बिहार में मदरसों को बड़े पैमाने पर पैसा दिए जाने पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने जताया सख्त एतराज
By एस पी सिन्हा | Published: February 20, 2024 03:43 PM2024-02-20T15:43:43+5:302024-02-20T15:45:00+5:30
आय़ोग ने बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी को इस मामले में सफाई देने के लिए हाजिर होने को कहा है। इसके लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने बिहार के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है।
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(प्रतीकात्मक तस्वीर)
पटना: बिहार में नीतीश सरकार के द्वारा मदरसों को बड़े पैमाने पर सरकारी खजाने से पैसा दिए जाने पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सख्त एतराज जताते हुए कहा है कि ये संविधान का उल्लंघन है। आय़ोग ने बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी को इस मामले में सफाई देने के लिए हाजिर होने को कहा है। इसके लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने बिहार के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है।
इस पत्र में कहा गया है कि बिहार के मदरसों को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आय़ोग ने पहले भी बिहार सरकार से जवाब मांगा था। लेकिन सरकार की ओर से भेजा गया जवाब असंतोषजनक है। आयोग ने कहा है कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत देश के हर बच्चे को शिक्षा देना है। संविधान के मुताबिक प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करना किसी भी बच्चे का मौलिक अधिकार है। संविधान में ये भी कहा गया है कि सरकार को किस तरह बच्चों को शिक्षा दिलाना है।
आयोग ने कहा है कि बच्चों को किसी स्कूल में भेजने के बजाय मदरसों में सरकारी पैसे से शिक्षा दिलाना संविधान का उल्लंघन है। बिहार सरकार कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाई है कि मदरसों को क्यों सरकारी मदद दी जा रही है? आयोग ने बिहार सरकार से कहा है कि वह हलफनामा दायर करें कि बिहार में कोई ऐसा मदरसा नहीं चल रहा है जो रजिस्टर्ड नहीं हो। सरकार ये भी बताए कि मदरसों में कितने गैर मुस्लिम छात्र पढ़ रहे हैं? उनकी पूरी जानकारी दी जाए।
सरकार यह भी बताएं कि मदरसों से कितने गैर मुस्लिम बच्चों ने 12वीं तक की शिक्षा पूरी की है? आयोग ने बिहार सरकार से पूछा है कि मदरसों की शिक्षा पूरी करने के बाद कितने गैर मुस्लिम बच्चों को मौलवी बनाया गया है? आयोग ने यूनिसेफ और एनसीईआरटी को भी नोटिस भेजा है कि मदरसों में कौन सा पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है?
आयोग ने कहा है कि कई बार समय दिये जाने के बावजूद बिहार सरकार ने मदरसों को लेकर कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दिया है। लिहाजा बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी खुद 22 फरवरी को दोपहर तीन बजे राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग में हाजिर होकर इन सारे बिन्दुओं पर जवाब दें।