मुंबईः शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की। इस दौरान उनके बेटे आदित्य ठाकरे भी मौजूद थे। फडणवीस ने एक दिन पहले अपने पूर्व सहयोगी (उद्धव ठाकरे) को (एक कार्यक्रम में) ‘‘इधर आने’’ (राजग में शामिल होने) की पेशकश की थी, जिससे राज्य में राजनीतिक अटकलों का दौर शुरू हो गया है। ठाकरे ने आज विधानपरिषद के सभापति राम शिंदे के कक्ष में फडणवीस से मुलाकात की। लगभग आधे घंटे तक चली इस भेंट में पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे और वर्ली से विधायक आदित्य ठाकरे भी मौजूद थे।
विधानभवन परिसर में संवाददाताओं द्वारा इस भेंट के विषय में पूछे जाने पर आदित्य ठाकरे ने कहा कि यह भेंट मराठी भाषा संबंधी मुद्दों पर चर्चा के लिए की गयी थी। आदित्य ठाकरे ने कहा, ‘‘हमने इस बात पर अपना विचार रखा कि पहली कक्षा से हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में क्यों नहीं थोपा जाना चाहिए। हमने विशेषज्ञों और गैर-राजनीतिक व्यक्तियों द्वारा लिखे गए लेखों का एक संग्रह दिया।’’
बुधवार को विधानपरिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे के विदाई समारोह में मुख्यमंत्री ने व्यंग्यात्मक लहजे में उद्धव ठाकरे से कहा था कि भाजपा की उनके साथ विपक्ष में बैठने की संभावना तो नहीं है, लेकिन वह सत्ता पक्ष की तरफ आ सकते हैं। फडणवीस ने कहा था, ‘‘उद्धव जी, 2029 तक (सरकार में बदलाव की) कोई गुंजाइश नहीं है।
हमारे पास दूसरे तरफ (विपक्ष) जाने की गुंजाइश नहीं है। आपके पास यहां आने की गुंजाइश है और इस पर विचार किया जा सकता है। हम इसके बारे में अलग तरह से सोच सकते हैं।’’ ठाकरे के नेतृत्व वाली अविभाजित शिवसेना ने 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद साझा करने के विवाद को लेकर पुरानी सहयोगी भाजपा से नाता तोड़ लिया था।
आपके पास हमारे पक्ष में आने की गुंजाइश है: फडणवीस ने उद्धव से कहा
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को अपने पूर्व सहयोगी उद्धव ठाकरे से कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)उनके साथ विपक्ष में शामिल होने की संभावना नहीं रखती, लेकिन वह सत्ता पक्ष में आ सकते हैं। फडणवीस विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे के विदाई समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे उनके बगल में बैठे थे। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उद्धव जी, 2029 तक (सरकार में बदलाव की) कोई गुंजाइश नहीं है। हमारे पास दूसरे (विपक्ष) पक्ष में आने की गुंजाइश नहीं है। आपके पास यहां आने की गुंजाइश है, और इस बारे में सोचा जा सकता है। हम इसके बारे में अलग तरीके से सोच सकते हैं।’’
ठाकरे के नेतृत्व वाली अविभाजित शिवसेना ने 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद अपने लंबे समय के सहयोगी भाजपा से नाता तोड़ लिया था। फडणवीस की यह टिप्पणी उनके और शिंदे के बीच जारी अनबन की खबरों के बीच आई है, जिन्होंने 2022 में शिवसेना को तोड़कर भाजपा से हाथ मिला लिया था। कहा जाता है कि शिंदे उस समय नाखुश थे जब उन्हें 2024 के चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले ‘महायुति’ गठबंधन द्वारा भारी जीत हासिल करने के बाद मुख्यमंत्री पद फडणवीस को सौंपना पड़ा।