कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को दावा किया कि उन्होंने टाटा को बाहर नहीं किया और वास्तव में यह सीपीएम थी। उन्होंने कहा, "उन्होंने जबरन जमीन का अधिग्रहण किया, मैंने इसे अनिच्छुक मालिकों को लौटा दिया।" सिलीगुड़ी में 'विजय सम्मेलन' को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा कि वह कारखाने और होटल बनाकर बंगाल के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना चाहती हैं और राज्य को दुनिया का पर्यटन स्थल बनाना चाहती हैं।
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, "कुछ लोग बकवास कह रहे हैं कि मैंने टाटा को बाहर कर दिया। अब टाटा जॉब दे रहा है। ये सीपीएम थी। उन्होंने बलपूर्वक जमीन पर दावा किया था। हमने जमीन वापस कर दी...हम किसी उद्योगपति के साथ भेदभाव नहीं करते। जमीन की कोई कमी नहीं है। जबरदस्ती जमीन क्यों लेते हैं? हमने इतने सारे प्रोजेक्ट किए हैं। हमने कहीं भी जबरदस्ती जमीन नहीं ली है। हमारे यहां जितने उद्योगपति हैं, सभी को बंगाल में निवेश करना चाहिए। बंगाल में रोजगार सृजित करें।"
वहीं, सीपीएम की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने ममता बनर्जी पर पलटवार किया। चक्रवर्ती के हवाले से एबीपी बांग्ला ने कहा, "ममता बनर्जी वास्तव में सुनना नहीं चाहतीं। यह असुविधाजनक है...दुर्गापुर एक्सप्रेसवे को बंद कर दिया गया ताकि टाटा सिंगूर में एक कारखाना न बना सके।" 2006 में बुद्धदेव भट्टाचार्य के मुख्यमंत्री के रूप में पश्चिम बंगाल में सातवीं वाम मोर्चा सरकार के सत्ता में आने के तुरंत बाद टाटा मोटर्स ने सिंगूर में नैनो कारखाने की स्थापना की घोषणा की थी।
हालांकि, बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस ने परियोजना के लिए राज्य सरकार द्वारा जबरन भूमि अधिग्रहण का आरोप लगाते हुए परियोजना के खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू किया। आखिरकार अक्टूबर 2008 में टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा ने सिंगूर से बाहर निकलने की घोषणा की। इसके बाद गुजरात का साणंद नैनो फैक्ट्री का नया ठिकाना बना।