एमपी चुनावः ब्राह्मण-ठाकुर और भाई-भतीजों में उलझी BJP-कांग्रेस, 1% मुस्लिमों को भी टिकट नहीं
By जनार्दन पाण्डेय | Published: November 14, 2018 10:06 AM2018-11-14T10:06:22+5:302018-11-14T10:18:10+5:30
कांग्रेस की सूची में राज्य के पुराने दिग्गजों मसलन कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और अजय सिंह के परिवारों और गुटों को प्राथमिकता दी गई। माना जा रहा है कि कमलनाथ समर्थकों को 32, दिग्विजय समर्थकों को 31 और अजय सिंह समर्थकों को 17 टिकट मिले हैं।
मध्य प्रदेश की सभी 230 सीटों के बाबत दोनों प्रमुख पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस ने कुल 459 सीटों के लिए आपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। अगर इन उम्मीदवारों की सूची को गौर देखा जाए तो यह तथ्य सामने आता है कि चाहे भारतीय जनता पार्टी हो या फिर कांग्रेस, दोनों ही पार्टियों ने मुस्लिमों को टिकट देने में कोताही बरती है।
कांग्रेस ने अपनी 230 की सूची में महज 3 उम्मीदवारों को जगह दिया तो बीजेपी ने अपनी लिस्ट में महज 1 मुस्लिम उम्मीदवार को जगह दी है। दोनों पार्टियों की ओर से उतारे गए कुल 459 उम्मीदवारों में मुस्लिम उम्मीदवारों की भागीदारी महज 4, यानी 1 फीसदी से भी कम। जबकि मध्य प्रदेश की आबादी में मुस्लिमों की सहभागिता साल 2001 की जनगणना के अनुसार ही 6.57 फीसदी थी।
कांग्रेस ने जातिगत आंकड़े देखे, ब्राह्मण-ठाकुरों और कुनबा बचाने में लगाया जी-जान
कांग्रेस की सूची में राज्य के पुराने दिग्गजों मसलन कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और अजय सिंह के परिवारों और गुटों को प्राथमिकता दी गई।
माना जा रहा है कि कमलनाथ समर्थकों को 32, दिग्विजय समर्थकों को 31 और अजय सिंह समर्थकों को 17 टिकट मिले हैं। जातिगत आधार पर कांग्रेस ने ठाकुरों को 28 और ब्राह्मणों को 24 टिकट दिए हैं।
जबकि तीन मुस्लिम प्रत्याशियों को कांग्रेस ने मैदान में उतारा है। सही कहें तो एमपी कांग्रेस ने कुल चार मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन कांग्रेस ने अपनी पहली सूची में बुरहानपुर से हामिद काजी को उम्मीदवार बनाने के बाद चौथी सूची में उनका नाम बदल दिया। उनके स्थान पर रविन्द्र महाजन को टिकट दे दिया। जबकि हमीद काजी इसके पहले एनसीपी से भी बुरहानपुर से चुनाव जीत चुके हैं।
जबकि शुरुआती पहले सिरोंज सीट पर अशोक त्यागी को प्रत्याशी बनाने के बाद चौथी सूची में दिग्विजय सिंह के करीबी मशर्रत शाहिद को उसी सीट से प्रत्याशी घोषित कर दिया गया। उहापोह की स्थिति में बाद में अशोक त्यागी से उम्मीदवारी छीन ली गई। मशर्रत के अलावा उत्तर भोपाल से आरिफ अकील और मध्य भोपाल से आरिफ मसूद शामिल हैं।
कांग्रेस ने अपनी पहली सूची में दिग्विजय सिंह के बेटे भाई और भतीजे को टिकट दिया है। उनके बेटे जयवर्धन सिंह को राघौगढ़, भाई लक्ष्मण सिंह को चांचौडा और सिंह के भतीजे प्रियव्रत सिंह को खिलचीपुर से टिकट दिया गया हैं। उनको पड़ोस की जिले से है।
इसी तरह कांग्रेस के एक आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को झाबुआ और पिछले चुनाव में बगावत कर उतरेगी उनकी भतीजी कलावती भूरिया को जोबट और एक अन्य रिश्तेदार वीर सिंह भूरिया को थादला से कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया है।
बीजेपी का दोहरा चरित्र
भारतीय जनता पार्टी के भीतर से हमेशा यही कहा जाता रहा है कि उनका कार्यकर्ता देवतुल्य है लेकिन टिकट वितरण में इस देवतुल्य देवता के स्थान पर भाजपा में परिवार, कुनबा और पट्ठावाद खूब चला। जिन्हें मन माफिक टिकट नहीं मिला वे वैचारिक आस्था का धागा तोड़कर दूसरे दलों में शरीक हो गए।
कैलाश विजयवर्गीय के स्थान पर उनके बेटे को टिकट देने का मामला इस लिए महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन अपने बेटे मंदार महाजन को आकाश की तरह ही टिकट दिलवाने के लिए अड़ी हुई थीं। इसके कारण इंदौर की सारी सीटें अंतिम दौर तक लटकी रहीं। अंतत: नेतृत्व ने ताई की दावेदारी को दरकिनार करते हुए सिर्फ कैलाश विजयवर्गीय के बेटे को टिकट दिया।
