महाराष्ट्र चुनाव: पश्चिम महाराष्ट्र में चला शरद पवार का जादू, 39 सीटें जीत कांग्रेस-एनसीपी ने की वापसी
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: October 25, 2019 09:36 AM2019-10-25T09:36:58+5:302019-10-25T09:36:58+5:30
Western Maharashtra: पश्चिम महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों ने एक बार फिर शरद पवार की राजनीतिक समझ साबित की, कांग्रेस-एनसीपी ने यहां जीती 39 सीटें
मुंबई: पश्चिम महाराष्ट्र में सबसे बड़ा नतीजा सातारा लोकसभा उपचुनाव का रहा, जहां शिवाजी महाराज के वंशज और राकांपा (एनसीपी) से भाजपा में जाने वाले उदयनराजे भोसले को बड़ी हार का सामना करना पड़ा। इससे साबित हो जाता है कि पश्चिम महाराष्ट्र में आज भी शरद पवार का पत्ता चलता है। लोगों में उनकी पैठ का अंदाजा इसी परिणाम से लगाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अध्यक्ष अमित शाह की सभाओं से भाजपा ने कश्मीर समेत कथित राष्ट्रीय मुद्दों को भुनाने की कोशिश की, लेकिन उनका असर दिखाई नहीं दिया। प्रचार के अंतिम दिन से एक दिन पहले 18 अक्टूबर को पवार ने भारी बारिश में लोगों को संबोधित किया। लोग बारिश में खड़े होकर उन्हें सुनते रहे। खुद पवार ने अपने सिर से छाता हटा दिया। इसी दृश्य ने पश्चिम महाराष्ट्र को हिला दिया।
पश्चिम महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी का दमदार प्रदर्शन
जहां तक विधानसभा चुनाव का सवाल है, राकांपा और कांग्रेस को भारी सफलता मिली है। कोल्हापुर, पुणे, अहमदनगर और सांगली जिले में दोनों दलों ने फिर एक बार वापसी की है। सोलापुर और सातारा जिले में जरूर दोनों को कुछ सीटों पर झटका लगा है।
छह जिलों से मिलकर बने पश्चिम महाराष्ट्र की कुल 70 सीटों में से राकांपा ने 39 सीटें जीतकर भाजपा-शिवसेना को करारा जवाब दिया है। पिछले विधानसभा चुनाव में दोनों को 29 सीटें मिली थीं। बारामती से अजित पवार ने करीब पौने दो लाख वोटों से जीत हासिल कर साबित किया कि यहां उनको हराना लगभग असंभव है।
कांग्रेस से भाजपा में जाने वाले पूर्व मंत्री हर्षवर्धन पाटिल को हार का सामना करना पड़ा है। इसी तरह अन्य दल-बदलुओं को जनता ने उनकी जगह बताई। पुणे जिले में शिवसेना को एक भी सीट नहीं मिली। भाजपा को जो 9 सीटें हासिल हुई हैं, वे सभी शहरी इलाकों से मिली हैं। शहर और ग्रामीण इलाके में राकांपा और कांग्रेस ने वापसी करते हुए कुल 12 सीटें प्राप्त की हैं। कोथरूड से भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल आसानी से जीत नहीं पाए। उन्हें काफी पसीना बहाना पड़ा।
कोल्हापुर में बीजेपी को झटका, एक भी सीट नहीं मिली
कोल्हापुर जिले में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली है। बाढ़ के दौरान भाजपा के नेताओं ने यहां कुछ नहीं किया। उसका गुस्सा लोगों ने निकाला। यहां कांग्रेस-राकांपा ने जोरदार वापसी करते हुए कुल छह सीटें जीतीं। दो स्थानों पर निर्दलीय जीते। शिवसेना को भारी झटका लगा है। उसे पांच सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है।
हाई वोल्टेज वाली सीट कोल्हापुर दक्षिण से पूर्व मंत्री सतेज पाटिल के भतीजे ऋतुराज पाटिल ने मौजूदा विधायक अमल महाडिक को शिवसेना की सहायता से पटकनी देकर महाडिक परिवार को एक और बड़ा झटका दिया है। अब इस जिले में महाडिक परिवार का कोई सदस्य जनप्रतिनिधि नहीं रहा।
सोलापुर जिले में चूंकि राकांपा और कांग्रेस के कई नेता भाजपा में शामिल हुए थे इसलिए उसे फायदा हुआ है। कुल 11 सीटों में से चार भाजपा को और शिवसेना को एक सीट मिली है। राकांपा को तीन स्थानों पर जीत मिली है। कांग्रेस की अकेली प्रणीति शिंदे जीत सकी हैं।
सांगली जिले भी कांग्रेस और राकांपा को पिछले चुनाव के मुकाबले एक-एक सीट का फायदा हुआ है। दोनों को कुल पांच सीटें मिलीं, जबकि भाजपा और शिवसेना को तीन सीटों पर संतोष करना पड़ा। अगस्त महीने में आई बाढ़ के दौरान भाजपा के नेताओं ने अपनी निष्क्रियता दिखाई, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा है।