लोगों को न्याय प्रदान करने में महाराष्ट्र शीर्ष पर : रिपोर्ट
By भाषा | Published: January 28, 2021 06:04 PM2021-01-28T18:04:51+5:302021-01-28T18:04:51+5:30
(पवन कुमार सिंह)
नयी दिल्ली, 28 जनवरी लोगों को न्याय प्रदान करने वाले राज्यों की सूची में वर्ष 2020 में महाराष्ट्र शीर्ष पर रहा और इसके बाद तमिलनाडु, तेलंगाना, पंजाब और केरल को स्थान मिला है। ‘टाटा ट्रस्ट’ की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
छोटे राज्यों में (जहां की आबादी एक करोड़ से कम है) त्रिपुरा शीर्ष पर रहा और इसके बाद सिक्किम और गोवा हैं।
‘इंडिया जस्टिस रिपोर्ट’ का दूसरा संस्करण पुलिस, न्यायपालिका, जेल और कानूनी सहायता से संबंधित विभिन्न सरकारी आंकड़ों पर आधारित है।
टाटा ट्रस्ट ने सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन काउज, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट इनिशिएटिव, दक्ष, टीआईएसएस-प्रयास, विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी और हाउ इंडिया लाइव्स के साथ तालमेल से यह रैकिंग तैयार की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में केवल 29 प्रतशित महिला न्यायाधीश है। उच्च न्यायालयों में महिला न्यायाधीशों की संख्या 11 प्रतिशत से बढ़कर 13 प्रतिशत हुई है जबकि अधीनस्थ अदालतों में उनकी संख्या 28 प्रतिशत से बढ़कर 30 प्रतिशत हो गयी है।
रिपोर्ट की प्रस्तावना लिखने वाले उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम बी लोकुर ने कहा है कि सबसे ज्यादा चिंता की बात अदालतों में लंबित मामलों की संख्या है। हालांकि महामारी के कारण कम ही याचिकाएं दाखिल हुई।
न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा है, ‘‘यह प्रस्तावना लिखने के समय राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड के मुताबिक देश में जिला अदालतों में 3.53 करोड़ मामले लंबित हैं। इसके अलावा उच्च न्यायालयों में 47 लाख मामले हैं।’’
पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि न्यायिक सुधार बहुत जरूरी हैं और इसे युद्ध स्तर पर इसे करना होगा।
जेल के संबंध में रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रति कैदी औसतन खर्च भी करीब 45 प्रतिशत तक बढ़ा है। आंध्र प्रदेश में वार्षिक तौर पर सबसे ज्यादा 2,00,871 रुपये जबकि मेघालय में एक कैदी पर 11,046 रुपये खर्च होता है।
रिपोर्ट में न्याय प्रदान करने वाली प्रणाली- न्यायपालिका, पुलिस जेल और कानूनी सहायता से संबंधित आंकड़ों पर गौर किया गया।
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