ममता बनर्जी ने गवर्नर जगदीप धनखड़ से छीना कुलाधिपति का पद, विधानसभा में बिल हुआ पास
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 13, 2022 10:02 PM2022-06-13T22:02:31+5:302022-06-13T22:14:29+5:30
बंगाल में चल रही मुख्यमंत्री बनाम गवर्नर की लड़ाई में ममता बनर्जी ने एक और दांव चलते हुए सोमवार को विधानसभा में राज्यपाल को राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के पद से हटाकर मुख्यमंत्री को नियुक्त करने संबंधित बिल पारित करवा लिया।
कोलकाता:पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ की शक्तियों को कम करते हुए उसने राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति का पद छीन लिया है।
बीते कुछ महीनों से बंगाल में चल रही मुख्यमंत्री बनाम गवर्नर की लड़ाई में ममता बनर्जी ने एक और दांव चलते हुए सोमवार को विधानसभा में राज्यपाल को राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के पद से हटाकर मुख्यमंत्री को नियुक्त करने संबंधित बिल पारित करवा लिया।
इस बिल के पास कराने के लिए शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने विधानसभा में पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय कानून संशोधन बिल 2022 पेश किया। जिसके पक्ष में 182 वोट और विरोध में 40 मत पड़े।
इस बिल के पास होने के बाद जानकारों ने राज्य सरकार से अलग राय रखते हुए कहा कि बनर्जी सरकार को प्रत्येक विश्वविद्यालय के मामले में अलग-अलग बिल पारित करके गवर्नर को कुलाधिपति के पद से हटाना होगा क्योंकि राज्य के सभी विश्वविद्यालय स्वायत्त संस्थाएं हैं इसलिए किसी एक कानून के जरिये राज्यपाल को कुलाधिपति के पद पर नहीं हटाया जा सकता है। इसके लिए विधानसभा में अलग से संशोधन विधेयक लाना आवश्यक है।
यही नहीं विधानसभा में पेश होने वाले संशोधन बिल को पारित कराने से पहले उस पर विस्तार से चर्चा भी करना होगा। इसकी समयावधि आधे घंटे से लेकर दो घंटे तक की हो सकती है इन विधेयकों को पारित कराने के लिए चर्चा में ही अच्छा-खासा समय लग सकता है। बंगाल में वर्तमान में सात सरकारी विश्वविद्यालय हैं जबकि निजी विश्वविद्यालयों की संख्या पांच से सात के बीच में है।
वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस फैसले के खिलाफ पश्चिम बंगाल की शैक्षिक हस्तियों में भारी रोष है। बंगाल के शिक्षाविदों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा राज्य विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति की नियुक्त के संबंध में असंतोष जताते हुए इस कदम का कड़ा विरोध कर रहे हैं।
शैक्षिक विद्वानों का कहना है कि सीएम बनर्जी का यह कदम राज्य विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता के लिए एक बड़ा झटका होगा और इस तरह का आचरण लोकतंत्रिक पद्धति के लिए घातक साबित होगा।
इस मामल में बंगाल के विद्वानों के एक समूह ने साझा बयान जारी करते हुए कहा, ‘‘हम मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के द्वारा राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति की नियुक्ति के संबंध में किये गये फैसले से हैरान और स्तब्ध हैं। हम सभी शैक्षणिक संस्थानों की स्वायत्तता और स्वतंत्रता की अनिवार्यता की मांग करते हैं और इस तरह का निर्णय राज्य की शैक्षिक विकास के लिए बड़ी बाधा साबित होगा। इसके साथ ही हम यह भी कहते हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का यह फैसला लोकतंत्रिक भावनाओं के पूरी खिलाफ है।’’
विद्वानों के इस समूह में अभिनेता कौशिक सेन, निर्देशक अनिक दत्ता और राजा सेन, चित्रकार समीर आइच, अभिनेता बिभास चक्रवर्ती, सामाजिक कार्यकर्ता मिरातुन नाहर और सुजात भद्र जैसे करीब 40 लोग शामिल हैं, जिन्होंने जारी बयान पर हस्ताक्षर करके राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ असंतोष जताया है।