‘मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2021’ विधानसभा में पारित

By भाषा | Published: March 8, 2021 08:47 PM2021-03-08T20:47:16+5:302021-03-08T20:47:16+5:30

'Madhya Pradesh Religious Freedom Bill -2021' passed in Vidhan Sabha | ‘मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2021’ विधानसभा में पारित

‘मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2021’ विधानसभा में पारित

भोपाल, आठ मार्च जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर लगाम लगाने के लक्ष्य से मध्य प्रदेश विधानसभा में सोमवार को ‘मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2021’ पारित किया गया।

विधेयक में शादी तथा किसी अन्य कपटपूर्ण तरीके से किए गए धर्मांतरण के मामले में अधिकतम 10 साल कैद और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की स्वीकृति मिलने के बाद यह नौ जनवरी, 2020 को अधिसूचित ‘मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश-2020’ की जगह लेगा।

कानून के अनुसार, ‘‘अब जबरन, भयपूर्वक, डरा-धमका कर, बलपूर्वक, प्रलोभन देकर, बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन कर विवाह करने और करवाने वाले व्यक्ति, संस्था अथवा स्वयंसेवी संस्था के खिलाफ शिकायत प्राप्त होते ही संबंधित प्रावधानों के मुताबिक आरोपियों के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी।’’

प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने एक मार्च को इस विधेयक को सदन में पेश किया था और सोमवार को करीब एक घंटे से अधिक समय तक चर्चा के बाद इसे कांग्रेस के विरोध के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

विधेयक पारित होने के तुरंत बाद सत्तापक्ष के कुछ विधायकों ने खुशी जाहिर करते हुए सदन में ‘जय श्रीराम’ और ‘जय जय श्रीराम’ के नारे लगाये।

विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि हम ‘‘लव’’ के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन ‘‘लव जिहाद’’ के खिलाफ हैं।

उन्होंने कहा कि रफीक, रवि बन कर बेटी को ले जाये, हम ऐसे ‘‘लव जिहाद’’ को बर्दाश्त नहीं करेंगे।

चर्चा के दौरान कांग्रेस द्वारा विधेयक का विरोध किये जाने पर मिश्रा ने आरोप लगाया कि रफीक के रवि बन कर ‘‘लव जिहाद’’ करने पर कांग्रेस को आपत्ति नहीं हो सकती, क्योंकि वह वोटों की राजनीति करती है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस तुष्टीकरण की राजनीति करती है और इस विधेयक का विरोध कर मुस्लिम समुदाय में डर की भावना पैदा करने का काम कर रही है। मिश्रा ने आरोप लगाया कि जवाहरलाल नेहरू ने भी बंटवारे एवं तुष्टीकरण की राजनीति की थी।

इसपर कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना ने आपत्ति उठाई और अध्यक्ष से नेहरू पर मंत्री की टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से हटाया जाए।

इस पर सभापति लक्ष्मण सिंह ने कहा कि सदन को इस विधेयक पर केन्द्रित रहना चाहिए।

मंत्री मिश्रा ने कहा कि इस विधेयक के आने से हमारी बेटियों का आत्मबल एवं संबल बढेगा।

मिश्रा ने कहा कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इस विधेयक का वैसा ही विरोध कर रही है, जैसे उसने संशोधित नागिरकता कानून (सीएए), कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म करने एवं तीन तलाक का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि लेकिन आज कश्मीर घाटी में शांति है।

पुराने एवं नये कानून की विशेषता बताते हुए मिश्रा ने कहा कि इस कानून में सजा का प्रावधान दो साल से बढ़ाकर 10 साल तक किया गया है। इसके अलावा, कानून का उल्लंघन करके हुए किसी भी विवाह को खारिज करने का भी प्रावधान किया गया है।

उन्होंने कहा कि पुराने कानून में यह जमानती था और आरोपी थाने से ही छूट जाता था। लेकिन अब यह गैर जमानती हो गया है। इसलिए अब थाने से आरोपी को जमानत नहीं मिलेगी।

मिश्रा ने बताया कि इसके अलावा, विधेयक में महिला को भरण-पोषण का प्रावधान भी किया गया है, जो पहले नहीं था। उन्होंने कहा कि अब ऐसे संस्थाओं एवं गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) पर भी कार्रवाई होगी, जो ऐसी शादियों या जबरन धर्म परिवर्तन करने के लिए आर्थिक सहायता करते हैं। उन्होंने कहा कि यह विधेयक हमारी बेटियों के लिए बहुत आवश्यक है।

इससे पहले चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायक डॉ. गोविन्द सिंह ने कहा, ‘‘मैं इस विधेयक का विरोध करता हूं। इस विधेयक का कोई औचित्य नहीं है और न ही यह किसी के हित में है।’’

उन्होंने कहा कि इस विधेयक से व्यक्ति की स्वतंत्रता एवं धर्म चुनने का अधिकार बाधित होता हैं।

सिंह ने आरोप लगाया कि इसमें अल्पसंख्यक समाज को डराने, धमकाने एवं भयभीत करने की सरकार की मंशा झलक रही है।

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Web Title: 'Madhya Pradesh Religious Freedom Bill -2021' passed in Vidhan Sabha

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