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Maharashtra Waqf Board Grant: 28 नवंबर को वक्फ बोर्ड को 10 करोड़ जारी?, 29 नवंबर को बीजेपी ने किया विरोध!, महायुति सरकार ने आदेश वापस लिया

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 29, 2024 21:58 IST

Maharashtra Waqf Board Grant: भाजपा के शीर्ष नेता और निवर्तमान सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि कार्यवाहक सरकार ने अपना फैसला वापस ले लिया है क्योंकि यह उपयुक्त नहीं था। 

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ठळक मुद्देनयी सरकार सरकारी आदेश की वैधता की जांच करेगी। बोर्ड के लिए 100 करोड़ रुपये की निधि की मांग की।अजित पवार नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने 41 सीट जीती है।

Maharashtra Waqf Board Grant: महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड को मजबूत करने के लिए 10 करोड़ रुपये की निधि हस्तांतरित करने संबंधी एक सरकारी प्रस्ताव जारी किये जाने के एक दिन बाद, राज्य सरकार ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विरोध के बीच शुक्रवार को यह आदेश वापस ले लिया। राज्य की मुख्य सचिव सुजाता सौनिक ने इस बात की पुष्टि की है कि आदेश वापस ले लिया गया है। महायुति गठबंधन के तहत, हालिया विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाली भाजपा ने सरकारी प्रस्ताव का यह कहते हुए विरोध किया कि निर्णय प्रशासनिक स्तर पर लिया गया था और संविधान में वक्फ बोर्ड का कोई उल्लेख नहीं है। राज्य में भाजपा के शीर्ष नेता और निवर्तमान सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि कार्यवाहक सरकार ने अपना फैसला वापस ले लिया है क्योंकि यह उपयुक्त नहीं था।

उन्होंने कहा कि नयी सरकार सरकारी आदेश की वैधता की जांच करेगी। समाजवादी पार्टी के विधायक रईस शेख ने कहा कि आदेश वापस लेने का राज्य सरकार का फैसला प्रदर्शित करता है कि नया शासन ‘‘अल्पसंख्यक विरोधी’’ है। उन्होंने राज्य वक्फ बोर्ड के लिए 100 करोड़ रुपये की निधि की मांग की।

महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त होने के बाद एकनाथ शिंदे वर्तमान में कार्यवाहक मुख्यमंत्री हैं। सत्तारूढ़ महायुति ने राज्य में सत्ता बरकरार रखी है। गठबंधन ने 288 सीट में से 230 पर जीत दर्ज की। भाजपा ने 132, शिंदे नीत शिवसेना ने 57 और अजित पवार नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने 41 सीट जीती है।

बृहस्पतिवार को जारी सरकारी आदेश में कहा गया कि वित्त एवं नियोजन विभाग ने महाराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड को मजबूत करने के लिए 10 करोड़ रुपये के अनुदान को मंजूरी दी है। बोर्ड का मुख्यालय छत्रपति संभाजीनगर में है। यह पूछे जाने पर क्या सरकारी प्रस्ताव वापस ले लिया गया, सौनिक ने इस घटनाक्रम की पुष्टि की।

बृहस्पतिवार को जारी सरकारी प्रस्ताव के अनुसार, राज्य वक्फ बोर्ड को मजबूत करने के लिए 2024-25 के लिए 20 करोड़ रुपये मंजूर किये गए थे। इसमें से दो करोड़ रुपये बोर्ड को हस्तांतरित किये जा चुके हैं। वक्फ बोर्ड के प्रमुख को निर्धारित नियमों के तहत व्यय करने में सावधानी बरतने को कहा गया है।

भाजपा की महाराष्ट्र इकाई ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि ये ‘‘फर्जी खबरें’’ फैलाई जा रही हैं कि महायुति सरकार ने वक्फ बोर्ड को 10 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है। प्रदेश भाजपा ने पोस्ट में कहा, ‘‘यह निर्णय अधिकारियों ने प्रशासनिक स्तर पर लिया था। भाजपा के कड़े विरोध के बाद सरकारी प्रस्ताव को रद्द कर दिया गया।

भाजपा अपने इस रुख पर दृढ़ है कि संविधान में वक्फ बोर्ड का कोई उल्लेख नहीं है।’’ समाजवादी पार्टी के विधायक रईस शेख ने कहा कि मुस्लिम समुदाय राज्य की आबादी का 12 प्रतिशत है और वक्फ बोर्ड के पास संसाधनों की कमी के कारण इसकी 60 प्रतिशत संपत्तियों पर अतिक्रमण हो गया है।

उन्होंने दावा किया कि बोर्ड के पास संपत्ति से संबंधित कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए धन की कमी है तथा उसे अपने दैनिक कार्यों के प्रबंधन के लिए इस वित्तीय सहायता की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राज्य में 37,330 हेक्टेयर क्षेत्र में 23,566 वक्फ संपत्तियां हैं, जिनमें सबसे अधिक संपत्तियां छत्रपति संभाजीनगर संभाग में हैं।

केंद्र के वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर विवाद के बीच यह घटनाक्रम हुआ। केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को संसद के शीतकालीन सत्र के लिए अपनी विधायी कार्य सूची में शामिल किया है। संशोधन विधेयक पर संसदीय समिति से एक रिपोर्ट लंबित है। विधेयक में वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है, जिसका उद्देश्य विभिन्न वक्फ बोर्ड के कामकाज में जवाबदेही और पारदर्शिता लाना तथा इनमें महिलाओं को शामिल करने को अनिवार्य करने के लिए प्रावधान भी है।

विधेयक को लोकसभा में आठ अगस्त को पेश किया गया था और इसे संसद के निचले सदन के सदस्य जगदम्बिका पाल की अध्यक्षता वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को पड़ताल के लिए भेजा गया है। इस हफ्ते की शुरुआत में, जेपीसी में शामिल विपक्षी सदस्यों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर समिति का कार्यकाल विस्तारित करने का आग्रह किया था ताकि (संशोधन) विधेयक पर विचार-विमर्श किया जा सके।

टॅग्स :एकनाथ शिंदेदेवेंद्र फड़नवीसअजित पवार
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