महाराष्ट्र चुनावः बिना हथियार और संसाधनों के लड़ी कांग्रेस, 2014 की तुलना में पार्टी ने किया बेहतर प्रदर्शन 

By शीलेष शर्मा | Updated: October 25, 2019 06:14 IST2019-10-25T06:14:06+5:302019-10-25T06:14:06+5:30

चुनाव से पूर्व लग रहा था कि कांग्रेस महाराष्ट्र में हाशिये से नीचे उतर जाएगी और उसकी जीत का आंकड़ा 10 के आस-पास सिमट जाएगा. लेकिन राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता शरद पवार ने जिस तरह तबाड़-तोड़ सभाएं की उससे  लगने लगा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस तमाम विपरीत परिस्थितियों के बेहतर परिणाम लाने में कामयाब होगी.

Maharashtra elections: Congress fought without arms and resources and party improves his performance | महाराष्ट्र चुनावः बिना हथियार और संसाधनों के लड़ी कांग्रेस, 2014 की तुलना में पार्टी ने किया बेहतर प्रदर्शन 

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Highlightsलोकसभा चुनाव में पूरी तरह महाराष्ट्र से साफ हो चुकी कांग्रेस ने 2014 की तुलना में 3 सीटों का इजाफा किया है. यह स्थिति तब बनी जब कांग्रेस 2019 विधानसभा चुनाव में जमीन पर कोई चुनाव लड़ने के लिए मानसिक रूप से दिवालिया हो चुकी थी.

लोकसभा चुनाव में पूरी तरह महाराष्ट्र से साफ हो चुकी कांग्रेस ने 2014 की तुलना में 3 सीटों का इजाफा किया है. यह स्थिति तब बनी जब कांग्रेस 2019 विधानसभा चुनाव में जमीन पर कोई चुनाव लड़ने के लिए मानसिक रूप से दिवालिया हो चुकी थी. महाराष्ट्र में कांग्रेस के पास ना तो कोई सशक्त चेहरा था और ना ही चुनाव जीतने की लालसा.  

कांग्रेस के बड़े नेता बारी-बारी से भाजपा की गोद में जा बैठे. जब चुनाव प्रचार की बारी आई और चुनाव आयोग को स्टार प्रचारकों की जो सूची सौंपी गयी उसमें सोनिया, मनमोहन सिंह, राहुल और प्रियंका सहित 40 नेताओं के नाम थे. लेकिन चुनाव के दौरान प्रचार करने के लिए ना तो प्रियंका पहुंची ना सोनिया. 

सोनिया गांधी का राकांपा नेता शरद पवार के साथ संयुक्त चुनावी सभा संबोधित करने का कार्यकम भी था लेकिन वह सभा भी नहीं हो सकी. महाराष्ट्र के जो बचे-कुचे कांग्रेसी नेता थे वे अपने-अपने चुनाव में ही उलझ कर रहे गये. चुनाव प्रचार करने के नाम पर अशोक गहलोत, ज्योतिरादित्य सिंधिया, शुत्रघ्न सिन्हा सरीखे कुछ नेता ही पहुंचे और जो पहुंचे उन्होंने व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर चुनींदा प्रत्याशियों के पक्ष में चुनावी सभाएं की. सच तो यह है कि पूरी कांग्रेस महाराष्ट्र में अनाथ पार्टी के रुप में चुनाव मैदान में थी.

ना चुनाव प्रचार सामग्री, ना पैसा फिर भी कांग्रेस कार्यक़र्ता बिना हथियार के चुनाव जंग लड़ रहे थे. यह स्थिति तब थी जब कांग्रेस के कुछ बड़े चेहरे बगावत पर उतारू थे और कुछ पार्टी छोड़कर जा चुके थे. चुनाव से पूर्व लग रहा था कि कांग्रेस महाराष्ट्र में हाशिये से नीचे उतर जाएगी और उसकी जीत का आंकड़ा 10 के आस-पास सिमट जाएगा.

लेकिन राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता शरद पवार ने जिस तरह तबाड़-तोड़ सभाएं की उससे  लगने लगा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस तमाम विपरीत परिस्थितियों के बेहतर परिणाम लाने में कामयाब होगी. हालांकि राष्ट्रवादी नेताओं पर ईडी का शिकंजा उसी समय कस गया जब चुनाव अपने चरम पर था. पार्टी के शीर्ष नेता शरद पवार तक को ईडी का नोटिस भेजकर केंद्र सरकार ने पूरे प्रदेश में यह संदेश की कोशिश की कि राकांपा पूरी तरह भ्रष्टाचार में लिप्त है. 

प्रफुल्ल पटेल, अजीत पवार भी इसी पंक्ति में खड़े नजर आए. बावजूद इसके राकांपा नेताओं ने अपने संघर्ष की धार को कमजोर नहीं किया. नतीजा सामने था कि कांग्रेस जो 2014 में 42 पर सिमट गई थी वह बिना लड़े 45 सीटें पाने में कामयाब हो गयी. राष्ट्रवादी कांग्रेस जो 2014 में 41 सीटों पर जीत कर आई उसने अपनी कड़ी मेहनत से 54 सीटों पर जीत हासिल की.

इसके पलट भाजपा जिसने ऐडी से चोटी तक का जोर लगाकर साम,दाम,दंड,भेद से पूरे मंत्रिमंडल को चुनाव प्रचारमें उतार दिया हो वह 2014 में 122 सीटें हासिल करने के बाद 2019 में 104 पर सिमट गई. यही हाल कमोवेश शिव सेना का था 2014 में 63 सीटों पर शिव सेना ने जीत हासिल की थी लेकिन 2019 में केवल 56 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दस चुनावी सभाएं की और अमित शाह ने डेढ़ दर्जन से अधिक चुनावी सभाएं की, धारा 370, पाकिस्तान जैसे राष्ट्रवादी मुददों को उठाया परंतु जो दावा चुनाव से पहले कर रहे थे वह आंकड़ा नहीं छू सके. चुनाव परिणाम बताते है कि राज्य में मतदाता एक मजबूत विपक्ष को देखना चाहता था जिसके अभाव में भाजपा को सरकार बनाने का अवसर हाथ लग गया.  

कांग्रेस इन तमाम मुद्दों की समीक्षा में जुट गयी है और जिस समय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी हरियाणा के लिए रणनीति पर विचार कर रहीं थी उसी समय महाराष्ट्र से जुड़े इन मुद्दों पर भी चर्चा हुई ताकि इनसे सबक लेकर आगे से चुनावी जंग को पार्टी पूरी ताकत से लड़ सके.  संभवत: कांग्रेस को भूल का अहसास हो रहा था.

Web Title: Maharashtra elections: Congress fought without arms and resources and party improves his performance

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