पीएम मोदी की बैठक में शामिल नहीं हुईं ममता बनर्जी, कहा- 'पश्चिम बंगाल को बोलने के लिए बुलाया ही नहीं गया
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 18, 2020 01:33 AM2020-06-18T01:33:08+5:302020-06-18T01:33:08+5:30
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (17 जून) को मुख्यमंत्रियों से बातचीत में कहा कि लॉकडाउन की पाबंदियों में रियायतों के बाद आर्थिक संकेतक पटरी पर लौटने का संकेत दे रहे हैं और अब ‘अनलॉक-2’ के बारे में और संक्रमण को भी कम से कम रखने के तरीकों के बारे में सोचना होगा।
कोलकाता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉकडाउन के मुद्दे पर बुधवार (17 जून) को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से बुलाई गई मुख्यमंत्रियों की बैठक में पश्चिम बंगाल को वक्ताओं में शामिल न किए जाने पर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया। बैठक में पश्चिम बंगाल सरकार के किसी प्रतिनिधि ने भी हिस्सा नहीं लिया। बनर्जी ने प्रधानमंत्री की बैठक में शामिल होने की बजाय राज्य में कोविड-19 की स्थिति पर समीक्षा बैठक की।
समीक्षा बैठक के बाद ममता बनर्जी ने संवाददाताओं से कहा, ''हो सकता है कि केंद्र सरकार की हमें बुलाने की इच्छा ही न रही हो इसीलिए उन्होंने हमें बैठक में बोलने का आमंत्रण नहीं दिया था।'' उन्होंने कहा कि राज्य में महामारी से निपटने के लिए उनकी समीक्षा बैठक ज्यादा जरूरी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बड़ी बैठकें कर रही है लेकिन वह (बनर्जी) लोगों की जरूरतों को समझने के लिए जमीनी स्तर पर बैठक कर रही हैं।''
पीएम मोदी ने कहा- दोबारा लॉकडाउन लगने की अफवाहों से ‘लड़ने’ की जरूरत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (17 जून) को मुख्यमंत्रियों से बातचीत में कहा दोबारा लॉकडाउन लगने की अफवाहों से ‘लड़ने’ की जरूरत है। उन्होंने ‘लॉकडाउन की अफवाहों से लड़ने’ की जरूरत बताते हुए कहा कि देश अब ‘खुलने के चरण’ में है। मोदी ने कहा, ‘‘हमें अब अनलॉक के दूसरे चरण के बारे में सोचना होगा और यह भी विचार करना होगा कि हमारे लोगों को नुकसान की कम से कम आशंका रहे।’’ उन्होंने कहा कि पाबंदियों में ढील, आर्थिक प्रदर्शन के संकेतक पटरी पर लौटने का संकेत दे रहे हैं। मुद्रास्फीति नियंत्रित है और राज्यों को बुनियादी ढांचे यथा निर्माण संबंधी गतिविधियों को मजबूत करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
उन्होंने कुछ बड़े राज्यों और शहरों में कोविड-19 का संक्रमण अधिक फैलने की ओर ध्यान दिलाते हुए मुख्यमंत्रियों से उनके राज्य की मौजूदा जांच क्षमता का पूरी तरह इस्तेमाल करने और स्वास्थ्य ढांचे का विस्तार करने को कहा।
पीएम मोदी ने- 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से बात की
प्रधानमंत्री ने कोरोना वायरस को और फैलने से रोकने पर राज्यों से विचार-विमर्श जारी रखते हुए बुधवार को 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और उनके प्रतिनिधियों से बातचीत की। मोदी ने कहा कि बड़ी भीड़, सामाजिक दूरी के नियम का पालन नहीं करना, बड़ी संख्या में लोगों की रोजाना आवाजाही तथा कुछ शहरों में छोटे मकानों ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई को ‘अधिक चुनौतीपूर्ण’ बना दिया है।
प्रधानमंत्री ने लगातार दूसरे दिन मुख्यमंत्रियों से बातचीत की जो उनकी राज्यों के साथ छठे दौर की बातचीत थी। एक बयान के अनुसार मोदी ने कहा कि जीवन की रक्षा पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे के विस्तार की भी जरूरत बताई। संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने का जिक्र करते हुए मोदी ने महामारी से निपटने के लिए कोविड-19 की जांच करने, रोगियों का पता लगाने और उन्हें अलग रखने की जरूरत रेखांकित की। इस तरह की आलोचनाएं सामने आई हैं कि दिल्ली समेत कुछ राज्य और शहरों में पर्याप्त जांच नहीं हो रही हैं। हालांकि प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वस्थ होने वाले रोगियों की संख्या भी बढ़ रही है और राहत की बात है कि बहुत कम रोगियों को आईसीयू तथा वेंटिलेटर की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान लोगों के अनुशासन ने वायरस के अतिशय प्रसार पर रोक लगाई। उन्होंने कहा कि भारत अब रोगियों के उपचार, स्वास्थ्य ढांचे और प्रशिक्षित श्रमशक्ति के मामले में पहले से बेहतर स्थिति में है। वायरस से निपटने की क्षमता विस्तार के बारे में बात करते हुए उन्होंने राज्यों से स्वास्थ्य ढांचे, सूचना प्रणाली, भावनात्मक समर्थन और जनता की भागीदारी पर जोर देते रहने को कहा। राज्यों और स्थानीय प्रशासन के प्रयासों की सराहना करते हुए मोदी ने कहा कि देश में अब 900 से अधिक कोविड-19 जांच प्रयोगशालाएं हैं, लाखों की संख्या में बिस्तर हैं, हजारों पृथक-वास केंद्र हैं, पर्याप्त संख्या में जांच किट हैं, जहां एक करोड़ से अधिक पीपीई और करीब इतने ही एन-95 मास्क राज्यों को दिये गये हैं। (पीटीआई-भाषा इनपुट के साथ)