साधु के आस-पास खामोशी से बैठकर भालुओं का ग्रुप सुनता है भजन, प्रसाद खाकर ही जाते हैं जंगल में वापस

By भाषा | Published: February 14, 2020 07:47 PM2020-02-14T19:47:10+5:302020-02-14T19:55:08+5:30

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा में जैतपुर वन परिक्षेत्र के अंतर्गत खड़ाखोह के जंगल में सोन नदी के समीप राजमाड़ा में सीताराम साधु 2003 से कुटिया बनाकर रह रहे हैं।

Madhya pradesh: A group of bears listen bhajan around monk in forest | साधु के आस-पास खामोशी से बैठकर भालुओं का ग्रुप सुनता है भजन, प्रसाद खाकर ही जाते हैं जंगल में वापस

भालू की प्रतीकात्मक तस्वीर

मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में घने जंगलों के बीच कुटिया बनाकर रहने वाले एक साधु के पास उनके भजन की मधुर ध्वनि से आकर्षित होकर भालू आते हैं और उसे आसपास की जगह में चुपचाप बैठकर सुनते हैं। ये सभी भालू भजन के दौरान खामोशी से साधु के आस-पास बैठ जाते हैं और भजन पूरा होने पर प्रसाद लेने के बाद वापस चले जाते हैं।

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा में जैतपुर वन परिक्षेत्र के अंतर्गत खड़ाखोह के जंगल में सोन नदी के समीप राजमाड़ा में सीताराम साधु 2003 से कुटिया बनाकर रह रहे हैं। साधु ने बताया कि जंगल में कुटिया बनाने के बाद उन्होंने वहां प्रतिदिन रामधुन के साथ ही पूजा पाठ शुरू किया। एक दिन जब वह भजन में लीन थे तभी उन्होंने देखा कि दो भालू उनके समीप आकर बैठे हुए हैं और खामोशी से भजन सुन रहे हैं।

साधु ने बताया कि यह देखकर वह सहम गए लेकिन उन्होंने जब देखा कि भालू खामोशी से बैठे हैं और किसी तरह की हरकत नहीं कर रहे हैं तो उन्होंने उक्त भालूओं को भजन के बाद प्रसाद दिया।  प्रसाद लेने के कुछ देर बाद भालू वापस जंगल में चले गए।

सीताराम ने बताया कि बस उस दिन से भजन के दौरान भालुओं के आने का जो सिलसिला शुरू हुआ तो वह आज तक जारी है। उन्होंने बताया कि भालुओं ने आज तक उन्हें किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है। इतना ही नहीं जब भी भालू आते हैं तो कुटिया के बाहर परिसर में ही बैठे रहते हैं और कभी भालुओं ने कुटिया के अंदर प्रवेश कर नहीं किया।

उन्होंने बताया कि फिलहाल इस वक्त एक नर और मादा भालू के साथ उनके दो शावक भी आ रहे हैं। सीताराम ने बताया कि भालुओं से उनका अपनापन इस तरह का हो गया है कि उन्होंने उनका नामकरण भी कर दिया है। उन्होंने बताया कि नर भालू को ‘‘लाला’’ और मादा को ‘‘लल्ली’’ के साथ ही शावकों को ‘‘चुन्नू’’ और ‘‘मुन्नू’’ का नाम दिया है।

वनविभाग के जेतपुर परिक्षेत्र के रेंजर सलीम खान ने भालुओं के वहां आने पुष्टि करते हुए कहा कि सीताराम के भजन गाने के दौरान कुछ भालू उनके आस पास जमा हो जाता है और अब तक भालुओं ने किसी को नुकसान भी नहीं पहुंचाया है।

Web Title: Madhya pradesh: A group of bears listen bhajan around monk in forest

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