पुलवामा हमला: मुख्य आरोपी उमर फारूक ने जम्मू के सांबा सेक्टर से की थी भारत में घुसपैठ

By भाषा | Published: August 25, 2020 08:58 PM2020-08-25T20:58:56+5:302020-08-25T20:58:56+5:30

गौरतलब है कि पिछले साल दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर हुए उस हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे।

Main accused in Pulwama Terror Attack case Md Umar Farooq infiltrated into India through International border at Jammu-Samba Sector | पुलवामा हमला: मुख्य आरोपी उमर फारूक ने जम्मू के सांबा सेक्टर से की थी भारत में घुसपैठ

फाइल फोटो

Highlightsअधिकारियों ने बताया कि एनआईए इस मामले में अब तक सात लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। आरोप पत्र में अजहर के अलावा अलग-अलग मुठभेड़ में मारे गए सात आतंकवादियों, चार भगोड़ों का नाम शामिल है।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने पुलवामा आतंकवादी हमले की साजिश रचने और उसे अंजाम देने के मामले में मंगलवार को यहां एक विशेष अदालत में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर समेत 19 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। इस मामले की जांच का नेतृत्व कर रहे एनआईए के संयुक्त निदेशक अनिल शुक्ला ने शक्तिशाली बैटरियों, फोन और केमिकल खरीदने के लिये आतंकी मॉड्यूल के साजिशकर्ताओं द्वारा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों का इस्तेमाल किये जाने की भी बात कही है।

आरोप पत्र में अजहर के अलावा अलग-अलग मुठभेड़ में मारे गए सात आतंकवादियों, चार भगोड़ों का नाम शामिल है। इनमें से दो भगोड़े अब भी जम्मू-कश्मीर में छिपे हुए हैं, जिनमें एक स्थानीय निवासी और एक पाकिस्तानी नागरिक शामिल है। आरोप पत्र में मसूद अजहर के दो संबंधियों अब्दुल रऊफ और अम्मार अल्वी के नाम मुख्य षड्यंत्रकारी के रूप में दर्ज हैं। मृतकों में जैश के आतंकवादी मोहम्मद उमर फारूक का करीबी संबंधी भी शामिल है, जो 2018 के अंत में सांबा जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर प्राकृतिक गुफाओं के जरिये भारत में दाखिल हुआ था।

अधिकारियों ने कहा कि एनआईए ने इलेक्ट्रॉनिक सबूतों और अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार आतंकवादियों तथा उनसे सहानुभूति रखने वालों के बयानों की मदद से इस ''पेचीदा मामले'' की गुत्थी सुलझाई है। जांच एजेंसी द्वारा दायर 13,500 पन्नों के इस आरोप पत्र में आत्मघाती बम हमलावर आदिल डार को शरण देने और उसका अंतिम वीडियो बनाने के लिये पुलवामा से गिरफ्तार किये गए लोगों को नामजद किया गया है। डार ने पिछले साल 14 फरवरी को दक्षिण कश्मीर के लेथपुरा के निकट लगभग 200 किलो विस्फोटक से भरे वाहन से सीआरपीएफ के काफिले को टक्कर मार दी थी।

आरोप पत्र में कहा गया है कि आदिल अहमद डार विस्फोटक से लदी वह कार चला रहा था। उसने बिलाल अहमद कूचे द्वारा खरीदे गए हाइटेक फोन से पुलवामा में शाकिर बशीर के घर पर अपना आखिरी वीडियो बनाया था। डार मर चुका है जबकि बशीर और कूचे को गिरफ्तार कर लिया गया था। आरोप पत्र में कहा गया है कि पहले वह कार बशीर चला रहा था। बाद में उसने कार डार को दे दी, जिसने उसे सीआरपीएफ के काफिले में घुसा दिया। जांच से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, ''यह हमारी लिये काफी पेचीदा मामला था। कई दिक्कतें आईं, लेकिन उन्हें दूर कर अदालत में संदेह से परे सारे सबूत पेश किए गए।''

उन्होंने कहा कि सबसे पहली चुनौती उस कार के मालिक का पता लगाना था, जिसका इस्तेमाल डार ने हमले को अंजाम देने के लिये किया था। उस कार का कुछ बाकी नहीं बचा था। लेकिन फॉरेंसिक पद्धतियों और कड़ी मेहनत से की गई जांच की मदद से, धमाके के बाद चकनाचूर हुई कार के सीरियल नंबर का पता लगाया गया और कुछ ही समय में इसके पहले और अंतिम मालिक का पता लगा लिया गया। हालांकि कार का अंतिम मालिक अनंतनाग जिले के बिजबेहरा का रहना वाला सज्जाद भट्ट (आरोप पत्र में नामजद) 14 फरवरी को हमले से कुछ घंटे पहले भागकर जैश-ए-मोहम्मद में शामिल हो गया था। वह पिछले साल जून में हुई एक मुठभेड़ में मारा गया था।

एक अधिकारी ने बताया, ''यह तो स्पष्ट था कि आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार था, लेकिन इसे सबूतों के साथ सिद्ध किया जाना था। इसके लिये विभिन्न जगहों से मानव अवशेषों को इकट्ठा कर डीएनए का पता लगाने भेजा गया। '' उन्होंने कहा, ''आत्मघाती हमलावार की पहचान कर ली गई और कार के टुकड़ों से लिये गए डीएनए नमूनों का हमलावर के पिता के डीएनए से मिलान हो जाने के बाद इसकी पुष्टि भी हो गई।''

उन्होंने कहा कि अन्य साजिशकर्ताओं मुदस्सिर खान, कारी मुफ्ती यासिर और कामरान की भूमिका भी सामने आ गई है, लेकिन वे सभी सुरक्षा बलों के साथ अलग-अलग मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं। खान की मौत पिछले साल 10 मार्च, कामरान की 29 मार्च और सज्जाद भट की मौत 18 जून को हो चुकी है जबकि कारी यासेर को इस साल 25 जून को मुठभेड़ में मार गिराया गया। जेईएम के प्रवक्ता मोहम्मद हसन की उस वीडियो को फोरेंसिक जांच के लिये भेजा गया, जिसमें वह दावा करता है कि हमले के लिये उसका संगठन जिम्मेदार है। इसका आईपीएस एड्रेस खंगालने पर पता चला कि वह कंप्यूटर पाकिस्तान में हैं। 

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