कुछ इसी तरह का नजारा राजधानी के गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र को लेकर देखने को मिला जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा संगठन की सारी कोशिशों के बावजूद भी पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर अपनी जगह अपनी बहू कृष्णा गौर को अड़ी डालकर टिकट दिलवाने में कामयाब रहे। इसके लिए उन्होंने यहां तक कह दिया था कि अगर उन्हें टिकट नहीं मिला तो वे गोविंदपुरा से और कृष्णा गौर हुजूर से चुनाव लड़ेंगी।
बाबूलाल गौर ने दबाव बनाने के लिए कांग्रेस के नेताओं से भी बातचीत को खूब प्रचारित किया। उन्हें या उनकी बहू को टिकट कटने या दूसरी पार्टी में जाने की जरूरत नहीं पड़ी, लेकिन पूर्व केंद्रीय मंत्री सरताज सिंह इतने भाग्यशाली नहीं रहे। गोविंदपुरा से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सह पर काम कर रहे मेयर आलोक शर्मा और पर्यटन निगम के अध्यक्ष तपन भौमिक को हाथ मलते रह जाना पड़ा। यही नहीं इस क्षेत्र से संघ के समर्थन से दावेदारी कर रहे बीडी शर्मा भी हाथ मलते रह गए।
इन सब कामों में उलझी बीजेपी को मुस्लिम उम्मीदवारों की याद नहीं आई। पार्टी महज एक मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। यह उम्मीदवार भी कांग्रेस छोड़कर रातोरात बीजेपी में आई फातिमा सिद्दकी हैं।
नाम | सीट | रिश्ता |
कृष्णा गौर | गोविंदपुरा | पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहू |
अशोक रोहाणी | जबलपुर केंट | पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी के बेटे |
शिवनारायण सिंह | बांधवगढ़ | पूर्व मंत्री और सांसद ज्ञान सिंह के बेटे |
आकाश विजयवर्गीय | इंदौर-3 | कैलाश विजयवर्गीय के बेटे |
यशोधरा राजे सिंधिया | शिवपुरी | राजमाता सिंधिया की बेटी |
राजेश प्रजापति | चंदला | पूर्व विधायक आरडी प्रजापति के बेटे |
सुधीर यादव | सुरखी | सागर के सांसद लक्ष्मीनारायण यादव के बेटे |
अजयसिंह सिकरवार | सुमावली | विधायक सत्यपाल सिकरवार के भाई |
अर्चना सिंह | छतरपुर | जिला भाजपा अध्यक्ष पुष्पेंद्र प्रताप सिंह गुड्डू की पत्नी |
विक्रमसिंह | रामपुर बघेलान | मंत्री हर्ष सिंह के बेटे |
जालम सिंह पटेल | नरसिंहपुर | सांसद प्रहलाद पटेल के भाई |
हेमंत खंडेलवाल | बैतूल | पूर्व सांसद विजय खंडेलवाल के बेटे |
संजय शाह | टिमरनी | मंत्री विजय शाह के भाई |
उमाकांत शर्मा | सिरोंज | पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के भाई |
कुंवर कोठार | सारंगपुर | पूर्व विधायक अमरसिंह कोठार के पुत्र |
गायत्री राजे | देवास | पूर्व मंत्री स्व. तुकोजी राव की पत्नी |
अशीष शर्मा | खातेगांव | पूर्व विधायक गोविंदशर्मा के पुत्र |
देवेंद्र वर्मा | खंडवा | पूर्व मंत्री किशोरीलाल वर्मा के पुत्र |
मंजू दादू | नेपानगर | पूर्व विधायक स्व. राजेंद्र दादू की बेटी |
जितेंद्र पंड्या | बड़नगर | पूर्व विधायक उदय सिंह पंड्या के बेटे |
राजेंद्र पांडेय | जावरा | पूर्व सांसद स्व. लक्ष्मीनारायण पांडे के बेटे |
अर्चना चिटनीस | बुरहानपुर | पूर्व विधानसभा अध्यक्ष बृजमोहन की पुत्री |
भाजपा ने कुल 22 लोगों को परिवार व कुनबावाद के तहत टिकट बांटे।
नाम | सीट | रिश्ता |
जयवर्द्धन सिंह | राघवगढ़ | दिग्विजय सिंह के बेटे |
लक्ष्मण सिंह | चाचौड़ा | दिग्विजय सिंह के भाई |
प्रियव्रत सिंह | खिलचीपुर | दिग्विजय सिंह के भतीजे |
विक्रम भूरिया | झाबुआ | सांसद कांतिलाल भूरिया के बेटे |
कमलेश्वर पटेल | सिहावल | पूर्व मंत्री इंद्रजीत पटेल के बेटे |
ओम रघुवंशी | सिवनी-मालवा | पूर्व मंत्री हजारीलाल रघुवंशी के पुत्र |
सचिन यादव | कसरावद | पूर्व उप मुख्यमंत्री सुभाष यादव के पुत्र |
अरुण यादव | बुदनी | पूर्व मुख्यमंत्री सुभाष यादव के पुत्र |
सुन्दरलाल तिवारी | गूड़ | पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के पुत्र |
अजय सिंह चुरहट | पूर्व मुख्यमंत्री | अर्जुन सिंह के बेटे |
हिना कांवरे | लांजी | पूर्व मंत्री लिखीराम कांवरे की पुत्री |
रजनीश सिंह | केवलारी | पूर्व मंत्री हरवंश सिंह के बेटे |
उमंग सिंगार | गंधवानी | पूर्व उप मुख्यमंत्री जमुना देवी के भतीजे |
अभिजीत शाह | टिमरनी | कांग्रेस नेता अजय शाह के पुत्र |
कांग्रेस ने कुल 14 लोगों को परिवार और कुनबावाद के तहत टिकट बांटे। अगर बीजेपी से इसकी तुलना करें तो पाएंगे कि भाजपा ने कांग्रेस से भी करीब 57 फीसदी ज्यादा परिवार में बांटे टिकट।