उत्तर प्रदेश में 100 से अधिक आईएएस नहीं दे रहे हैं संपत्ति का ब्योरा, रुक सकती है पदोन्नति, बना रहे बहाना
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: January 14, 2021 08:22 IST2021-01-13T17:00:57+5:302021-01-14T08:22:23+5:30
उत्तर प्रदेश सरकारः 78 आईएएस अधिकारियों ने वर्ष 2018 और 68 आईएएस अधिकारियों ने वर्ष 2019 में अपनी अचल संपत्ति का ब्योरा (आईपीआर) ऑनलाइन केंद्र सरकार को नहीं दिया.

केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के इम्पैनलमेंट के लिए आईपीआर अनिवार्य है. (file photo)
लखनऊः उत्तर प्रदेश में 100 से अधिक आईएएस अफसरों द्वारा उनकी संपत्ति का बारंबार ब्योरा मांगने पर जमा नहीं कराने के कारण अब सरकार उनकी पदोन्नति रोकने पर विचार कर रही है.
ये अफसर संपत्ति का ब्यौरा नहीं देने के लिए अजीबोगरीब बहाने बना रहे हैं. 78 आईएएस अधिकारियों ने वर्ष 2018 और 68 आईएएस अधिकारियों ने वर्ष 2019 में अपनी अचल संपत्ति का ब्योरा (आईपीआर) ऑनलाइन केंद्र सरकार को नहीं दिया. जबकि केंद्र सरकार ने प्रतिनियुक्ति या संवेदनशील पदों पर तैनाती देने के लिए अफसरों को अपनी संपत्ति का ऑनलाइन ब्योरा देना अनिवार्य कर दिया है.
इसी के चलते राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए आईपीआर को पदोन्नति से जोड़ने पर विचार कर रही है. शासन के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने बताया कि प्रदेश सरकार ने आईपीआर दाखिल न करने की प्रवृत्ति को बेहद गंभीरता से लिया है. अचल संपत्ति के ब्योरे के रूप में अनिवार्य रूप से उत्तराधिकार के रूप में प्राप्त संपत्ति, स्वयं से अर्जित संपत्तियां परिवार के किसी सदस्य या अन्य के लिए ली गई संपत्ति का ब्योरा देना होता है.
प्रावधान है कि यदि ऑनलाइन आईपीआर दाखिल न किया गया तो संबंधित को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए 'इम्पैनल' नहीं किया जाएगा और न ही उसे विजिलेंस क्लीयरेंस दी जाएगी. इसके बावजूद प्रदेश के अनेक अफसरों ने अचल संपत्ति का ब्योरा ऑनलाइन नहीं दिया. इनमें कई अफसर अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं. केंद्र ने प्रदेश सरकार को इस स्थिति की जानकारी दी है.
आईपीआर दाखिल न करने के कारण और बहानेः सिर्फ केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के इम्पैनलमेंट के लिए आईपीआर अनिवार्य है. पदोन्नति पर इसका असर नहीं पड़ता. जिन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर नहीं जाना होता है, वह अफसर इसमें रुचि नहीं लेते. कई अधिकारी यह बहाना बनाते हैं कि आईपीआर भरने की अवधि में शासकीय कार्य में व्यस्त थे. कई यह कहकर बचने की कोशिश करते हैं कि पूर्व में दाखिल आईपीआर के बाद उनकी संपत्ति बढ़ी ही नहीं है.