महाराणा प्रताप जयंतीः अकबर भी थे रामप्रसाद के मुरीद, मुगलों की कैद में त्याग दिया अन्न, दे दी जान
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: May 9, 2018 03:22 PM2018-05-09T15:22:36+5:302018-05-09T15:36:36+5:30
महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक के आपने बहुत से किस्से सुने होंगे लेकिन उनके हाथी रामप्रसाद की बहादुरी पर मुगले-ए-आजम अकबर भी फिदा थे। पढ़िए रामप्रसाद से जुड़े किस्से।
महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक कि वीरगाथा की चर्चा तो हर किसी ने सुनी होगी, लेकिन बहुतो को शायद ये नहीं मालूस होगा कि महाराणा प्रताप के पास एक हाथी भी था जो चेतक जैसा ही बहादुर था। इस हाथी का नाम रामप्रसाद था।
पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रताप गौरव केंद्र का दौरा किया था। बता दें कि प्रताप गौरव केंद्र में महाराणा प्रताप के बारे में कई रोचक बातें बताई गई हैं। उन्हीं रोचक जानकारियों में महाराणा के हाथी रामप्रसाद का जिक्र किया गया है। इस हाथी के पराक्रम का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मुगल शासक अकबर भी रामप्रसाद पर मंत्रमुग्ध थे।
ऐसा माना जाता है कि अकबर इस हाथी को बंदी बनाना चाहता था क्योंकि हल्दीघाटी के युद्ध में रामप्रसाद अहम भुमिका निभा रहा था। इसने अकबर के तीन हाथियों को मार गिराया था। अकबर ने रामप्रसाद को बंदी बनाने के लिए हल्दीघाटी के युद्ध में 7 हाथियों पर 14 महावतों को बिठा एक चक्रव्यूह तैयार करवाया था। उसके बाद अकबर ने रामप्रसाद को बंदी बना लिया था।
कहा जाता है कि बंदी बनाने के बाद अकबर ने रामप्रसाद का नाम बदल कर पीर रख दिया था, वहीं रामप्रसाद को अपने स्वामी से बिछड़ने का गम इतना था कि सारी सुख सुविधाओं के बावजूद रामप्रसाद ने 18 दिनों तक कुछ नहीं खाया। इसी वजह से उसकी मौत हो गई।
कहते हैं कि अकबर ने रामप्रसाद की मौत पर कहा कि जिस महाराणा प्रताप का हाथी मेरे सामने नहीं झुका उस महाराणा प्रताप को मैं कैसे झुकाउंगा।
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