महाराष्ट्र: सीएम राहत फंड से मृतकों को दिया गया इलाज का खर्च, गरीबों के लिए चलाई गई थी योजना

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: February 27, 2018 11:01 AM2018-02-27T11:01:23+5:302018-02-27T11:17:48+5:30

Financial Assistance Scheme Maharashtra: महाराष्ट्र की स्वास्थ्य के लिए शुरू की गई आर्थिक सहायता योजना का फायदा उठाने के लिए फर्जी पहचान, रिकॉर्ड, आवेदन और बिलों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

Maharashtra financial assistance scheme for poor is ailing, tweaked records and fake estimates | महाराष्ट्र: सीएम राहत फंड से मृतकों को दिया गया इलाज का खर्च, गरीबों के लिए चलाई गई थी योजना

महाराष्ट्र: सीएम राहत फंड से मृतकों को दिया गया इलाज का खर्च, गरीबों के लिए चलाई गई थी योजना

Highlightsकई हेल्थकेयर प्रदाताओं ने फंड पाने के लिए रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ की। एस्टीमेट बनाने में भी गड़बड़ी की गई।एक ही मरीज ने कई बार आवेदन किए और फंड भी पास हो गया। फंड फ्रैक्चर, इंफेक्शन और शराब की वजह से पैदा हुई छोटी-मोटी तकलीफों के लिए जारी कर दिया गया।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के ऑफिस ने 17 जून 2017 को 90,000 रुपये का एक चेक जारी किया। यह रकम मुंबई के हार्ट अस्पताल के आधिकारिक बैंक खाते में डाली गई थी। मुख्यमंत्री राहत फंड (CMRF) के तहत यह रकम 45 वर्षीय अशोक पांडुरंग भोसले के इलाज के लिए जारी की गई थी। अशोक की आर्थिक मदद का आवेदन अशोक की मृत्यु के 10 दिन बाद किया गया था। महाराष्ट्र सरकार ने इलाज के लिए आर्थिक मदद का फंड मृत्यु के 21 दिन बाद जारी किया। भ्रष्टाचार का खुलासा होने पर महाराष्ट्र सरकार की इस लोकप्रिय योजना पर सवाल उठने लगे हैं।

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने इस केस के साथ करीब 1500 केस की पड़ताल की है। आरटीआई से प्राप्त दस्तावेजों की पड़ताल में महाराष्ट्र के गरीबों के आर्थिक मदद की लोकप्रिय योजना की पोल खुल गई है। रिपोर्ट के मुताबिक इलाज का पैसा मृतकों को दिया जा रहा है। अस्पताल बिलों के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं। 

अखबार की जांच पड़ताल में पता चला है कि नेक-नीयत के साथ शुरू हुई यह योजना लागू करने के स्टेज में भ्रष्ट हो गई। योजना का फायदा उठाने के लिए फर्जी पहचान, रिकॉर्ड, आवेदन और बिलों का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह भी पाया गया कि तमाम फर्जी केस सामने आने के बावजूद मुख्यमंत्री कार्यालय ने फंड की स्वीकृति जारी रखी। यह पड़ताल इसलिए भी मौजूं है क्योंकि केंद्र सरकार ने बजट-2018 में एक फ्लैगशिप हेल्थ स्कीम की घोषणा की है जो राज्य सरकारों की मदद से चलाई जाएगी।

आरटीआई से प्राप्त दस्तावेज दिखाते हैं कि 1 नवंबर 2014 से 30 सितंबर 2017 के बीच महाराष्ट्र सरकार ने मुख्यमंत्री राहत कोष 23,267 मामलों में 237 करोड़ रुपये की मेडिकल सहायता दी है। इंडियन एक्सप्रेस के 1500 केस की पड़ताल में करीब 150 में गड़बड़ी पाई गई।

रिपोर्ट की खास बातेंः-

- कई हेल्थकेयर प्रदाताओं ने फंड पाने के लिए रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ की। एस्टीमेट बनाने में भी गड़बड़ी की गई।

- मुख्यमंत्री राहत कोष के नियमों के मुताबिक फंड सिर्फ जानलेवा बीमारियों की स्थिति में जारी किया जाएगा। लेकिन फंड फ्रैक्चर, इंफेक्शन और शराब की वजह से पैदा हुई छोटी-मोटी तकलीफों के लिए जारी कर दिया गया।

- नियम है कि एक व्यक्ति किसी एक बीमारी के लिए तीन साल में एक बार ही आर्थिक सहायता ले सकता है। लेकिन कई केस ऐसे मिले जिसमें एक ही मरीज ने कई बार आवेदन किए और फंड भी पास हो गया।

एक और केस में मुंबई के रहने वाले बिल्डिंग कॉन्ट्रैक्टर जिनका डोन्बिवली जैसे इलाके में खुद का मकान है। उन्होंने 30 मई 2017 को क्षेत्रीय तहसीलदार से एक प्रमाणपत्र प्राप्त किया जिसमें लिखा था कि उनकी मासिक तनख्वाह 7,666 रुपये महीना है। हैरानी की बात यह है कि 5 जून 2017 को उनके कैंसर के इलाज के लिए एक लाख रुपये पास कर दिए गए। जब इंडियन एक्सप्रेस ने कॉन्ट्रैक्टर की बेटी से संपर्क किया जिसने आवेदन किया था। उसने बताया कि वो एक जानी-मानी प्राइवेट फर्म में मैनेजर की पोस्ट पर तैनात है। जब उससे पूछा गया कि कैसे इतनी कम इनकम का प्रमाण पत्र हासिल किया गया तो उसने बिना कुछ बोले फोन काट दिया।

Web Title: Maharashtra financial assistance scheme for poor is ailing, tweaked records and fake estimates

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