मध्य प्रदेश चुनावः "भारतीय बच्चा पार्टी" न बन जाए BJP, ये 20 नेता पत्नी-बच्चों को दिलाना चाहते हैं टिकट
By मुकेश मिश्रा | Updated: October 27, 2018 07:29 IST2018-10-27T07:29:57+5:302018-10-27T07:29:57+5:30
इंदौर क्षेत्र क्रमांक तीन से पिछले तीन चुनाव से लोकसभा अध्यक्ष और लगातार आठ बार की सांसद सुमित्र महाजन अपने बेटे मंदार महाजन के लिए टिकट मांग रही हैं।

फाइल फोटो
गांधी परिवार के वंशवाद को लेकर कांग्रेस को कोसने वाली भाजपा मध्यप्रदेश में खुद पूरी तरह से वंशवाद के जाल में घिर चुकी है। स्थिति यह है कि पार्टी के लिए दशकों से समर्पण भाव से काम करने वाले कार्यकर्ता अब मजाक में इसे भारतीय बच्चा पार्टी कहने लगे हैं। प्रदेश में भाजपा के कई ऐसे नेता हैं, जिन्हें अपने माता-पिता, भाई-बहन या पति-पत्नी के राजनीतिक कद या पद की वजह से विधायक की कुर्सी नसीब हुई है। पार्टी अभी भी अपने नेताओं के परिवार मोह से उबर नहीं पाई है। स्थिति यह है कि इस बार भी 20 से ज्यादा नेता कार्यकर्ताओं का हक मारकर अपने परिजनों को टिकट दिलाना चाहते हैं।
इंदौर मध्यप्रदेश में भाजपा का सबसे मजबूत गढ़ है। यहां की नौ विधानसभा सीटों में से सात सीटें ऐसी हैं, जिस पर पार्टी के बड़े नेताओं के बेटा या बेटी टिकट के दावेदार बने हुए हैं। क्षेत्र क्रमांक एक से भाजपा के कद्दावर नेता विष्णु प्रसाद शुक्ला के भतीजे गोलू शुक्ला भाजपा से दावेदारी जता रहे हैं। उनके बड़े बेटे राजेंद्र शुक्ला पूर्व में क्षेत्र क्रमांक तीन से चुनाव लड़ चुके हैं। क्षेत्र क्रमांक दो में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय अपने पुत्र आकाश विजयवर्गीय की टिकट के लिए लगे हुए हैं। वे इस सीट के लिए अपनी महू सीट छोड़ने को तैयार हैं।
इंदौर क्षेत्र क्रमांक तीन से पिछले तीन चुनाव से लोकसभा अध्यक्ष और लगातार आठ बार की सांसद सुमित्र महाजन अपने बेटे मंदार महाजन के लिए टिकट मांग रही हैं। इस बार वे मंदार के लिए खुलकर दावेदारी नहीं जता रही हैं लेकिन पर्दे के पीछे से वे समीकरण बिठाने में लगी हुई हैं। क्षेत्र क्रमांक चार से महापौर और विधायक मालिनी गौड़ के पुत्र एकलव्य गौड़ सशक्त दावेदार के रूप में उभरे हैं। उल्लेखनीय है कि मालिनी गौड़ के पहले उनके पति स्वर्गीय लक्ष्मण सिंह गौड़ यहां से विधायक थे। उनके निधन के बाद कार्यकर्ताओं का हक मारते हुए उनकी पत्नी को टिकट दे दिया गया था।
इंदौर के क्षेत्र क्रमांक पांच से बदनावर से विधायक भंवर सिंह शेखावत अपने पुत्र संदीप शेखावत के लिए लगे हैं। भंवर सिंह शेखावत एक बार इस क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। देपालपुर से विधायक मनोज पटेल इस बार भी सबसे अशक्त दावेदार हैं। उन्हें टिकट अपने पिता स्व। निर्भय सिंह पटेल की वजह से मिला था, जो पटवा सरकार में मंत्री थे। सांवेर से पूर्व मंत्री प्रकाश सोनकर के पुत्र विजय सोनकर अपने पिता के संबंधों के आधार पर दमदारी से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। महू से पूर्व विधायक भेरूलाल पाटीदार की पुत्री कविता पाटीदार टिकट की दौड़ में शामिल हैं। वर्तमान वे जिला पंचायत अध्यक्ष हैं।
कुल मिलाकर जिले की नौ में से सिर्फ एक सीट राऊ ऐसी है, जिस पर किसी नेता पुत्र-पुत्री की सीधे तौर पर दावेदारी नहीं है। इंदौर जैसा ही हाल प्रदेश के लगभग हर जिले में है। देवास जिले की पांच में से पांच, खंडवा की चार में तीन तथा उज्जैन, भोपाल, जबलपुर और रतलाम में दो- दो सीटों पर भाजपा के नेताओं के रिश्तेदारों का कब्जा है। बुरहानपुर की दोनों सीटें भाजपा ने नेताओं की बेटियों के नाम कर दी है। खरगौन, अलीराजपुर झाबुआ, धार, बैतूल, हरदा, नरसिंहपुर, सतना, टीकमगढ़, सागर, शिवपुरी, ग्वालियर और नीमच की एक-एक सीट वंशवाद के जाल में है।
ये भाजपा के दिग्गज अपने बेटों को दिलाना चाहते हैं टिकट
पार्टी सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी पत्नी या पुत्र में से किसी एक को विधानसभा में देखना चाहते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर अपनी बहू, मंत्री जयंत मलैया, गोपाल भार्गव, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान, पूर्व मंत्री कमल पटेल, पूर्व मंत्री कैलाश चावला, सौर ऊर्जा विकास निगम अध्यक्ष विजेन्द्र सिंह सिसौदिया अपने-अपने बेटे को चुनाव लड़ना चाहते हैं। पूर्व मंत्री रंजना बघेल जो मनावर से विधायक हैं, अपने पति मुकाम सिंह किराडे के लिए कुक्षी से टिकट मांग रही हैं। जबकि वे यहां से पिछला चुनाव हार चुके हैं। ऐसे में पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ता निराश है। उसे लगता है उसकी भूमिका सिर्फ पार्टी के इवेंट में भीड़ बढ़ाने तक सीमित रह गई है।
(मुकेश मिश्र लोकमत समाचार मध्य प्रदेश से जुड़े हैं)