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घटती आबादी से चिंतित माहेश्वरी समुदाय, एकल संतान के बढ़ते चलन के खिलाफ चलाएंगे जागरूकता अभियान

By भाषा | Updated: July 28, 2019 17:24 IST

माहेश्वरी समुदाय हिंदू संप्रदाय के तहत आता है और राजस्थान, मध्यप्रदेश तथा पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में इसकी बड़ी आबादी रहती है।

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ठळक मुद्देसोनी ने बताया कि उनके पास मौजूद आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में माहेश्वरी समुदाय के करीब 1.4 लाख परिवार हैं।यह आबादी गुजरे दशकों के मुकाबले कम है।

परिवार नियोजन के संदर्भ में मशहूर कहावत है-"शेर का बच्चा, एक ही अच्छा।" लेकिन माहेश्वरी समुदाय की घटती आबादी से चिंतित इसके शीर्ष सामाजिक संगठन ने एकल संतान के बढ़ते चलन के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने का फैसला किया है। संगठन का दावा है कि परिवारों में एकल संतान के रुझान से मौजूदा पीढ़ी को सामाजिक मूल्यों में गिरावट समेत अलग-अलग संकटों का सामना करना पड़ रहा है।

अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महासभा के सभापति श्यामसुंदर सोनी ने यहां "पीटीआई-भाषा" से कहा, "हम अपनी घटती आबादी से निश्चित तौर पर चिंतित हैं। लेकिन हम संस्कारों में गिरावट और विभिन्न सामाजिक संकटों से अपेक्षाकृत ज्यादा चिंतित हैं जो एकल संतान के बढ़ते चलन के कारण मौजूदा पीढ़ी के सामने खड़े हैं।"

सोनी ने कहा कि वह एकल संतान के चलन के खिलाफ माहेश्वरी समुदाय में जागरूकता फैलायेंगे, क्योंकि वह सामाजिक आबादी में "गुणात्मक सुधार" लाना चाहते हैं। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि वह इस विषय में अपने समुदाय के लिये कोई "फरमान" जारी नहीं कर रहे हैं। माहेश्वरी समुदाय हिंदू संप्रदाय के तहत आता है और राजस्थान, मध्यप्रदेश तथा पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में इसकी बड़ी आबादी रहती है।

इस समुदाय के सामाजिक अगुवा सोनी ने कहा, "कोई युगल कितने बच्चे पैदा करता है, यह जाहिर तौर पर उसका अपना फैसला होता है। लेकिन मौजूदा हालात के मद्देनजर हमें एक मानव समाज के रूप में विचार करना ही होगा कि नयी पीढ़ी के बच्चों में बढ़ता अकेलापन, निराशा और अवसाद के साथ बुढ़ापे में माता-पिता की बुरी स्थिति जैसी समस्याओं की जड़ में एकल संतान का बढ़ता चलन तो नहीं है?"

उन्होंने दावा किया, "आमतौर पर देखा गया है कि अगर किसी परिवार में एक से ज्यादा बच्चे होते हैं, तो उनमें त्याग, सेवा, समर्पण और सहजीविता के सामाजिक गुण नैसर्गिक रूप से विकसित होते हैं।" सोनी ने बताया कि उनके पास मौजूद आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में माहेश्वरी समुदाय के करीब 1.4 लाख परिवार हैं। यह आबादी गुजरे दशकों के मुकाबले कम है। उन्होंने कहा, "एक गणितीय अनुमान के मुताबिक किसी भी समुदाय में हर 100 जोड़ों पर 214 बच्चे होने पर उस समुदाय की आबादी की यथास्थिति बनी रह सकती है। लेकिन हमारे समुदाय में फिलहाल हर 100 दम्पतियों पर 155 बच्चे हैं।"

बहरहाल, नसबंदियों के विश्व रिकॉर्ड के लिये विख्यात परिवार नियोजन विशेषज्ञ डॉ. ललितमोहन पंत का कहना है कि एकल संतान के चलन ने भारत की जनसंख्या को नियंत्रित करने में मदद की है और सामाजिक मूल्यों में गिरावट का ठीकरा सिर्फ इस रुझान पर नहीं फोड़ा जा सकता। अब तक करीब 3.81 लाख नसबंदियां कर चुके सर्जन ने कहा, "मेरा मानना है कि अगर किसी परिवार में केवल एक बच्चा है, तो उसके माता-पिता उसे सामाजिक रूप से गुणी और संस्कारी बनाने पर अपेक्षाकृत ज्यादा ध्यान दे सकते हैं।"

अपने माता-पिता की एकल संतान के रूप में पैदा हुए बच्चों के व्यक्तित्व विकास के बारे में पूछे जाने पर मनोविज्ञानी डॉ. स्वाति प्रसाद ने कहा, "मसला किसी परिवार में एक बच्चे या एक से अधिक बच्चों का नहीं है। सबसे अहम बात यह है कि माता-पिता अपनी संतान की परवरिश पर कितना ध्यान देते हैं।

हमारे पास अक्सर ऐसे मामले भी आते हैं, जब कोई बच्चा अपने सहोदर के लिये प्रतिस्पर्धा व जलन की भावना रखता है और इसके प्रति माता-पिता की अनदेखी के कारण आखिरकार अवसाद से घिर जाता है।" 

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