मुंबईः देवेंद्र फडणवीस नीत महाराष्ट्र मंत्रिमंडल की बैठक में मंगलवार को शिवसेना के अधिकतर मंत्री शामिल नहीं हुए। वहीं, सत्तारूढ़ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख एवं उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि बैठक के दौरान उन्हें किसी असंतोष का एहसास नहीं हुआ। सूत्रों के अनुसार, शिवसेना की ओर से केवल उपमुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख एकनाथ शिंदे ही मंत्रिमंडल की बैठक में शामिल हुए। सूत्रों के मुताबिक, सत्तारूढ़ शिवसेना अपनी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को यह संदेश देना चाहती थी कि उसे भाजपा द्वारा उसके कार्यकर्ताओं और नेताओं को अपने पाले में करना मंजूर नहीं है।
कल्याण-डोंबिवली में हाल में शिवसेना से भाजपा में शामिल हुए लोगों की वजह से इस मुद्दे ने तूल पकड़ा है। हालांकि, यहां संवाददाताओं से बातचीत में अजित पवार ने कहा कि उन्हें लगता है कि दो दिसंबर को होने वाले नगर परिषद चुनावों के लिए नामांकन पत्रों की जांच के कारण शिवसेना के मंत्री अनुपस्थित रहे।
पवार ने कहा, "राकांपा के मकरंद पाटिल (मंत्रिमंडल बैठक में) अनुपस्थित थे। हसन मुश्रीफ भी जल्दी चले गए। अगर मुझे शिवसेना के मंत्रियों की नाराज़गी के बारे में पता होता, तो मैं एकनाथ शिंदे से इस बारे में पूछता। लेकिन मुझे किसी तरह की नाराज़गी का एहसास नहीं हुआ।" उन्होंने कहा कि सभी दलों को अपना दायरा और अपना जनाधार बढ़ाने का अधिकार है।
पवार ने कहा, "ऐसा तब ज़्यादा होता है, जब चुनाव नज़दीक होते हैं।" महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ ‘महायुति’ में भाजपा, शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, भाजपा ने कल्याण-डोंबिवली में शिवसेना के नेताओं और कार्यकर्ताओं को शामिल कर लिया है, जिससे शिंदे की पार्टी में बेचैनी और असंतोष फैल गया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण डोंबिवली से हैं, वहीं एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत कल्याण लोकसभा सीट से सांसद हैं।
शिंदे समूह के मंत्रियों का मंत्रिमंडल की बैठक का ‘बहिष्कार’ करना राज्य का अपमान : आदित्य ठाकरे
शिवसेना (उबाठा) नेता आदित्य ठाकरे ने मंगलवार को महाराष्ट्र मंत्रिमंडल की बैठक का बहिष्कार करने के लिए प्रतिद्वंद्वी शिवसेना गुट के मंत्रियों की आलोचना की और कहा कि यह एक स्वार्थी कृत्य और लोगों का “अपमान” है। शिवसेना (उबाठा) के एक अन्य नेता चंद्रकांत खैरे ने दावा किया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना के मंत्रियों को दरकिनार कर दिया है।
नगर निकाय चुनावों से पहले, भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति सरकार में शिवसेना के मंत्री मंगलवार को साप्ताहिक कैबिनेट बैठक से दूर रहे, क्योंकि वे ठाणे जिले में भाजपा द्वारा शिवसेना कार्यकर्ताओं को पार्टी में शामिल किए जाने से नाराज थे। बैठक में केवल शिवसेना प्रमुख और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ही शामिल हुए।
‘एक्स’ पर एक पोस्ट में, आदित्य ठाकरे ने दावा किया कि शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी परेशान है, क्योंकि भाजपा इसे विभाजित करने की कोशिश कर रही है, और आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए सीट आवंटन को लेकर भी मुद्दे हैं। ठाकरे ने कहा, “लेकिन अपने स्वार्थ के लिए कैबिनेट बैठक का बहिष्कार करना महाराष्ट्र और उसकी जनता का अपमान है!
कैबिनेट बैठकें जनता के मुद्दों को सुलझाने के लिए होती हैं, न कि आपके छोटे-मोटे झगड़ों को निपटाने के लिए!” शिवसेना (उबाठा) नेता अंबादास दानवे ने कहा कि शिवसेना मंत्रियों की नाराजगी महाराष्ट्र की जनता को प्रभावित कर रही है। पूर्व सांसद खैरे ने कहा कि सत्तारूढ़ सहयोगियों के बीच झगड़ा शुरू हो गया है और दावा किया कि “मुख्यमंत्री फडणवीस ने कथित तौर पर शिंदे गुट द्वारा शुरू किए गए सभी कार्यों को रोक दिया है।” उन्होंने कहा, “शिंदे गुट के कई नेता फडणवीस से संपर्क कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने उनमें से किसी की भी बात नहीं सुनी।
फडणवीस निश्चित रूप से उन्हें सबक सिखाएंगे।” शिवसेना (उबाठा) नेता ने यह भी कहा कि शिंदे को अब उद्धव ठाकरे से अलग होने की गलती का एहसास हो रहा है। उन्होंने कहा, “शिंदे ने 40 विधायकों को लेकर ठाकरे को छोड़ दिया। अब, जो लोग उनके साथ हैं, वे शिंदे को छोड़ देंगे।”