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Lokmat Parliamentary Awards 2023: मुख्य अतिथि नितिन गडकरी को याद आई अटल जी की सीख, "बात कितनी भी कड़वी क्यों न हो..."

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: February 6, 2024 17:02 IST

गडकरी ने कहा कि अटल जी कहते थे कि बात कितनी भी कड़वी क्यों न हो वह अच्छे शब्दों का प्रयोग कर के रखी जा सकती है। शब्द का इस्तेमाल करना बहुत महत्वपूर्ण है।

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ठळक मुद्देभारतीय संसद दुनिया के इतिहास में एक अलग संसद है - नितिन गडकरीहमारे संविधान में कर्तव्य और जिम्मेदारी के बारे में भी लिखा है - नितिन गडकरीटल जी ने सिखाया था कि बात कितनी भी कड़वी क्यों न हो वह अच्छे शब्दों का प्रयोग कर के रखी जा सकती है- नितिन गडकरी

Lokmat Parliamentary Awards 2023: सर्वाधिक विश्वसनीय और प्रतिष्ठित ‘लोकमत’ संसदीय पुरस्कारों का पांचवां पुरस्कार समारोह आज दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है। मुख्य अतिथि केंद्रीय सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के हाथों पुरस्कारों का वितरण किया गया। आठ अलग-अलग श्रेणियों में इस साल यानी 2023 के ‘लोकमत’ संसदीय पुरस्कारों के लिए 8 सांसदों का चयन किया गया है। पुरस्कार वितरण समारोह मंगलवार को नई दिल्ली में जनपथ रोड पर स्थित डॉ. आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में संपन्न हो रहा है। 

इस मौके पर केंद्रीय सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि भारतीय संसद दुनिया के इतिहास में एक अलग संसद है। उन्होंने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है और इस विशेषता के कारण लोकतांत्रिक प्रणाली को लेकर जो आदर्श हमारे देश ने स्थापित किए हैं वह पूरी दुनिया के लिए लिए आदर्श है। 

नितिन गडकरी ने कहा कि हमारे संविधान में कर्तव्य और जिम्मेदारी के बारे में भी लिखा है। उन्होंने कहा कि राजनीति में लोग आते रहते हैं और जाते रहते हैं। ऐसी ही स्थिति संसद की भी है। गडकरी ने कहा कि उन्हें एक बार अटल जी ने सिखाया था कि आप कितनी भी जल्दी में क्यों न हो लेकिन आपके घर में जो लोग मिलने आए हैं उनसे बिना मिले कभी मत जाओ। गडकरी ने कहा कि अटल जी कहते थे कि बात कितनी भी कड़वी क्यों न हो वह अच्छे शब्दों का प्रयोग कर के रखी जा सकती है। शब्द का इस्तेमाल करना बहुत महत्वपूर्ण है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लालू जी के भाषण में एक अलग प्रकार का विनोद था। उन्होंने कहा कि आज भी हमारी संसद में कुछ वक्ता भाषण से पहले तैयारी करते हैं।

इस मौके पर लोकमत समूह के चेयरमैन और पूर्व राज्यसभा सदस्य विजय दर्डा ने कहा कि लोकमत समूह मानता है कि लोकतंत्र को मजबूत बनाने में मीडिया की भूमिका अहम है। उन्होंने कहा कि लोकमत के संस्थापक संपादक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जवाहर लाल दर्डा जी ने ब्रिटिश काल में भी सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं किया और उनकी सिखाई गई सीख पर चलते हुए हम भी कोई समझौता नहीं करते। 

लोकमत पार्लियामेंटरी अवार्ड समिति के अध्यक्ष एवं लोकसभा के पूर्व महासचिव एवं संविधान विशेषज्ञ डॉ. सुभाष कश्यप की अध्यक्षता वाली जूरी ने संसदीय पुरस्कारों के लिए राज्यसभा और लोकसभा से चार-चार सांसदों का चयन किया। इस जूरी में लोकमत मीडिया समूह के एडिटोरियल बोर्ड के चेयरमैन एवं पूर्व सांसद डॉ. विजय दर्डा, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीररंजन चौधरी, सांसद भवतृहरि महताब, सांसद सी. आर. पाटिल, सांसद एन. के. प्रेमचंद्रन, सांसद तिरुचि शिवा, सांसद डॉ. रजनी पाटिल, एबीपी न्यूज के कार्यकारी उपाध्यक्ष राजीव खांडेकर और लोकमत समूह के राष्ट्रीय संपादक हरीश गुप्ता शामिल थे।

पिछले विजेता

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, ‘भारत रत्न’ लालकृष्ण आडवाणी, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राकांपा अध्यक्ष शरद पवार, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, स्व. मुलायम सिंह यादव, गुलामनबी आजाद, भातृहरि महताब, सौगत राय, स्व. शरद यादव, सीताराम येचुरी, जया बच्चन, तिरुचि शिवा, निशिकांत दुबे, सुप्रिया सुले, हेमामालिनी, भारती पवार, सुष्मिता देव, मीनाक्षी लेखी, डॉ. रजनी पाटिल, डेरेक ओ’ब्रायन, वंदना चव्हाण, मनोज झा, असदुद्दीन ओवैसी, तेजस्वी सूर्या, लॉकेट चटर्जी, एन. के. प्रेमचंद्रन, रमा देवी, कनिमोली, छाया वर्मा, विप्लव ठाकुर, कहकशा परवीन को ‘लोकमत’ संसदीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

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