंगो दीदी ने आम के भरोसे खास इतिहास रच दिया था। अब इस साल नौबत ये आ गई है कि मेहनत के दाम नहीं मिल रहे हैं।

अगर आप खूंटी जिले के आम के बगीचे में खड़े हो जाएंगे तो चारों ओर सिर्फ आपको आम ही आम नजर आएंगे। आम की अलग-अलग वैरायटी जैसे आम्रपाली, मल्लिका, दशहरी और लंगड़ा सभी यहां पर अच्छी मात्रा में मौजूद है। झारखंड का यह हिस्सा वैसे तो नक्सली क्षेत्रों की वजह से जाना जाता है लेकिन मैंगो दीदी के मेहनत ने क्षेत्र को एक नई पहचान दी है। एतवारी बताती हैं कि ये भूमि बंजर थी, पर कुछ सालों की मेहनत से करीब 20 एकड़ में आम का बगीचा फल गया। 

खूंटी जिले के खुशबू गांव नलिनी महिला समिति ने आम के लगभग 2000 से भी ज्यादा पेड़ लगाएं। बिरसा मुंडा आम बागवानी और मनरेगा जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हुए इन महिलाओं ने आम के पेड़ लगाए थे। कुछ समय पहले गांव की महिलाएं पूरी तरह से बेरोजगार थी लेकिन पेड़ लगने के बाद उन्हें एक रोजगार मिला। इसके बाद दूसरे राज्य में काम के लिए जाने वाले पुरुष महिलाओं का हाथ बटाने लगे थे। झारखंड के खूंटी जिले का आम उत्तर प्रदेश से लेकर छत्तीसगढ़ के बाजारों में पहुंचाया जाता था। मैंगो दीदीयों को इससे बहुत ही लाभ पहुंचता था। लेकिन इस साल उनके आम के सही दाम नहीं लग रहे हैं। 

इस साल आम की पैदावार बहुत ज्यादा हुई है जिसकी वजह से दाम सही नहीं मिल रहे हैं। मालती देवी के मुताबिक जो आम बाज़ार में 40 रुपये किलो बिक रहा है, उसी आम को ये मैंगो दीदियां 10 से 15 रुपये किलो बेचने पर मजबूर हैं। वजह यही है अगर सही समय पर आम नहीं दिखे तो आम खराब हो जाएंगे इसलिए मैंगो देवी सस्ते में आम भेज रहे हैं।

Web Title: Mango Didi did not get the right mango price, because of mango production

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