नासिक से सतना के लिए पैदल निकली गर्भवती महिला, रास्ते में दिया बच्चे को जन्म, दो घंटे आराम कर फिर तय किया 150 किमी सफर
By रामदीप मिश्रा | Published: May 13, 2020 08:10 AM2020-05-13T08:10:12+5:302020-05-13T08:10:12+5:30
Madhya pradesh: गर्भवती महिला और उसका पति महाराष्ट्र के नासिक से सतना जिले में अपने गांव में वापस जा रहे थे। इस बीच गर्भवती प्रवासी महिला ने रास्ते में ही एक बच्चे को जन्म दिया।
भोपालः कोरोना वायरस के चलते लगे लंबे लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूर शहरों से अपने गांव को पलायन करने पर मजबूर हैं। भारी संख्या में प्रवासी मजदूर लगातार पलायन कर रहे हैं। इस बीच मध्य प्रदेश में एक ऐसी तस्वीर देखने को मिली है, जहां महाराष्ट्र के नासिक से पैदल चली एक गर्भवती महिला ने रास्ते में ही बच्चे को जन्म दिया है।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, गर्भवती महिला और उसका पति महाराष्ट्र के नासिक से सतना जिले में अपने गांव में वापस जा रहे थे। इस बीच गर्भवती प्रवासी महिला ने रास्ते में ही एक बच्चे को जन्म दिया। गर्भवती महिला के पति का कहना है कि बच्चे जन्म देने के बाद हमने 2 घंटे आराम किया। फिर हम कम से कम 150 किमी तक पैदल चले।
इस मामले को लेकर सतना के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर एके राय ने कहा, 'हमें पता चला कि सीमा पर प्रशासन ने उनके लिए एक बस की व्यवस्था की क्योंकि वे उचेहरा पहुंच गए थे और हम उन्हें यहां लेकर आए हैं और सभी चेक-अप किए हैं। मां और बच्चा दोनों ठीक हैं।'
MP: A pregnant migrant worker who was walking back to her village in Satna from Nashik in Maharashtra amid #CoronavirusLockdown, delivered a child on the way. Her husband says, "after she gave birth we rested for 2 hours then we walked for at least 150 km." (12.5) pic.twitter.com/WubC97wabz
— ANI (@ANI) May 13, 2020
वहीं, बीते दिन एक और मामला देखने को मिला है। जहां राजस्थान में एक मजदूर ने आठ माह की गर्भवती अपनी पत्नी के साथ जयपुर से 800 किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश स्थित अपने घर के लिए पैदल ही निकलने का फैसला कर लिया, जिसकी जानकारी मिलने पर स्थानीय प्रशासन ने इस दंपति की मदद की।
मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के नजदीक रायपुर के निवासी ये पति-पत्नी एक साल पहले जयपुर आए थे और निर्माण कार्य में बेलदारी का काम करते थे। प्रशासन की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि जयपुर जिलाधिकारी जोगाराम को इन लोगों की स्थिति और उनके पैदल ही मध्य प्रदेश निकलने के फैसले की जानकारी मिली तो उन्होंने एक अधिकारी को उनसे मिलने भेजा। हाथोज में पत्नी सुनीता को दो किलोमीटर दूर चिकित्सालय में दिखाकर लौट रहा दीपक कहार वहीं एक पेट्रोल पंप पर पत्नी के साथ छाया में बैठा मिला।
अधिकारी ने जब इन लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्होंने सभी दरवाजे खटखटा लिए लेकिन अभी घर जाने का नंबर नहीं आ रहा है। दीपक कहार ने अधिकारी को बताया कि लॉकडाउन के चलते काम-धंधा मिलना बंद हो गया है। अगले महीने गर्भवती पत्नी के प्रसव का खर्च भी उसे सामने नजर आ रहा है। ऐसे में ही उसने पैदल घर लौटने का फैसला लिया है।
दंपति की पीड़ा सुनने के बाद जिला प्रशासन के अधिकारी उसके किराए के घर पर गए, मकान मालिक से भी बात की और सामान के साथ इस युगल को अपनी गाड़ी में लेकर सांगानेर के जसोदा देवी शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय पहुंचे जहां एक बस पहले ही पैदल जा रहे श्रमिकों को मध्य प्रदेश की सीमा पर छबड़ा में श्रमिक शिविरों तक छोड़ने जाने के लिए तैयार खड़ी थी। प्रशासन ने इस दंपति को रास्ते के लिए भोजन-पानी की व्यवस्था कर इसी बस में रवाना कर दिया और साथ ही इस बारे में बारां के जिला प्रशासन को सूचित कर दिया गया है।
जिलाधिकारी ने किसी भी श्रमिक को पैदल जाने के बजाय जिला प्रशासन से सम्पर्क करने को कहा है, ताकि उन्हें उनके घर पहुंचाने की उचित व्यवस्था कराई जा सके।