मध्यप्रदेश चुनाव: बीजेपी और कांग्रेस दोनों के पूर्व प्रदेश अध्यक्षों के सामने आई एक ही मुश्किल, टूट सकता है लोक सभा का सपना

By राजेंद्र पाराशर | Published: November 1, 2018 09:18 AM2018-11-01T09:18:41+5:302018-11-01T09:49:33+5:30

भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने सांसदों को और लोकसभा चुनाव हारे उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का फैसला लिया है।

Madhya Pradesh Elections 2018: Congress and bjp both are confused about candidate selection | मध्यप्रदेश चुनाव: बीजेपी और कांग्रेस दोनों के पूर्व प्रदेश अध्यक्षों के सामने आई एक ही मुश्किल, टूट सकता है लोक सभा का सपना

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के दोनों पूर्व अध्यक्षों नंदकुमार सिंह चौहान और अरुण यादव को भाजपा और कांग्रेस इस बार लोक सभा के बजाए विधानसभा चुनाव में मैदान में उतार सकती है। दोनों ही नेता भी इस बात को दबी जुबान से स्वीकार तो कर रहे हैं, मगर अरुण यादव इसके लिए तैयार नजर नहीं आते हैं। नंदकुमार सिंह चौहान की करीब-करीब सहमति इस बात को लेकर है।

मध्यप्रदेश में इस बार विधानसभा के पहले प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल काफी उलझन महसूस कर रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने सांसदों को और लोकसभा चुनाव हारे उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का फैसला लिया है। नंदकुमार सिंह चौहान खंडवा संसदीय क्षेत्र से सांसद है, भाजपा उन्हें खण्डवा जिले के मांधाता विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारना चाहती है। वहीं वर्तमान विधायक लोकेन्द्र सिंह इसका विरोध कर चुके हैं, मगर वे यह कहते हैं कि अगर पार्टी का निर्णय होगा तो वे स्वीकार करेंगे। नंदकुमार सिंह चौहान का कहना है कि उन्होंने अपनी ओर से विधानसभा चुनाव लड़ने की मंशा नहीं जताई है, मगर पार्टी अगर उन्हें मैदान में उतारेगी तो विधानसभा चुनावा लड़ेंगे।

प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल काफी उलझन में

भाजपा के अलावा पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव को भी कांग्रेस मांधता सीट से ही चुनाव मैदान में उतारना चाहती है, मगर यादव उसके लिए तैयार नहीं है। यादव यहां पर राजपूत समाज के मतदाताओं की अधिकता के कारण पूर्व विधायक राजनारायण सिंह पूरनी को मैदान में उतारने की तैयारी में है। वैसे राजनारायण सिंह भी खुद इस बार चुनाव न लड़कर यहां से उनके पुत्र उत्तम पाल सिंह को मैदान में उतारना चाहते हैं।

यादव के छोटे भाई सचिन यादव कसरावद से विधायक है। इस वजह से भी वे विधायक के बजाय लोकसभा का चुनाव लड़ने की इच्छा जता रहे हैं। वैसे मांधता सीट पर कांग्रेस की ओर से नारायण पटेल और परमजीत सिंंह नारंग का नाम भी सामने आया है। दोनों ही अपनी दावेदारी कर चुके हैं। नारंग को सिंधिया समर्थक माना जाता है, जबकि राजनारायण सिंह दिग्विजय समर्थक है।

विजय शाह अपने पुत्र को सौंपेंगे विरासत!

भाजपा द्वारा सांसद नंदकुमार सिंह चौहान को विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला लेती है तो इस बार विजय शाह का हरसूद विधानसभा से चुनाव लड़ने पर संशय है। हालांकि अभी पार्टी ने शाह को इस तरह से कोई इशारा नहीं दिया है। माना जा रहा है कि शाह को विधानसभा चुनाव लड़ाकर पार्टी लोकसभा चुनाव के वक्त उन्हें लोकसभा के लिए खंडवा-बुरहानपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतार सकती है।

इस स्थिति में शाह अपने पुत्र दिव्यशक्ति शाह को हरसूद विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारने की रणनीति बना रहे हैं। वैसे माना जा रहा है कि इस स्थिति में शाह की पत्नी और खंडवा की पूर्व महापौर शाह का भी संगठन आगे ला सकता है। फिलहाल भावना शाह का इरादा पुत्र को हरसूद विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारने का है।

English summary :
In Madhya Pradesh, BJP and Congress can give tickets to the BJP and Congress' former Presidents Nandkumar Singh Chauhan and Arun Yadav in the assembly elections this time, instead of the Lok Sabha. Arun Yadav does not seems to be ready for this. Nandkumar Singh Chauhan seems to agree on this matter.


Web Title: Madhya Pradesh Elections 2018: Congress and bjp both are confused about candidate selection

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