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महाराष्ट्र राजनीतिक संकट: बीजेपी-शिवसेना में गतिरोध दूर करने RSS ने बढ़ाए कदम, दो दिन पहले शुरू हुई हस्तक्षेप की प्रक्रिया

By हरीश गुप्ता | Updated: November 7, 2019 07:50 IST

संघ परिवार के सूत्रों की मानें तो भाजपा और शिवसेना के बीच गतिरोध दूर करने के लिए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से बात कर सकते हैं.

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ठळक मुद्देएनसीपी प्रमुख शरद पवार के उनकी पार्टी और कांग्रेस को विपक्ष में बैठने का जनादेश मिलने की बात कहने के बाद शिवसेना के तेवर नरम पड़ गए हैं. उल्लेखनीय है कि मोहन भागवत के प्रयासों से ही लोकसभा चुनाव से पहले मई में भाजपा-शिवसेना के बीच सीटों का बंटवारा हुआ था.

महाराष्ट्र में पिछले 10 दिनों से जारी राजनीतिक संकट को दूर करने के लिए आखिरकार आरएसएस ने कदम बढ़ाया है. संघ के हस्तक्षेप की प्रक्रिया दो दिन पहले निवर्तमान मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस का सड़क परिवहन और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी के साथ मुलाकात से साथ शुरू हुई.

हालांकि दोनों नेताओं ने नहीं बताया कि उनके बीच क्या बातचीत हुई, लेकिन माना जाता है कि फड़नवीस चाहते थे कि गडकरी राजनीतिक संकट में हस्तक्षेप करें क्योंकि उनके शिवसेना के साथ भी अच्छे संबंध भी हैं. इस बैठक के बाद फड़नवीस आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मिलने नागपुर गए ताकि उन्हें राजनीतिक घटनाक्रमों की जानकारी दी जा सके.

उल्लेखनीय है कि मोहन भागवत के प्रयासों से ही लोकसभा चुनाव से पहले मई में भाजपा-शिवसेना के बीच सीटों का बंटवारा हुआ था. इन सूत्रों का कहना है कि राम मंदिर मुद्दे पर मोहन भागवत अत्यधिक व्यस्त हैं क्योंकि 11-13 नवंबर के बीच सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ सकता है.

शिवसेना भी राम मंदिर आंदोलन में लंबे समय तक संघर्ष कर चुकी है और परिवार का अभिन्न हिस्सा भी रही है. इसी वजह से संघ प्रमुख संकट का हल करने के लिए प्रयास कर सकते हैं और भाजपा को सत्ता साझा करने में उदार बनने के लिए मना सकते हैं. वह राजनीतिक गर्मियों को दूर करना चाहते हैं क्योंकि राम मंदिर का बड़ा मुद्दा अगले सप्ताह सामने आएगा.

इन कारणों से तेवर में नरमी :

एनसीपी प्रमुख शरद पवार के उनकी पार्टी और कांग्रेस को विपक्ष में बैठने का जनादेश मिलने की बात कहने के बाद शिवसेना के तेवर नरम पड़ गए हैं. सुर में यह बदलाव कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का शरद पवार को यह बताना भी रहा कि उनकी पार्टी को शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार को अंदर या बाहर से समर्थन करना उनकी पार्टी के लिए मुश्किल होगा. इन घटनाक्रमों के कारण राजनीतिक संकट दूर करना प्राथमिकता हो सकती है.

टॅग्स :मोहन भागवतआरएसएसशिव सेनाभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)असेंबली इलेक्शन 2019महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019
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