मध्य प्रदेश चुनाव: तीसरी शक्ति बनने का दावा करने वाले कितना दिखाएंगे प्रभाव?

By राजेंद्र पाराशर | Published: November 28, 2018 08:25 AM2018-11-28T08:25:08+5:302018-11-28T08:25:08+5:30

विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य में आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा इस बार फिर पूरी ताकत के साथ तीसरी ताकत बनने की दावा किया था. उनका यह दावा कितना सही होगा यह तो कहा नहीं जा सकता, मगर ये सभी दल नामांकन प्रक्रिया के साथ ही कमजोर होते नजर आए थे.

madhya Pradesh assembly elections 2018: AAP Worrying to open an account, SP, BSP vote percentage increase | मध्य प्रदेश चुनाव: तीसरी शक्ति बनने का दावा करने वाले कितना दिखाएंगे प्रभाव?

मध्य प्रदेश चुनाव: तीसरी शक्ति बनने का दावा करने वाले कितना दिखाएंगे प्रभाव?

दो दलीय राजनीति वाले मध्यप्रदेश में इस बार तीसरी शक्ति का उदय होगा या फिर इसका दावा करने वाले दलों को एक बार फिर मतदाता अस्वीकार करेगा. इसका फैलसा बुधवार को प्रदेश का मतदाता करेगा. राज्य में पहली बार दस्तक देने वाले राजनीतिक दल आम आदमी पार्टी के अलावा समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने तीसरी ताकत दिखाने का दावा तो किया, मगर वह इस पर कितने खरे उतरेंगे इस फैसला भी अब जल्द ही हो जाएगा.

विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य में आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा इस बार फिर पूरी ताकत के साथ तीसरी ताकत बनने की दावा किया था. उनका यह दावा कितना सही होगा यह तो कहा नहीं जा सकता, मगर ये सभी दल नामांकन प्रक्रिया के साथ ही कमजोर होते नजर आए थे. ये सभी दल पहले तो पूरे 230 विधानसभा क्षेत्रों में अपने प्रत्याशी मैदान में नहीं उतार पाए थे. आम आदमी पार्टी ने 208 स्थानों पर अपने प्रत्याशी उतारे, वहीं बहुजन समाज पार्टी ने 227, समाजवादी पार्टी ने 52 और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने 73 प्रत्याशी मैदान में उतारे, इसके बाद भी ये दल प्रदेश में तीसरी ताकत बनने का अंतिम दौर तक दावा कर रहे हैं. वैसे चारों दलों के नेताओं ने पूरी ताकत तो इस चुनाव में दिखाई और भाजपा के अंदर चली अंर्तकलह का लाभ उठाना भी चाहा, मगर संगठनात्मक कमी के चलते ये कमजोर ही नजर आ रहे हैं.

केजरीवाल ने बनाई दूरी

आम आदमी पार्टी ने प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले माहौल तो खूब बनाया, मगर जमीनी हकीकत पर अंतिम दौर यह दल कमजोर नजर आया. इसके चलते पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मध्यप्रदेश में चुनाव प्रचार से दूरी बनाई. वैसे चुनाव के पहले केजरीवाल ने इंदौर में बड़ी सभा कर पार्टी का मुख्यमंत्री का चेहरा आलोक अग्रवाल को घोषित किया. इसके बाद ऐसा लगा था कि केजरीवाल प्रदेश में सक्रिय होंगे, मगर जब उन्हें संगठनात्मक कमजोरी की जानकारी मिली तो पार्टी के दूसरे नेताओं को जिम्मेदारी सौंपकर उन्होंने प्रदेश से दूरी बना ली. आप ने युवा प्रत्याशियों पर दाव खेला है, कुछ स्थानों पर उसे भाजपा और बसपा के नाराज लोगों का भी साथ मिला, मगर यह दल जमीन स्तर पर ताकत नहीं दिखा पाया.

मायावती को अपने वोट बैंक छिटकने की आशंका

बसपा प्रमुख मायावती को इस बार चंबल अंचल में अपने वोट बैंक को छिटकने की आशंका थी, इसके चलते बसपा ने पूरा जोर इस अंचल पर लगाया. मगर बसपा के अपने संगठन के मजबूत नेता चुनावी समर में कम ही नजर आए. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सत्यप्रकाश सिखरवार और विधायक परसराम मुदगल ने इस अंचल में खासा असर दिखाया. इसके अलावा भाजपा और कांग्रेस के बागियों के सहारे बसपा ग्वालियर-चंबल के अलावा विंध्य में अपना प्रभाव बनाया है. बसपा को बागियों को चुनाव मैदान में उतारने का कितना फायदा मिलेगा, यह तो कहा नहीं जा सकता, मगर वह प्रदेश में अपने खिसकते मत प्रतिशत को जरुर बढ़ाने में सफल हो सकती है.

अखिलेश ने लगाई ताकत

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी इस चुनाव में प्रदेश में खासा सक्रिय रहे. उन्होंने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ गठबंधन करके 125 प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं, इनमें सपा के 52 और गोंगपा के 73 प्रत्याशी हैं. सपा को इस बार फिर भाजपा और कांग्रेस के बागियों का सहारा मिला है, इसके बल पर वह बुंदेलखंड में खासा असर भी दिखा रही है. इसके अलावा महाकौशल अंचल के बालाघाट जिले की दो सीटों पर सपा, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ मिलकर चुनाव मैदान में त्रिकोणीय संघर्ष में आई है. अखिलेश अंतिम चरण तक इस बात का दावा करते रहे कि वे तीसरी ताकत के रुप में मध्यप्रदेश में उभरेंगे. हालांकि सपा के प्रदेश अध्यक्ष गौरी यादव खुद सिलवानी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे जरुर मगर उनकी स्थिति मजबूत नजर नहीं आ रही है.

Web Title: madhya Pradesh assembly elections 2018: AAP Worrying to open an account, SP, BSP vote percentage increase

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