वानखेड़े पर मलिक के ट्वीट द्वेष से प्रेरित हैं लेकिन उन पर रोक नहीं लगाई जा सकती: अदालत

By भाषा | Updated: November 22, 2021 22:18 IST2021-11-22T22:18:51+5:302021-11-22T22:18:51+5:30

Malik's tweets on Wankhede motivated by malice but cannot be stopped: Court | वानखेड़े पर मलिक के ट्वीट द्वेष से प्रेरित हैं लेकिन उन पर रोक नहीं लगाई जा सकती: अदालत

वानखेड़े पर मलिक के ट्वीट द्वेष से प्रेरित हैं लेकिन उन पर रोक नहीं लगाई जा सकती: अदालत

मुंबई, 22 नवंबर बम्बई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक को स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े या उनके परिवार के खिलाफ बयान देने या सोशल मीडिया पर सामग्री पोस्ट करने से रोकने के लिए कोई अंतरिम आदेश पारित करने से सोमवार को इनकार कर दिया, लेकिन भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी को निशाना बनाने वाले हाल के उनके ट्वीट पर प्रथमदृष्टया संज्ञान लिया।

न्यायमूर्ति माधव जामदार की अध्यक्षता वाली एकल पीठ ने कहा कि अदालत को वर्तमान स्थिति में विश्वास नहीं है कि मलिक द्वारा वानखेड़े के खिलाफ लगाए गए आरोप ‘‘प्रथम दृष्टया, पूरी तरह से झूठे हैं।’’ न्यायालय ने कहा कि इसके अलावा, वानखेड़े एक सरकारी अधिकारी हैं और मलिक द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए कुछ आरोप उनके सार्वजनिक कर्तव्य के निर्वहन से संबंधित थे।

न्यायालय ने हालांकि, वानखेड़े के खिलाफ मलिक के ट्वीट के समय पर सवाल उठाया। न्यायालय ने कहा कि मलिक ने मादक पदार्थ में एनसीबी द्वारा उनके दामाद को गिरफ्तार किये जाने के कुछ दिनों बाद 14 अक्टूबर से ट्विटर पर वानखेड़े के खिलाफ आरोप लगाना शुरू कर दिया था।

न्यायाधीश ने कहा कि इसलिए, यह स्पष्ट था कि मंत्री के आरोप द्वेष और शत्रुता से उत्पन्न हुए थे।

उच्च न्यायालय ने कहा कि हालांकि, वानखेड़े एक सरकारी अधिकारी हैं और मलिक द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोप एनसीबी क्षेत्रीय निदेशक के सार्वजनिक कर्तव्यों से संबंधित गतिविधियों से संबंधित थे, इसलिए मंत्री को उनके खिलाफ कोई भी बयान देने से पूरी तरह प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता।

वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव द्वारा इस संबंध में किये गये अंतरिम अनुरोध पर उच्च न्यायालय का फैसला आया।

उच्च न्यायालय ने कहा कि हालांकि, मंत्री को भविष्य में वानखेड़े या उनके परिवार के खिलाफ ‘‘तथ्यों के उचित सत्यापन’’ के बाद ही बयान देना चाहिए। अदालत ने वानखेड़े के जन्म प्रमाण पत्र की प्रति का हवाला दिया, जिसे मलिक ने अपनी आरटीआई के जवाब में बृहन्मुंबई महानगरपालिका से हासिल किया था और इसे अदालत में यह दिखाने के लिए सौंपा गया था कि एनसीबी अधिकारी एक मुस्लिम परिवार में पैदा हुए थे, लेकिन उन्होंने केन्द्र सरकार की नौकरी हासिल करने के लिए अनुसूचित जाति से संबंधित होने का झूठा दावा किया था।

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि वानखेड़े के खिलाफ गंभीर आरोप प्रभाकर सैल द्वारा लगाए गए थे, जो क्रूज जहाज मादक पदार्थ मामले में एक स्वतंत्र गवाह है, जिसमें बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान एक आरोपी हैं।

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘प्रथम चरण में, यह नहीं कहा जा सकता है कि आरोप पूरी तरह से झूठे हैं।’’

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हालांकि वादी (वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव) को निजता का मौलिक अधिकार है, लेकिन प्रतिवादी (मलिक) को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है। दोनों मौलिक अधिकारों में संतुलन होना चाहिए।’’

अदालत ने कहा कि एक नागरिक का निजता का अधिकार उसके जीवन के अधिकार में निहित है और एक नागरिक को अपने निजता के अधिकार की रक्षा करने का पूरा अधिकार है। अदालत ने कहा कि हालांकि, वानखेड़े एक सरकारी अधिकारी थे, इसलिए आम जनता को भी उनके आचरण की जांच करने का अधिकार था, लेकिन यह उचित सत्यापन के साथ किया जाना चाहिए।

वानखेड़े के पिता, ज्ञानदेव ने इस महीने की शुरुआत में उच्च न्यायालय में मलिक के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था, जिसमें अन्य बातों के अलावा, मंत्री को उनके और उनके परिवार के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक बयान पोस्ट करने से रोकने का अनुरोध किया गया था।

ज्ञानदेव वानखेड़े ने 1.25 करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा है।

समीर वानखेड़े और उनके परिवार ने राज्य के मंत्री द्वारा लगाए गए सभी आरोपों का बार-बार खंडन किया है।

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Web Title: Malik's tweets on Wankhede motivated by malice but cannot be stopped: Court

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